- प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज बिहार चुनाव में सक्रिय है और वे सत्तारूढ़ गठबंधन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
- पीके ने बीजेपी के दिलीप जायसवाल, संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर हत्या जैसे संगीन आरोप लगाए.
- बीजेपी नेताओं ने पीके के आरोपों का खंडन किया है और उन्हें राजनीतिक स्टंट बताया है.
बिहार के चुनावी रणक्षेत्र में पीके फैक्टर यानी प्रशांत किशोर को लेकर काफी चर्चा है. उनकी पार्टी जन सुराज सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है और खुद पीके जमीन पर उतर कर बिहार को मथ रहे हैं. प्रशांत किशोर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन पर लगातार हमलावर हैं. उन्होंने बीजेपी और जेडीयू के कई वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार और अनैतिकता के गंभीर आरोप लगाए हैं. बीजेपी से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने प्रशांत किशोर की हां में हां मिला कर बीजेपी की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है.
पीके के सम्राट चौधरी पर आरोप
प्रशांत किशोर के निशाने पर खासतौर से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हैं. प्रशांत किशोर ने एक के बाद एक कई प्रेस कांफ्रेंस में इन तीनों नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रशांत किशोर का आरोप है कि सम्राट चौधरी हत्या के एक आरोप में अभियुक्त हैं और वे तीन महीने जेल में रहे लेकिन नाबालिग होने के कारण उन्हें जमानत मिली थी. उन्होंने सम्राट चौधरी पर नाम बदलने का आरोप भी लगाया.
वहीं, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर एक मेडिकल कॉलेज हड़पने और हत्या में नामजद अभियुक्त होने का आरोप लगाया. जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. इन तीनों ही नेताओं ने प्रशांत किशोर के आरोपों का खंडन किया है. इनका कहना है कि प्रशांत किशोर 'फ्रीलांस राजनीतिक सलाहकार' हैं 'हर चुनाव में अलग रंग बदलते हैं'. उनका यह भी कहना है कि 'उनकी बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है, वे कोई जनप्रतिनिधि नहीं हैं और यह केवल राजनीतिक स्टंट है.'
बीजेपी बोली, चर्चा में रहने का तरीका
इस बीच बीजेपी नेतृत्व की इस घटनाक्रम पर नजदीक से नजर है. बीजेपी सूत्रों के अनुसार प्रशांत किशोर केवल चर्चा में आने के लिए इन पुराने मामलों को तूल दे रहे हैं. इनमें से कुछ मामले बहुत पुराने हैं और ये नेता कई बार इन पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं. बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है. बीजेपी का मानना है कि एनडीए यह चुनाव नीतीश कुमार के नाम और काम पर लड़ रहा है.
बीजेपी का लक्ष्य फिर से सरकार में आना है और वह मानती है कि बिहार में नीतीश कुमार ही बड़े भाई हैं. लिहाजा गठबंधन के लिए नीतीश कुमार की छवि सर्वोपरि है. बीजेपी के आकलन के अनुसार प्रशांत किशोर तमाम कोशिशों के बावजूद नीतीश कुमार की छवि को ठेस नहीं पहुंचा पाए हैं. जहां तक बीजेपी के कुछ नेताओं पर लगे आरोपों का प्रश्न है, बीजेपी सूत्रों के अनुसार ये नेता अपने बचाव में सक्षम हैं.
क्या पीके साबित होंगे दमदार
प्रशांत किशोर के जमीन पर असर को लेकर बीजेपी अभी अध्ययन करने में जुटी है. बीजेपी को लगता है कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि प्रशांत किशोर का यह पहला चुनाव है. राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि प्रशांत किशोर बीजेपी के फॉरवर्ड कास्ट वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं. लेकिन बीजेपी सूत्रों के अनुसार इस निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी क्योंकि लोग अपना वोट व्यर्थ नहीं करना चाहेंगे.
बिहार में लड़ाई दो बड़े गठबंधनों के बीच ही है और इसमें तीसरी शक्ति की गुंजाइश फिलहाल नहीं दिखाई दे रही. यह जरूर है कि अगर पीके इस चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में सफल रहते हैं तो आने वाले चुनावों में वे एक ताकत बन सकते हैं. लेकिन बिना किसी अन्य दल से हाथ मिलाए, अकेले अपने दम पर वे कितना जोर लगाएंगे, यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा.