महनार विधानसभा सीट रिजल्‍ट : JDU के उमेश सिंह कुशवाहा ने RJD के रविन्द्र कुमार सिंह को हराया

जेडीयू उम्‍मीदवार उमेश सिंह कुशवाहा ने एक बार फिर जीत ली है. उन्‍होंने 98050 वोट हासिल किये और आरजेडी उम्‍मीदवार रविन्द्र कुमार सिंह को 38558 वोटों के अंतर से हराया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा के फिर से मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • महनार सीट पर जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा ने 98050 वोट लेकर आरजेडी के रविन्द्र कुमार सिंह को भारी मतों से हराया
  • महनार विधानसभा सीट पर कुल 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ और यह सीट बिहार के वैशाली जिले में स्थित है
  • कुशवाहा समुदाय और दलित वोटर इस सीट पर चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

महनार विधानसभा सीट जेडीयू उम्‍मीदवार उमेश सिंह कुशवाहा ने एक बार फिर जीत ली है. उन्‍होंने 98050 वोट हासिल किये और आरजेडी उम्‍मीदवार रविन्द्र कुमार सिंह को 38558 वोटों के अंतर से हराया. रविन्द्र कुमार सिंह को 59492 मिले. महनार सीट पर तीसरे स्‍थान पर संजय कुमार राय रहे, जो निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे. महनार विधानसभा सीट पर 66.71 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. महनार विधानसभा सीट बिहार के वैशाली जिले और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यह सामान्य सीट, जो 1951 में गठित हुई थी, लंबे समय से एनडीए के दलों का गढ़ रही है. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद की बीना सिंह ने जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा को हरा दिया था. लेकिन जदयू ने एक बार फिर उमेश सिंह कुशवाहा पर भरोसा जताया और यह निर्णय सही साबित हुआ.

कुशवाहा समुदाय के निर्णायक वोटर 

महनार में कुशवाहा समुदाय के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, दलित वोटरों की संख्या भी काफी है, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है. विभिन्न जाति समुदायों का मिश्रण इस सीट को राजनीतिक दृष्टिकोण से और दिलचस्प बनाता है. 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के दीप नारायण सिंह यहां के विधायक बने थे. महनार दिग्गज समाजवादी नेता और मनरेगा के जनक पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की जन्मस्थली भी है. मुनेश्वर प्रसाद सिंह ने अलग-अलग दलों से इस सीट पर 6 बार जीत हासिल की, जबकि पूर्व सांसद रामा किशोर सिंह तीन बार विधायक रहे.

समझ लें वोटों का गणित

एनडीए का इस सीट पर लंबे समय तक दबदबा रहा है, लेकिन 2020 में बीना सिंह की जीत ने राजद को इस सीट पर नई ताकत दी थी, लेकिन जदयू के उमेश सिंह कुशवाहा के फिर से मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद है. कुशवाहा वोटरों की निर्णायक भूमिका और दलित वोटरों का रुझान इस बार के नतीजों को तय करने में अहम होगा. 2020 के विधानसभा चुनाव में महनार में कुल 3,03,945 वोटर्स थे. इनमें 65,470 (21.54%) अनुसूचित जाति और 19,452 (6.4%) मुस्लिम मतदाता थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,13,325 हो गई, हालांकि चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2020 के बाद से 3,103 मतदाता बाहर चले गए हैं. दलित वोटर्स इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं.


क्‍यों खास है महनार

महनार न सिर्फ राजनीतिक रूप से बल्कि व्यावसायिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यह एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है, जहां थोक और खुदरा बाजार अनाज, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं के व्यापार में सक्रिय हैं. बूढ़ी गंडक नदी और गंगा के निकट होने के कारण इसकी समतल जमीन कृषि के लिए बेहद उपयुक्त है. धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती के साथ-साथ केले, आम और लीची के बागान स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं. महनार की भौगोलिक स्थिति इसे कई शहरी केंद्रों से जोड़ती है, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार आसानी से मिल जाता है.

Featured Video Of The Day
Mahatma Gandhi और Bhimrao Ambedkar कितने समान कितने अलग ?| Varchasva