- बिहार चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने पावर स्टार पवन सिंह की फोटो सोशल मीडिया पर साझा कर पॉलिटिकल मैसेज दिया
- यह तस्वीर बीजेपी के मास्टरस्ट्रोक के रूप में भी देखी जा रही है, जो कुशवाहा समाज को जोड़ने का प्रयास है
- पवन सिंह के एनडीए में वापस आने से बहुत से लोगों को अपने ऊपर तलवार लटकती हुई दिखाई पड़ रही है.
बिहार चुनाव से पहले कई समीकरण पार्टियों के अंदर बनते-बिगड़ते नजर आ रहे हैं. कुछ हाथ छूट रहे हैं, तो वहीं एक-दूसरे के सामने खड़े होने वाले, गले मिल रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने पावर स्टार पवन सिंह की एक तस्वीर अपने फेसबुक पोस्ट पर साझा की है, जिसमें पवन सिंह को उनका पैर छूते हुए दिखाया गया है, या यूं कहे चरणों में दिखाया गया है. इस प्रकार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल करने या पोस्ट करने के पीछे उपेंद्र कुशवाहा का पुराना घाव या चोट तो नहीं, जो पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को दी थी. या यूं कहे कि पवन सिंह को देखते ही उपेंद्र कुशवाहा को अपनी हार याद आ गई और उन्हें अपनी उस राजनीतिक हार में हुई बेइज्जती का बदला लेने का ख्याल आया, जिसके लिए पावर स्टार को सोशल प्लेटफार्म पर लाकर खड़ा कर दिया.
पवन सिंह के जरिए क्या खेल रचा जा रहा?
हालांकि, इसके अलावा भी बहुत सारी ऐसी तस्वीर थी, जो कि काफी अच्छी और साफ थीं. अगर ध्यान से इस तस्वीर को देखा जाए, तो यह तस्वीर बहुत हद तक साफ नहीं है. ये फोटो कुछ धुंधली है. सूत्रों की मानें तो यह बीजेपी का मास्टर स्टॉक भी माना जा सकता है. जिस प्रकार 'जन सुराज पार्टी' के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने एनडीए के नेताओं की कलई खोलने शुरू कर दी है, जिससे बिहार में एनडीए का ग्राफ कुछ नीचे नजर आ रहा है गिरा है, उसको सही करने के लिए बीजेपी को कुशवाहा समाज को लामबंद करना है, जो पावर स्टार के माध्यम से करने का प्रयास भी हो सकता है.
इधर, दूसरी तरफ यह चर्चा जोरों पर है कि उपेंद्र कुशवाहा ने यह स्पष्ट किया है कि पवन सिंह से उनकी किसी प्रकार की कोई बात नहीं हुई थी और वह अचानक से ही उनसे मिलने उनके दिल्ली आवास पहुंचे थे. उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान से क्या ये कयास लगाया जा सकता है कि पवन सिंह का पावर शॉर्ट सर्किट और वह उपेंद्र कुशवाहा के द्वार पहुंच गए. सत्ता के गलियारों में ये चर्चा का विषय बना हुआ है कि आदमी राजनीति और कुर्सी पाने के लिए इतना उत्सुक होता है कि वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है.
'आहो सुननी हां कि पवन सिंह फिर से भाजपा में आ गइले हा'
वजह कुछ भी हो सकती है कि लेकिन पवन सिंह के एनडीए में वापस आने से बहुत से लोगों को अपने ऊपर तलवार लटकती हुई दिखाई पड़ रही है. चौक-चौराहों पर यह सुना जा रहा है- आहो सुननी हां कि पवन सिंह फिर से भाजपा में आ गइले हा, तो लागाता के अबके आरा से ओकरे टिकटवा का मिली. तो तभी दूसरा और से कोई कहता है- ना हो भाजपा में नईखे ग़ईल ऊ तो उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा में गईल, हा ओकरा कहां से आरा से टिकट मिली देखा बाकी एनडीए में हा कछु हो सकेला. तो केहू कहा था ना हो बड़हरा से मिली इस तरह की अफवाह है चौक चौराहा पर सरेआम हो गई है, जिससे आरा बड़हरा के उम्मीदवारों को भी कुछ कुछ ऊट-पटांग सुनने को मिलता ही रहता है. पवन सिंह को कहां से उम्मीदवार बनाया जाता है, यह तो आने वाला समय ही तय करेगा. लेकिन टिकट पाने के लिए उन्होंने जो शॉर्टकट या यूं कहें जो पॉलिसी अपनाई है, वो कितनी कारगर होती है, ये वक्त बताएगा.
ये मुलाकात 'प्रयोग है या संयोग'
दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा के समर्थक पवन सिंह की उस तस्वीर को शेयर करने पर सवाल उठा रहे हैं. कुछ समर्थकों ने उपेंद्र कुशवाहा को सुझाव भी दे डाला कि जिसकी वजह से उनको लोकसभा में हर का सामना करना पड़ा, उस आदमी को अपने पास बैठना यह कहां से उचित नहीं है? इसमें अहम पहलू लोगों ने ध्यान नहीं दिया कि ये मुलाकात 'प्रयोग है या संयोग' है, जिसके तहत मुख्यालय में बैठे शीर्ष नेता या स्पष्ट रूप से कहें सम्राट चौधरी की विदाई की कहानी तो नहीं लिखी जा रही? पवन सिंह को काराकाट से खड़ा करने में किसका हाथ है, यह अब खुलकर सबके सामने आ चुका है. मगर इसके पीछे किसका हाथ था, यह भी सबको पता है, लेकिन उस चाणक्य के बारे में बोलने से लोग परहेज करते हैं.
प्रशांत किशोर के जरिए 'ऑपरेशन सम्राट'
पवन सिंह को काराकाट से खड़ा करना पूरी तरह सफल साबित हुआ और इसका पुरस्कार चौधरी को मिला भी. लेकिन सम्राट चौधरी अपने स्वभाव से लाचार हैं, जिसकी वजह से पार्टी के अंदर का विरोध दिल्ली तक पहुंच चुका है. इससे पार्टी को यह अंदेशा हो चला की कहानी आगे चलकर नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए दिल्ली में खेल रचना शुरू हो गया और प्रशांत किशोर के माध्यम से 'ऑपरेशन सम्राट' शुरू हो गया. दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री शहर आरा सांसद आरके सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया और तभी बीच में पावर स्टार पवन सिंह का उपेंद्र कुशवाहा से मिलना बहुत कुछ बयां करता है. अब देखना दिलचस्प होगा की यह कहानी किस और रुख करती है.
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