महागठबंधन को शाहबाद-मगध क्षेत्र ने डुबोया, NDA का 'मास्टरस्ट्रोक', 48 में से 39 सीटें जीतकर पलटी बाजी

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में महागठबंधन की करारी हार के पीछे का सबसे निर्णायक कारण सामने आ गया है: शाहबाद-मगध क्षेत्र. बीजेपी की सटीक रणनीति, अमित शाह के फैसलों और सामाजिक समीकरणों को साधने के कारण इस ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में एनडीए ने ऐसी बाजी पलटी कि पूरे बिहार की चुनावी तस्वीर बदल गई.

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  • शाहबाद-मगध क्षेत्र में महागठबंधन को मिली करारी हार ने पूरे बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित किया
  • एनडीए ने इस क्षेत्र की 48 में से 39 सीटें जीतकर चुनावी सफलता का शानदार प्रदर्शन किया
  • बीजेपी ने रणनीति में स्थानीय सामाजिक समीकरणों और उम्मीदवार चयन पर विशेष ध्यान दिया
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बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में महागठबंधन की करारी हार के पीछे का सबसे निर्णायक कारण सामने आ गया है: शाहबाद-मगध क्षेत्र. बीजेपी की सटीक रणनीति, अमित शाह के फैसलों और सामाजिक समीकरणों को साधने के कारण इस ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में एनडीए ने ऐसी बाजी पलटी कि पूरे बिहार की चुनावी तस्वीर बदल गई.

महागठबंधन को उठाना पड़ा जबरदस्त नुकसान

आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि शाहबाद मगध क्षेत्र महागठबंधन की हार का सबसे बड़ा कारण बना. पूरे राज्य में महागठबंधन ने जो 75 सीटें गंवाईं, उनमें से 33 सीटें (आधी से अधिक) केवल इस एक क्षेत्र में हारी हैं. यह क्षेत्र 48 विधानसभा सीटों का गढ़ है, जहां एनडीए ने इस बार 39 सीटें जीतकर 81.25 प्रतिशत का शानदार स्ट्राइक रेट हासिल किया. 2020 में एनडीए 48 में से 8 सीटें ही जीत सकी. यानी केवल 16.67 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट था. केवल बीजेपी की बात करें तो बीजेपी ने 17 सीटें लड़ीं, जिनमें से 14 पर जीत हासिल की. जबकि पिछली बार केवल 5 सीटें ही मिली थीं. यानी इस बार 9 सीटों का फायदा पहुंचा. इसी तरह एनडीए को 31 सीटों का फायदा पहुंचा है. इसने विपक्ष की चुनावी बाजी को पूरी तरह पलट दिया. इस इलाके में वामपंथी दलों का भी लगभग सफाया हो गया.

बीजेपी की रणनीति और शाह-मोदी फैक्टर

बीजेपी ने पिछली हार से सबक लेते हुए इस इलाके में काफी सोच विचार कर रणनीति बनाई. पार्टी ने अपने चुनाव सह प्रभारियों सीआर पाटिल और केशव प्रसाद मौर्य को यहां पूरा जोर लगाने को कहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अकेले इसी इलाके में 8 से 10 सभाएं कीं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह भी उम्मीदवारों के चयन से लेकर मुद्दे तय करने तक में काफी सक्रिय रहे.

बीजेपी ने उम्मीदवार चयन और सामाजिक समीकरणों को साधने में स्थानीय भावनाओं का पूरा ध्यान रखा.

सहयोगी दलों में बेहतर तालमेल बिठाया गया और उपेंद्र कुशवाहा एवं पवन सिंह जैसे नेताओं के आपसी मतभेद सुलझाकर जमीन को मजबूत किया गया.

क्या है शाहबाद-मगध क्षेत्र?

यह क्षेत्र दो हिस्सों में बंटा है, जो पारंपरिक रूप से राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील रहे हैं.

शाहबाद (22 सीटें): इसमें भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जिले शामिल हैं. यह इलाका अपनी नक्सल प्रभावित सीटों के लिए भी जाना जाता है.

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मगध: इसमें गयाजी, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल जिले शामिल हैं.

इन्हीं रणनीतिक फैसलों और प्रचंड प्रचार के दम पर शाहबाद-मगध क्षेत्र में एनडीए ने अपना परचम फहराया, जो पूरे बिहार में महागठबंधन की हार का सबसे बड़ा कारण बना.

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