- अशोक चौधरी ने पॉलिटिकल साइंस में BSUSC की भर्ती 2020 में सफलता हासिल की है.
- अशोक चौधरी का चयन एससी कैटेगरी में हुआ है.
- अशोक चौधरी का परिवार राजनीति में सक्रिय रहा है, पिता कांग्रेस में विधायक और मंत्री थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी और बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ है. उन्होंने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2020 में पॉलिटिकल साइंस विषय में सफलता हासिल की है. उनका चयन एससी कैटेगरी में हुआ है. इंटरव्यू समाप्त होने के बाद आयोग ने हाल ही में परिणाम जारी किया तो उनकी बेटी शांभवी चौधरी ने इसका ऐलान किया. अशोक चौधरी का परिवार लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहा है. उनके पिता स्वर्गीय महावीर चौधरी कांग्रेस में रहे. विधायक और मंत्री भी बने. अब अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी भी समस्तीपुर से चिराग पासवान की पार्टी की सांसद हैं.
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 2020 में 52 विषयों में 4,638 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए भर्ती निकाली थी, जिसमें पॉलिटिकल साइंस के 280 पद शामिल थे. 1 जनवरी 2020 तक सभी श्रेणियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष थी. इसमें 275 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था. उसमें से मंत्री अशोक चौधरी भी एक हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के बाद मंत्री अशोक चौधरी पॉलिटिकल साइंस छात्रों को पढ़ाएंगे.
कौन हैं अशोक चौधरी
अशोक चौधरी का जन्म 25 फरवरी 1968 को शेखपुरा जिले के बरबीघा में हुआ था. कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और 2000 में बरबीघा से विधायक बने. 2013 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, लेकिन कांग्रेस से दूरी के बाद 2018 में जेडीयू में शामिल हो गए. नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया. शिक्षा विभाग और भवन निर्माण विभाग में भी मंत्री रहे हैं. फिलहाल, नीतीश कुमार के चहेते बने हुए हैं और ग्रामीण कार्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
अशोक चौधरी क्या इस्तीफा देंगे
अशोक चौधरी कई तरह के विवादों में भी रहे हैं. ललन सिंह के साथ विवाद हो, या हाल के दिनों में प्रशांत किशोर के साथ विवाद. वो चर्चा में बने रहते हैं. हाल ही में प्रशांत ने उन पर पैसे लेकर बेटी के लिए टिकट खरीदने का आरोप लगाया था. इसके बाद अशोक चौधरी ने कोर्ट में केस दर्ज कराया. वहीं, उनके दामाद सायन कुणाल के बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के सदस्य बनने पर तेजस्वी यादव ने परिवारवाद को बढ़ावा देने और दामाद आयोग बनाने की मांग कर तंज कसा है. अब जब उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर पद की मेरिट सूची में जगह बना ली है तो यह देखना होगा कि वो कॉलेज में पढ़ाने की भूमिका निभाते हैं या नहीं. अशोक चौधरी अगर इस पद को स्वीकार करते हैं, तो उन्हें राज्य सरकार की सेवा से इस्तीफा देना पड़ सकता है या विशेष अनुमति लेनी पड़ सकती है.