- नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र में 1962 से 2020 तक कुल पंद्रह चुनाव हुए जिनमें चौदह बार यादव उम्मीदवार विजेता रहे.
- नरपतगंज क्षेत्र में यादव मतदाता लगभग तीस प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता लगभग पच्चीस प्रतिशत हैं.
- इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्यतया कृषि आधारित है जिसमें धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं.
नरपतगंज विधानसभा सीट पर बीजेपी की देवंती यादव ने आरजेडी के मनीष यादव को 25353 मतों से हराया. सीमांचल के नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र में 1962 से लेकर 2020 तक कुल 15 विधानसभा चुनाव (उपचुनाव समेत) हुए. इसमें 14 बार यादव प्रत्याशी ही चुनाव जीता.केवल 1962 में कांग्रेस के उम्मीदवार दु्मर लाल बैथा ने यह सीट जीती थी. यहां यादव लगभग 30 प्रतिशत और मु्स्लिम मतदाता करीब 25 प्रतिशत हैं.
नरपतगंज का भूभाग समतल और उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हिस्सा है. मानसून के दौरान यहां बाढ़ और जलजमाव की समस्या आम है. कोसी नदी इस क्षेत्र से होकर बहती है, जो कृषि के लिए सहायक है लेकिन साथ ही बाढ़ के खतरे को भी बढ़ाती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है. धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में कोई बड़ा औद्योगिक या कृषि-आधारित उद्योग नहीं है, जिससे आर्थिक ठहराव और पलायन की स्थिति बनी रहती है.
नरपतगंज में कौन भारी
यहां से 5 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू 2-2 बार और जनता पार्टी ने एक बार चुनाव जीता है. अररिया जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें नरपतगंज, रानीगंज (एससी), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट, सिकटी विधानसभा सीटें शामिल हैं. अररिया एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भी है. इसमें इसी जिले की 6 विधानसभा सीटें शामिल हैं. नरपतगंज में सबसे पहले चुनाव 1962 में हुए थे. इस चुनाव में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन इस चुनाव के बाद यह सामान्य सीट हो गई थी.
2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के अनुसार, नरपतगंज में कुल मतदाताओं की संख्या 2,37,585 है, जिनमें 1,23,594 पुरुष और 1,13,981 महिला मतदाता हैं.













