राहुल + तेजस्वी= ?, वोटर अधिकार यात्रा से बिहार में कितना गेम बदल देंगे '2 लड़के'?

Rahul Gandhi Voter Adhikar Yatra: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा आज से सासाराम जिले से शुरू हो रही है. 16 दिनों तक चलने वाली ये यात्रा करीब 22-23 जिलों से होकर गुजरेगी.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
rahul gandhi vote adhikar yatra
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार के 20 से ज्यादा जिलों से गुजरेगी, 1300 किलोमीटर का सफर तय करेगी
  • सासाराम से शुरुआत और पटना में 1 सितंबर को खत्म होगी वोटर अधिकार यात्रा
  • वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेता भी राहुल के साथ रहेंगे
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

Rahul Gandhi Vote Adhikar Yatra in Bihar: बिहार में आज से राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा शुरू हो रही है. बिहार में विधानसभा चुनाव के करीब दो माह पहले ये सियासी यात्रा 16 दिनों तक चलेगी और 1 सितंबर को पटना में महागठबंधन की महारैली के साथ खत्म होगी. राहुल गांधी की ये यात्रा बिहार के 20 से ज्यादा जिलों से गुजरेगी और करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय करेगी. वोट चोरी के दावों को लगातार धार दे रहे राहुल गांधी के साथ इस यात्रा में राजद नेता तेजस्वी यादव भी होंगे. वोटर अधिकार यात्रा के जरिये राहुल गांधी बिहार में वही राजनीतिक प्रयोग आजमाएंगे, जिसका सफल ट्रायल उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कर दिखाया था.

दलितों पर कांग्रेस का दांव
बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन यानी एसआईआर में गड़बड़ी और वोट चोरी के आरोपों को लेकर निकल रही इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी की कोशिश बिहार में गरीब तबके (दलित-पिछड़े) को दोबारा कांग्रेस के साथ जोड़ने की होगी. रैली के ठीक एक दिन पहले कांग्रेस ने कहा कि दलित-वंचित के साथ पीड़ित-शोषित और अल्पसंख्यकों से वोट का अधिकार छीना जा रहा है. फिर उनकी भागीदारी छीनी जाएगी. इशारा साफ है कि राहुल की कोशिश एनडीए की झुकाव रखने वाले दलितों-महादलितों और अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगाने की होगी.

Rahul Gandhi Voter Adhikar Yatra

सासाराम से वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत
राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा का शंखनाद सासाराम जिले से कर रहे हैं, जो दलितों का गढ़ है. बाबू जगजीवन राम और फिर उनकी बेटी मीरा कुमार यहीं से सांसद चुनी जाती रहीं. मुस्लिमों की तरह दलित भी बिहार में कांग्रेस का बड़ा वोटबैंक रहा है. ऐसे में राहुल-तेजस्वी की कोशिश मुस्लिम-यादव के साथ दलित वोटों को महागठबंधन के पाले में खींचने की है. बिहार में दुसाध-पासी वोट के साथ अन्य दलित जातियों का 55 से 65 फीसदी वोट एनडीए के पाले में जाता रहा है, लेकिन 2024 के चुनाव में इसमें गिरावट देखी गई है. सासाराम के बाद ये यात्रा औरंगाबाद, गया, नालंदा-नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सुपौल, दरभंगा,  सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, छपरा और आरा से गुजरेगी.

यूपी में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी
आम चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में दो लड़कों (राहुल गांधी और अखिलेश यादव) ने संविधान बदलने को लेकर ऐसा ही नैरेटिव गढ़ा था. जहां लाल किताब लेकर राहुल ने हर रैली में बीजेपी के 400 पार के जाने और संविधान बदल देने का माहौल बनाया. इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश के 20 फीसदी दलित वोटों पर पड़ा, जो मायावती के हाशिये पर जाने के बाद नया सियासी ठौर तलाश रहा था. नतीजा ये रहा कि सपा और कांग्रेस ने मिलकर यूपी की 43 लोकसभा सीटें जीत लीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं. जबकि लगातार दो चुनाव में अकेले बहुमत हासिल करने वाली भाजपा 240 पर ठिठक गई और उसे नीतीश-नायडू की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा.

Rahul Gandhi akhilesh yadav

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा क्या सफल होगी
सियासी गलियारों में ये सवाल लगातार कौंध रहा है कि बिहार में क्या ये दो लड़के वो कमाल कर पाएंगे, जो यूपी में ठीक एक साल पहले दो लड़कों (राहुल गांधी और अखिलेश यादव) ने किया था. बीजेपी के खिलाफ इन दोनों ही सियासी यात्राओं में राहुल गांधी मुख्य किरदार की भूमिका में हैं. बिहार की इस सियासी मुहिम में भी राहुल गांधी ने फ्रंट सीट पर कमान संभाली है. हालांकि यूपी में जिस तरह अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी विपक्षी गठबंधन में अगुवाई कर रही थी, वहीं बिहार में महागठबंधन का नेतृत्व राजद के हाथों में है.

कांग्रेस की वापसी की जद्दोजहद
राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि राहुल गांधी की ये यात्रा असल में कांग्रेस को बिहार में मुख्य मुकाबले में लाने की जद्दोजहद है. विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद जिस तरह उत्तर प्रदेश में मुस्लिम-दलित वोट कांग्रेस से छिटककर क्षेत्रीय दलों सपा-बसपा के पाले में चला गया, वही कहानी बिहार में भी दिखी है, जहां ज्यादातर मुस्लिमों ने आरजेडी को रहनुमा मान लिया और बाकी हिस्सा जेडीयू के पाले में चला गया. 

Advertisement

Bihar Congress Performance in Vidhansabha Chunav

1992 के बाद से यूपी की तरह बिहार में भी कांग्रेस का स्ट्राइक रेट निराशाजनक रहा है. महागठबंधन की हार ठीकरा भी कांग्रेस के लचर प्रदर्शन पर ही फूटता रहा है. इस कारण गठबंधन में कांग्रेस की सीटों का कोटा भी कम हुआ है. जबकि भाकपा माले जैसे छोटे दल ने बिहार चुनाव 2020 में 19 में से 16 सीटें जीतकर बड़े-बड़े दलों को आईना दिखाया है. अगर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बेहतर कर पाती है तो महागठबंधन के लिए पासा पलटने में आसानी होगी. 

Featured Video Of The Day
Election Commission के लिए सभी पार्टियां बराबर- विपक्ष के आरोपों पर CEC | Rahul Gandhi | SIR | Bihar