पीके के 51 कैंडिडेट; अपराधी, जाति, नए चेहरे के अपने वादे पर कितनी खड़ी उतरी जनसुराज

जाति के आधार पर उम्मीदवारों को नहीं चुनने की. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी से बाहुबली या अपराधी चुनाव नहीं लड़ेंगे. साथ ही वो यह भी बोले थे कि उनके प्रत्याशी विभिन्न बैकग्राउंड के होंगे. तो क्या पीके पहली सूची में अपने वादों पर खड़े उतरे?

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  • प्रशांत किशोर ने कहा था कि जन सुराज जाति के आधार पर कैंडिडेट नहीं चुनेगी. योग्यता के आधार पर टिकटें दी जाएंगी.
  • उन्होंने यह भी कहा था कि आपराधिक लोगों को भी जनसुराज टिकट नहीं देगी और विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग चुने जाएंगे.
  • क्या पीके ने प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची में खुद के तय किए मानदंडों को पूरा किया है?
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प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने 51 प्रत्याशियों की सूची जारी की है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कैंडिडेट के चयन के लिए लगातार कई मानदंड रखते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को जाति के आधार पर नहीं चुना जाएगा. उनके प्रत्याशियों को योग्यता के आधार पर टिकटें दी जाएंगी. टिकट के आवंटन के बाद भी प्रशांत किशोर ने दावा किया कि 51 प्रत्याशियों में ऐसे नाम चुन कर दिखाएं जिसका दूसरे दल में टिकट कटा हो उसे जनसुराज ने टिकट दिया हो. अब जबकि उन्होंने अपने 51 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं तो क्या उन्होंने खुद के तय किए मानदंडों को पूरा किया है?

जातिगत व्यवस्था से ऊपर उठ कर चुनेंगे प्रत्याशी

सबसे पहले बात करते है उनके जाति के आधार पर उम्मीदवारों को नहीं चुनने की. पहली सूची को देखें तो प्रशांत किशोर अपने इस वादे पर खड़े नहीं उतरे हैं. उन्होंने बिहार की जाति व्यवस्था के आधार पर ही अपने प्रत्याशी चुने हैं. जनसुराज ने 7 अनुसूचित जाति, 17 अतिपिछड़ों, 11 पिछड़े, 8 अल्पसंख्यक और 8 सामान्य वर्ग के कैंडिडेट को टिकट दिया है. हालांकि इसे प्रशांत किशोर जाति के आधार पर दिया गया टिकट नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि यह बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के लक्ष्य को ध्यान में रख कर बनाई गई सूची है.

प्रशांत किशोर का दावा है कि हर प्रत्याशी को चुनने के पीछे एक सोच और पार्टी का सार्थक प्रयास दिखेगा. हालांकि 51 लोगों की लिस्ट में अति पिछड़ों की संख्या 17 है जो 34 फीसद होता है, राज्य में अति पिछड़ों की आबादी भी करीब 36 फीसद है. ऐसे ही मुसलमानों की आबादी के अनुपात में ही पीके की लिस्ट में 16 फीसद मुसलमान हैं.

जनसुराज से बाहुबली-अपराधी चुनाव नहीं लड़ेगा

प्रशांत किशोर ने कहा था कि कोई अपराधी अगर टिकट पा जाए तो मुझे आप कैमरे पर चार घंटे गाली दीजिए, दुनिया इधर की उधर हो जाए जनसुराज से कोई बाहुबली-अपराधी चुनाव नहीं लड़ेगा.

पहली सूची जारी करने के बाद उन्होंने दावा किया कि सीवान के रघुनाथपुर से बाहुबलियों को टिकट देने की परंपरा रही है लेकिन जनसुराज ने वहां से राहुल कीर्ति सिंह को टिकट दी है. 

हालांकि सोशल मीडिया एक्स पर कुमार प्रशांत नाम के एक शख्स ने एक एफआईआर की कॉपी की तस्वीर के साथ लिखा, "लौरिया से जनसुराज ने सुनील कुमार को प्रत्याशी बनाया है, जो छह महीने भ्रष्टाचार में जेल में रह चुके हैं. उन पर अभी भी संगीन धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल बेल पर हैं."

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एनडीटीवी इस शख्स के इस पोस्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका है. पर अगर इनकी बात में थोड़ी भी सच्चाई है तो प्रशांत किशोर अपने इस मानदंड पर भी खड़े नहीं उतरे हैं.

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90 फीसद नए चेहरे होंगे

प्रशांत किशोर ने कहा था कि उनके उम्मीदवारों में 90% नए चेहरे होंगे. 51 कैंडिडेट्स में से केवल एक पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना हैं. अन्य प्रत्याशियों के पहले चुनाव लड़ने की फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है. लिहाजा पहली सूची में प्रशांत किशोर अपने इस दावे पर खड़े उतरे दिखते हैं. इसके अलावा उन्होंने विभिन्न बैकग्राउंड के कैंडिडेट्स के होने की बात का भी अक्षरशः पालन किया है. उनकी सूची में पूर्व नौकरशाह, डॉक्टर, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और कलाकार आदि शामिल हैं.

विभिन्न बैकग्राउंड के लोग

प्रशांत किशोर ने पिछले साल ही यह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी के कैंडिडेट जनमत के आधार पर चुने जाएंगे और अलग-अलग बैकग्राउंड के लोग होंगे. उनकी लिस्ट में ऐसे कई नाम हैं जिनकी उम्मीदवारी पर बड़ी संख्या में लोगों को ऐतराज नहीं होगा. उन्होंने कुम्हरार से केसी सिन्हा को उतारा है जो जाने माने शिक्षाविद हैं. उनकी किताबें दशकों से स्कूलों में पढ़ाए जाते हैं. पटना हाई कोर्ट के पूर्व सीनियर एडवोकेट वाईबी गिरी हैं जो बिहार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और पटना हाई कोर्ट में भारत सरकार के मुकदमे में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. मुजफ्फरपुर से डॉ. अमित कुमार दास पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल से पढ़े हैं और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने में लगे हैं. उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं और दोनों मुजफ्फरपुर में एक अस्पताल चलाते हैं.

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जनसुराज की पहली सूची में खुद प्रशांत किशोर का नाम नहीं है. वो कहते रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में नहीं उतरेंगे पर संभावना जताई जा रही है कि वो आरजेडी के गढ़ मधेपुरा से उतरेंगे जो कि तेजस्वी यादव की सीट है. हालांकि एनडीटीवी के साथ बातचीत में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर जरूरत पड़ी तभी वो चुनाव में उतर भी सकते हैं.

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