मगध में दांव पर कई महारथियों की प्रतिष्ठा, वोट पर्सेंट बढ़ने से किसे फायदा-किसे नुकसान?

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 122 सीटों पर चुनाव हो चुका है. 14 नवंबर को नतीजे आएंगे. दूसरे चरण में मगध के 26 सीटों पर मतदान हुआ है. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार अधिकांश सीटों पर मतदान अधिक हुआ है. बोधगया सुरक्षित क्षेत्र में 18 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. लिहाजा, एनडीए और महागठबंधन इस गुणा भाग में हैं कि इसका लाभ किसे मिलेगा. दोनों गठबंधन के महारथियों के समक्ष असमंजस की स्थिति है.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मगध के 26 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ, परिणाम 14 नवंबर को घोषित होंगे
  • मगध क्षेत्र में एनडीए-महागठबंधन के नेताओं के परिवार के कई सदस्य और पूर्व विधायकों के परिजन चुनावी मैदान में
  • गया की 10 सीट में 2020 में 5 पर एनडीए और पांच पर महागठबंधन का कब्जा, इस बार दोनों गठबंधनों के बीच कड़ा मुकाबला
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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 122 सीटों पर चुनाव हो चुका है. 14 नवंबर को नतीजे आएंगे. दूसरे चरण में मगध के 26 सीटों पर मतदान हुआ है. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार अधिकांश सीटों पर मतदान अधिक हुआ है. बोधगया सुरक्षित क्षेत्र में 18 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. लिहाजा, एनडीए और महागठबंधन इस गुणा भाग में हैं कि इसका लाभ किसे मिलेगा. दोनों गठबंधन के महारथियों के समक्ष असमंजस की स्थिति है.

बता दें कि मगध के इलाके में केन्द्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जीतन राम मांझी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह, सांसद लवली आनंद, पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह, डॉ अरूण कुमार, चंदेश्वर चंद्रवंशी, जगदीश शर्मा जैसे दिग्गज के परिजन चुनाव मैदान में हैं. इसके अलावा कई विधायक, पूर्व विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

देखें तो, मगध में कुल 26 सीटें हैं, जिसमें सबसे अधिक गया जिले में दस, औरंगाबाद में छह, नवादा में पांच, जहानाबाद में तीन और अरवल में दो है. 2010 में एनडीए 26 में से 24 सीटें जीती थी, जबकि एक सीट राजद और एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी. एनडीए 2015 में छह और 2020 में छह सीटें जीती थी. जबकि महागठबंधन 20-20 सीटें जीतती रही है. महागठबंधन अपनी जीत बरकरार रखना चाहती है. जबकि एनडीए 15 साल पुराने गौरवशाली अतीत की वापसी चाहती है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई नेताओं ने दौरा किया.

दूसरी तरफ, महागठबंधन की ओर से लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता और कांग्रेस के लीडर राहुल गांधी, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद लीडर तेजस्वी यादव और भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य समेत अनेक नेताओं ने चुनावी सभाएं की. ऐसे में जानना दिलचस्प है कि महागठबंधन और एनडीए ने कैसे उम्मीदवार पर भरोसा किया है, जिसके जरिए मगध के किला पर फतह करना चाहते हैं.

गया में पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री के परिजन उम्मीदवार

गया जिले में कुल दस विधानसभा सीट है. अतरी, वजीरगंज, गया, बोधगया, शेरघाटी, इमामगंज, बाराचटटी, टेकारी, गुरूआ और बेलागंज. 2020 के चुनाव में पांच सीटों पर एनडीए और पांच सीटों पर महागठबंधन का कब्जा रहा है. गया टाउन में बिहार के पूर्व मंत्री और निवर्तमान विधायक डॉ प्रेम कुमार बीजेपी से उम्मीदवार हैं. डॉ प्रेम कुमार लगातार आठ दफा निर्वाचित हुए हैं.दूसरी तरफ, कांग्रेस से पूर्व मेयर अखौरी ओंकारनाथ हैं. जबकि चतरा के पूर्व सांसद रहे धीरेंद्र अग्रवाल जनसुराज से हैं. गुरूआ में बीजेपी से पूर्व विधान पार्षद उपेन्द्र प्रसाद हैं, जबकि राजद से विनय कुमार निवर्तमान विधायक हैं. शेरघाटी में एलजेपीआर से उदय कुमार सिंह, जबकि राजद से प्रमोद कुमार वर्मा है. दोनों नए चेहरा हैं.

इमामगंज सुरक्षित क्षेत्र में केन्द्रीय मंत्री और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पुत्रवधू दीपा कुमारी हम सेक्युलर से उम्मीदवार हैं. दीपा निवर्तमान विधायक हैं. दीपा बिहार के मंत्री संतोष मांझी की पत्नी हैं. यही नहीं, दीपा बाराचट्टी की विधायक ज्योति मांझी की बेटी हैं. दूसरी तरफ, राजद ने ऋतु प्रिया चौधरी को मैदान में उतारा है. वह आर्किटेक्ट इंजीनियर रही हैं. इमामगंज हॉट सीट रहा हैं. इस सीट से निर्वाचित होकर जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने, जबकि उदयनारायण चौधरी विधानसभा अध्यक्ष.

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बाराचटटी सुरक्षित क्षेत्र से केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की समधिन ज्योति देवी उम्मीदवार हैं. ज्योति निवर्तमान विधायक हैं. दूसरी तरफ, राजद से तनुश्री कुमारी उम्मीदवार हैं. पूर्व विधायक भगवतिया देवी की नतिनी और पूर्व सांसद विजय मांझी की भगिनी हैं. तनुश्री पूर्व विधायक समता देवी की बेटी हैं.

बोधगया सुरक्षित क्षेत्र से राजद से निवर्तमान विधायक कुमार सर्वजीत हैं. जबकि बोधगया के पूर्व बीजेपी विधायक श्यामदेव पासवान एलजेपीआर से मैदान में है. टिकारी से राजद से अजय कुमार हैं. जबकि हम सेक्युलर से पूर्व मंत्री और निवर्तमान विधायक अनिल कुमार हैं.

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वजीरगंज में बीजेपी से निवर्तमान विधायक वीरेंद्र सिंह है. जबकि कांग्रेस से पूर्व मंत्री अवधेश कुमार सिंह. बहुजन समाज पार्टी चितरंजन कुमार उर्फ चिंटू भैया की इंट्री से मुकाबला संघर्षपूर्ण बना हुआ है.

बेलागंज से जदयू की निवर्तमान विधायक मनोरमा देवी हैं. मनोरमा देवी बाहुबली बिंदी यादव की पत्नी हैं. जबकि राजद से बाहुबली पूर्व मंत्री सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह हैं. जबकि अतरी में राजद से विजयंती देवी है. बाहुबली पूर्व विधायक राजेन्द्र यादव और पूर्व विधायक कुंती देवी की बहू हैं. अतरी में अजय कुमार यादव निवर्तमान विधायक हैं. जबकि हम सेक्युलर से जहानाबाद के पूर्व सांसद अरूण कुमार का भतीजा रोमित कुमार हैं.

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औरंगाबाद में पूर्व केन्द्रीय मंत्री, सांसद और पूर्व सांसद के परिजन

औरंगाबाद जिले के छह सीटों पर महागठबंधन का कब्जा रहा है. औरंगाबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से निवर्तमान विधायक आनंद शंकर हैं. दूसरी ओर बीजेपी से पूर्व राज्यसभा सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे गोपाल नारायण सिंह के पुत्र त्रिविक्रम नारायण सिंह मैदान में हैं.

रफीगंज से जदयू से प्रमोद कुमार सिंह हैं. दो बार एलजेपी और निर्दलीय से लड़ चुके हैं. प्रमोद सिंह तीसरी दफा चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि राजद की ओर से गुलाम शाहीद हैं. गुलाम शाहीद पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष हैं. फिलहाल उनकी पत्नी अध्यक्ष हैं. पहली दफा चुनाव लड़ रहे हैं. राजद के निवर्तमान विधायक नेहालुद्दीन की जगह गुलाम शाहीद को उतारा गया है.

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गोह से राजद से अमरेन्द्र कुशवाहा हैं. अमरेंद्र कुशवाहा राजद के जिलाध्यक्ष रहे हैं.पहली दफा चुनाव लड़ रहे हैं. निवर्तमान विधायक भीम सिंह की जगह राजद ने टिकट दिया है. दूसरी तरफ, गोह में बीजेपी से डॉ रणविजय शर्मा हैं. गोह से तीन बार विधायक रह चुके हैं।

ओबरा में राजद से पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह के पुत्र ऋषि कुमार हैं. ऋषि राजद के निवर्तमान एमएलए हैं. दूसरी तरफ, एलजेपीआर से समाजसेवी और रोटेरियन प्रकाश चंद्र उम्मीदवार हैं.

नवीनगर से जदयू से चेतन आनंद हैं. चेतन जदयू सांसद लवली आनंद और पूर्व सांसद आनंद मोहन के पुत्र हैं. चेतन आनंद 2020 में शिवहर से राजद से निर्वाचित हुए थे. चेतन के मुकाबले में राजद ने आमोद चंद्रवंशी को उतारा है. वह चंद्रगढ़ पंचायत के मुखिया हैं. पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. राजद ने निवर्तमान विधायक डब्लू सिंह की जगह पर आमोद चंद्रवंशी को उतारा है.

कुटुम्बा में कांग्रेस से निवर्तमान एमएलए राजेश राम हैं. राजेश राम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं. जबकि हम सेक्युलर से ललन राम को उतारा है. ललन राम जदयू के पूर्व विधायक रहे हैं.

नवादा में पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और विधायक उम्मीदवार

नवादा के पांच सीटों में से सिर्फ वारिसलीगंज में एनडीए का कब्जा है. चार अन्य सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. फिलहाल, नवादा विधानसभा में जदयू ने निवर्तमान विधायक विभा देवी को मैदान में उतारा है. जबकि राजद ने पूर्व विधायक कौशल यादव को उम्मीदवार बनाया है. चुनाव के पहले विभा देवी राजद में थी, जबकि कौशल यादव जदयू में थे. नवादा में जनसुराज के अनुज सिंह ने मुकाबला को रोचक बना दिया है.

हिसुआ विधानसभा में कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक नीतू कुमारी को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने पूर्व विधायक अनिल सिंह को. दूसरी तरफ, वारिसलीगंज में बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी अरूणा देवी बीजेपी से उम्मीदवार हैं. अरूणा निवर्तमान विधायक हैं. दूसरी तरफ, राजद ने बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनिता महतो को मैदान में उतारा है. अनिता पहली दफा विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं. मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ी थी, लेकिन हार गईं थी.

रजौली (सुरक्षित) से राजद ने पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष पिंकी भारती को मैदान में उतारा है. जबकि एलजेपीआर ने विमल राजवंशी को. विमल राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. रजौली के निवर्तमान विधायक प्रकाशवीर जनशक्ति जनता दल से उम्मीदवार हैं.

गोविंदपुर में रोचक मुकाबला है. राजद ने पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव को उम्मीदवार बनाया है. जबकि एलजेपी (आर) की ओर से बीजेपी के जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की पत्नी विनिता मेहता उम्मीदवार हैं. वहीं राजद के निवर्तमान विधायक मो कामरान निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. इसलिए मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है.

जहानाबाद में तीन पूर्व सांसदों के परिवार

जहानाबाद से पूर्व सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी जदयू से उम्मीदवार हैं. जबकि राजद से पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल कुमार उम्मीदवार हैं. जहानाबाद के विधायक सुदय यादव थे, जिन्हें कुर्था से उम्मीदवार बनाया गया. उनकी जगह राहुल को उम्मीदवार बनाया गया है.

घोषी विधानसभा सीट पर सीपीआईएमएल से रामबली सिंह यादव हैं. जबकि जदयू से पूर्व सांसद अरूण कुमार के पुत्र ऋतुराज कुमार है.

मकदुमपुर सुरक्षित सीट पर एलजेपीआर से रानी कुमारी हैं. रानी कुमारी जिला परिषद की निवर्तमान अध्यक्ष हैं. इनके पति सत्येद्र चौधरी अधिकारी रहे हैं. जबकि राजद से पूर्व विधायक सुबेदार दास को उम्मीदवार बनाया गया है. सुबेदार दास ने जीतन राम मांझी को भी हराया था. राजद ने निवर्तमान विधायक सतीश दास की जगह सुबेदार दास को उम्मीदवार बनाया है.

अरवल में है महागठबंधन का कब्जा

अरवल जिले के दोनों विधानसभा सीट पर महागठबंधन का कब्जा है. फिलहाल, अरवल में सीपीआईएमएल से निवर्तमान विधायक महानंद सिंह उम्मीदवार हैं. जबकि बीजेपी से गोह के पूर्व विधायक मनोज कुमार को उम्मीदवार बनाया है. मनोज कुमार पूर्व विधायक डीके शर्मा के पुत्र हैं. दूसरी तरफ, कुर्था में राजद से कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव उम्मीदवार हैं. जबकि जनता दल यूनाइटेड से पप्पू वर्मा उम्मीदवार हैं। यह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं.

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