महनार विधानसभा सीट 2025 : क्‍या आरजेडी फिर मारेगी बाजी, कुशवाहा वोटरों के हाथों में जीत की चाबी

महनार विधानसभा सीट से 2020 में बीना सिंह की जीत ने राजद को इस सीट पर नई ताकत दी थी, लेकिन जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा के फिर से मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद है. लेकिन आरजेडी ने मौजूदा विधायक का टिकट काट चौंका दिया.

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जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा के फिर से मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक
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  • महनार विधानसभा सीट से राजद ने मौजूदा विधायक बीना सिंह की जगह रविंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है
  • महनार सीट बिहार के वैशाली जिले में है और इस क्षेत्र में कुशवाहा समुदाय के वोट निर्णायक माने जाते हैं
  • 2020 में राजद की बीना सिंह ने जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी
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पटना:

महनार विधानसभा सीट (Mahnar Assembly Seat) से आरजेडी ने अपनी मौजूदा विधायक बीना सिंह का टिकट काट दिया. बीना सिंह की जगह आरजेडी ने महनार सीट से रविन्‍द्र सिंह को उम्‍मीदवार बनाया है. महनार विधानसभा सीट बिहार के वैशाली जिले और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यह सामान्य सीट, जो 1951 में गठित हुई थी, लंबे समय से एनडीए के दलों का गढ़ रही है. वर्तमान में यह सीट राजद के कब्जे में है, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद की बीना सिंह ने जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा को हराकर विधायक का पद हासिल किया था. जदयू ने इस बार फिर उमेश सिंह कुशवाहा पर भरोसा जताया है.

कुशवाहा समुदाय के निर्णायक वोटर 

महनार में कुशवाहा समुदाय के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, दलित वोटरों की संख्या भी काफी है, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है. विभिन्न जाति समुदायों का मिश्रण इस सीट को राजनीतिक दृष्टिकोण से और दिलचस्प बनाता है. 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के दीप नारायण सिंह यहां के विधायक बने थे. महनार दिग्गज समाजवादी नेता और मनरेगा के जनक पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की जन्मस्थली भी है. मुनेश्वर प्रसाद सिंह ने अलग-अलग दलों से इस सीट पर 6 बार जीत हासिल की, जबकि पूर्व सांसद रामा किशोर सिंह तीन बार विधायक रहे.

समझ लें वोटों का गणित

एनडीए का इस सीट पर लंबे समय तक दबदबा रहा है, लेकिन 2020 में बीना सिंह की जीत ने राजद को इस सीट पर नई ताकत दी थी, लेकिन जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा के फिर से मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद है. कुशवाहा वोटरों की निर्णायक भूमिका और दलित वोटरों का रुझान इस बार के नतीजों को तय करने में अहम होगा. 2020 के विधानसभा चुनाव में महनार में कुल 3,03,945 वोटर्स थे. इनमें 65,470 (21.54%) अनुसूचित जाति और 19,452 (6.4%) मुस्लिम मतदाता थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,13,325 हो गई, हालांकि चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2020 के बाद से 3,103 मतदाता बाहर चले गए हैं. दलित वोटर्स इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं.


क्‍यों खास है महनार

महनार न सिर्फ राजनीतिक रूप से बल्कि व्यावसायिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यह एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है, जहां थोक और खुदरा बाजार अनाज, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं के व्यापार में सक्रिय हैं. बूढ़ी गंडक नदी और गंगा के निकट होने के कारण इसकी समतल जमीन कृषि के लिए बेहद उपयुक्त है. धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती के साथ-साथ केले, आम और लीची के बागान स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं. महनार की भौगोलिक स्थिति इसे कई शहरी केंद्रों से जोड़ती है, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार आसानी से मिल जाता है.