बिहार में वज्रपात का कहर, 6 लोगों की मौत

नालंदा के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में ठनका(वज्रपात) की चपेट में आकर 5 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं.

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  • बिहार के विभिन्न जिलों में वज्रपात की घटनाओं में 6 लोगों की मौत और कई अन्य के गंभीर रूप से घायल हो गए।
  • नालंदा जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में ठनका गिरने से दो महिलाएं, एक किशोर, एक किसान और एक अधेड़ व्यक्ति की मौत हुई है।
  • जहानाबाद जिले के हुलासगंज थाना क्षेत्र में तेज बारिश के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई।
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नालंदा:

बिहार में वज्रपात ने फिर से कहर बरपाया है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए. राज्य के विभिन्न जिलों में बिजली गिरने की घटनाएं सामने आई हैं. नालंदा के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में ठनका(वज्रपात) की चपेट में आकर 5 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं. मरने वालों में दो महिलाएं, एक किशोर और एक किसान और एक अधेड़ व्यक्ति शामिल हैं.

जहानाबाद में बारिश और ठनका ने कहर बरपाया है. ठनका गिरने से एक मजदूर की मौत हो गयी. घटना हुलासगंज थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव के बधार की है. मृतक मजदूर की पहचान दुर्गापुर गांव निवासी 45 वर्षीय विनोद मांझी के रूप में की गई है. घटना के संबंध में बताया जाता है कि विनोद मांझी सुबह से ही खेत में काम कर रहे थे. इसी दौरान तेज बारिश शुरू हो गई और आकाशीय बिजली चमकने के बाद सीधे उनके ऊपर गिर गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.

किस घटना को कहते हैं बिजली गिरना?

मौसम वैज्ञानिकों और भौतिकविदों के मुताबिक बिजली गिरने की घटनाएं दो तरह की होती हैं. पहली बादल और जमीन क बीच और दूसरी बादलों के बीच.इस दौरान हाई वोल्टेज बिजली का प्रवाह होता है.इसके साथ एक तेज चमक या अक्सर गरज-कड़क के साथ बिजली गिरती है.दुनिया में बिजली गिरने का औसत प्रति सेकंड 50 का है. देश में आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें चिंता का कारण बनती जा रही हैं. विशेषज्ञ इस दिशा में कदम उठाने की अपील कर रहे हैं.

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शोधकर्ताओं ने बताया कि जून और जुलाई में मानसूनी शुरू होने के साथ ही बिजली गिरने की घटनाएं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाती हैं, जो मुख्य रूप से पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के संपर्क के कारण होती है. संसद में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बादल से जमीन पर बिजली गिरने से हर साल हजारों लोगों की जान चली जाती है और बिजली से होने वाली मौतों के मामले में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ बिहार शीर्ष तीन सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है.

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मैदानी इलाकों में तूफान और बिजली गिरने की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया है कि मैदानी इलाकों में तूफान और बिजली गिरने की संभावना रहती है, क्योंकि उत्तर-पश्चिम भारत की गर्म, शुष्क हवा बंगाल की खाड़ी से निकलने वाली नम हवा के साथ मिलती है, जिससे गहरे संवहन बादलों के निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती हैं.

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मुआवजा पर कितना खर्च होता है?

अध्ययन के अनुसार, पूर्वी राज्य, जिसका अधिकांश भाग सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में स्थित है, बिजली गिरने से मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों को मुआवजा भुगतान पर हर साल 12-15 करोड़ रुपये खर्च करता है. अध्ययन में कहा गया है कि राज्य का आपदा बजट लगभग 300 करोड़ रुपये है, जिसमें अनुग्रह भुगतान पर एक महत्वपूर्ण राशि खर्च की गई है.

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