प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की पटना में आज रैली, चुनाव से पहले दिखाएंगे ताकत

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में तमाम राजनीतिक दल एक्शन में आ चुके हैं.

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पटना:

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की पटना के गांधी मैदान में आज रैली होगी है. जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. प्रशांत किशोर की बिहार बदलाव रैली को चुनावी शंखनाद माना जा रहा है. इस रैली के बारे में जानकारी देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था कि 11 अप्रैल को गांधी मैदान में जन सुराज की "बिहार बदलाव रैली" आयोजित होगी, जिसमें राज्य भर से लोग एकजुट होंगे. यह रैली उन लोगों के लिए एक मंच बनेगी, जो मानते हैं कि बिहार को एक नई दिशा की जरूरत है, एक ऐसी व्यवस्था जो राज्य को दूसरे विकसित राज्यों के समान आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सके.

बिहार में नई राजनीति की शुरुआत के लिए तैयार

प्रशांत किशोर ने कहा था कि इस रैली के लिए दोपहर गांधी मैदान में इकट्ठा होने वाले लोग बिहार में एक नई राजनीति की शुरुआत के लिए तैयार हैं, जो बिहार की बेहतरी की दिशा में काम करेगी. बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में तमाम राजनीतिक दल एक्शन में आ चुके हैं. इस बार कोई दल कोई कसर नहीं छोड़न तैयारी में जुटे हैं. ऐसे में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं, उनकी तैयारियां आज की रैली के साथ ही और तेज हो जाएगी.

बिहार चुनाव से पहले पटना में दिखाएंगे ताकत

कुछ दिनों पहले ही प्रशांत किशोर ने कहा था कि बिहार में अगले छह महीने में चुनाव होने वाले हैं, और इस दौरान जनता अपना फैसला लेंगे. भाजपा के नेताओं की विचारधारा तो स्पष्ट है, उन्हें जो करना है वे कर रहे हैं. लेकिन, बिहार की जनता ने देखा है कि कैसे नीतीश कुमार और उनकी सरकार ने मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा किया है. इससे पहले लालू यादव की भूमिका पर भी प्रशांत किशोर ने सवाल उठाए और कहा कि बिहार की जनता ने अब तक लालू परिवार के धोखेबाज रवैये को भी पहचान लिया है.

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बिहार में बदलाव की जरूरत पर पीके का जोर

जन सुराज के संस्थापक ने कहा था कि बिहार में बदलाव की सख्त आवश्यकता है. यह बदलाव अब सिर्फ राजनीतिक शब्दों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि भ्रष्टाचार को खत्म करना, पलायन को रोकना, और बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर बनाना वक्त की जरूरत है. बिहार में तीन दशकों से सत्ता में रही लालू, नीतीश और भाजपा की गठबंधन सरकारों से बदलाव की मांग जनता के बीच जोर पकड़ रही है.

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