बिहार के हालत बदलने को लेकर उदय शंकर ने नेताओं को दिए दो मंत्र

उदय शंकर ने कहा कि रोजगार और नौकरी एक नहीं है. लोगों को कमाने का साधन होने चाहिए, किसी सरकार की ये हालत नहीं है कि सबको नौकरी दे सके. आपको रोजगार के अवसर बनाने होंगे, चाहे बड़े उद्योग, या मंझोले उद्योग हों.

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  • उदय शंकर ने कहा कि बिहार के सभी राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र निष्पक्ष और सहमति आधारित होने चाहिए
  • उन्होंने कहा कि बिहार में आर्थिक विकास और रोजगार पर पर्याप्त चर्चा नहीं होती है, इसे बढ़ाने की जरूरत है
  • बिहार से बाहर सफल हुए लोगों के दिल में बिहार के लिए पीड़ा है, माहौल बदलने की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों की है
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पटना:

बोधि ट्री सिस्टम्स के फाउंडर उदय शंकर ने NDTV पावरप्ले के मंच से बिहार की हालत बदलने को लेकर नेताओं को मंत्र दिए. उन्होंने एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल के साथ बातचीत में कहा कि पार्टियों के घोषणा पत्र निष्पक्ष होने चाहिए. कुछ ऐसे मुद्दे होने चाहिए जिन पर सभी दलों की सहमति हो.

उन्होंने कहा कि जाति के मुद्दे का एक कानूनी पहलू भी होना चाहिए. बिहार में आर्थिक भविष्य पर भी चर्चा नहीं होती है. उदय शंकर ने कहा कि नेताओं ने जान-बूझकर फैलाया है कि जनता कास्ट के नाम पर वोट देती है.

उन्होंने कहा कि बिहारी जब बिहार से बाहर चला जाता है तो कास्ट की बात ही नहीं होती, वो जैसे ही पटना एयरपोर्ट या पटना स्टेशन पर उतरता है, एक साजिश के तहत उसे जाति याद दिलाई जाती है, क्योंकि जैसे ही वो जाति भूलेगा, हक मांगने लगेगा.

उदय शंकर ने कहा कि रोजगार और नौकरी एक नहीं है. लोगों को कमाने का साधन होने चाहिए, किसी सरकार की ये हालत नहीं है कि सबको नौकरी दे सके. आपको रोजगार के अवसर बनाने होंगे, चाहे बड़े उद्योग, या मंझोले उद्योग हो, जमीन देना मुश्किल है, कुछ भी करना मुश्किल है, लेकिन उद्योग लाना है तो जमीन देनी होगी, बैंक को लोन देने होंगे, आपको इंफ्रा बनाना होगा.

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उन्होंने कहा कि बिहार में लोकल कंडीशन चेंज करना होगा. पैसे भी आ जाएंगे, लोग भी आ जाएंगे. उदय शंकर ने कहा कि जो भी बिहार से बाहर जाकर सफल हुए हैं, उनके दिल में भी एक पीड़ा है, जो यहां हैं उनको माहौल बदलना होगा. आप अवसर देकर देखिए, कैसे बदल सकते हैं.

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