- प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर नालंदा जिले में कई कार्यकर्ता नाराज हैं
- नालंदा क्षेत्र के करीब 200 कार्यकर्ताओं ने पार्टी की टिकट नीति पर असंतोष व्यक्त कर सामूहिक इस्तीफा दिया है
- प्रियदर्शी अशोक कुमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए विकास और रोजगार पर ध्यान केंद्रित किया है
चुनावी राजनीति में कदम रखने से पहले ही प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाले जन सुराज में भीतर ही भीतर उबाल देखने को मिल रहा है. जिस पार्टी की स्थापना भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और स्वच्छ राजनीति के वादे के साथ की गई थी, अब उसी के सशक्त कार्यकर्ताओं ने टिकट बंटवारे से नाराज़ होकर बड़े पैमाने पर इस्तीफा दे दिया है. यह बगावत खासतौर पर नालंदा जिले में शुरू हुई है, जहां पार्टी ने तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं.
नालंदा विधानसभा में फूट
जन सुराज पार्टी ने नालंदा जिले में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसके तुरंत बाद विरोध के स्वर मुखर होने लगे. सबसे बड़ी नाराज़गी नालंदा विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिली, जहां करीब 200 कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफे की पेशकश कर दी है.
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी ने उन्हें छला है. उनका कहना है कि प्रियदर्शी अशोक कुमार शुरुआती दौर से ही पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थे और एक मज़बूत उम्मीदवार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें नज़रअंदाज़ करते हुए टिकट किसी और को दे दिया.
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Photo Credit: PTI
प्रियदर्शी अशोक की निर्दलीय ताल ठोकने की घोषणा
कार्यकर्ताओं के समर्थन से प्रियदर्शी अशोक कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह नालंदा विधानसभा से शिक्षा, रोजगार और विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे.
प्रियदर्शी अशोक ने जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ छलावा किया है. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव जीतने के बाद वह जो भी पार्टी सत्ता में आएगी, उसे समर्थन देंगे. उनका मुख्य लक्ष्य क्षेत्र के लिए काम करना है, न कि किसी पार्टी विशेष के प्रति वफादारी दिखाना.
'भ्रष्टाचार विरोधी' वादे पर सवाल
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पार्टी की शुरुआत भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सशक्त विकल्प के तौर पर की थी. हालांकि, नालंदा में हुए इस घटनाक्रम ने पार्टी के अंदरूनी लोकतंत्र और टिकट वितरण की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. कार्यकर्ताओं का सामूहिक इस्तीफा यह दर्शाता है कि ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले निष्ठावान सदस्यों की अनदेखी की गई है, जो प्रशांत किशोर के 'जन सुराज' मॉडल के लिए एक बड़ा झटका है.
नालंदा की यह बगावत जन सुराज के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि आने वाले दिनों में अगर दूसरे ज़िलों में भी ऐसी असंतुष्टि भड़कती है, तो इसका सीधा असर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन और उसकी विश्वसनीयता पर पड़ सकता है.