- बिहार चुनाव के दो चरणों में नामांकन प्रक्रिया 17 और 20 अक्टूबर तक पूरी होगी, सीमांचल दूसरे चरण में शामिल है
- ज्योतिषियों के अनुसार, 16 और 17 अक्टूबर का समय नामांकन के लिए सबसे शुभ माना जा रहा है
- रिक्ता तिथि को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है, क्योंकि यह तिथि सामान्यतः सफल परिणाम नहीं देती है
बिहार चुनाव का बिगुल बज चुका है और दो चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है, पहले चरण का नामांकन 17 अक्टूबर को खत्म हो जाएगा तो दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया पर 20 अक्टूबर को विराम लग जाएगा. सीमांचल में दूसरे चरण में मतदान होना है, जिसके लिए 13 से 20 अक्टूबर तक प्रत्याशी नामांकन का पर्चा दाखिल कर सकेंगे. चुनाव चिन्ह मिलने के बाद 'नेताजी' अपने इलाकों का रुख कर चुके हैं, जहां पूजन और हवन का दौर जारी है. यक्ष प्रश्न यह है कि नामांकन के लिए शुभ मुहूर्त कौन सा होगा, मतलब कौन सी तारीख और कौन सी शुभ घड़ी. ऐसे में ज्योतिषी और पंडितों से 'नेताजी' का सलाह-मशविरा जारी है.
ऐसे ही ज्योतिषियों की सलाह के अनुसार, द्वितीय चरण के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 16 और 17 अक्टूबर माना गया है. जानकारों के अनुसार, 13 से 15 अक्टूबर रिक्ता तिथि है, जो शुभ कार्यों के योग्य नहीं है. जबकि 16 अक्टूबर को जय योग बनता है और 17 अक्टूबर को एकादशी है, जो शुभ योग माना जाता है. शायद यही वजह रही कि सीमांचल के इलाके में 13 -15 अक्टूबर तक इक्के-दुक्के प्रत्याशियों ने नामांकन कराया है. देखना दिलचस्प होगा कि 'शुभ मुहूर्त वाले' नेताजी' का जन अदालत में 14 नवंबर को मुहूर्त शुभ साबित हो पाता है या नहीं.
रिक्ता तिथि से प्रत्याशियों को क्यों है परहेज
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 13-15 अक्टूबर रिक्ता तिथि के योग में आता है. रिक्ता तिथि का अर्थ उस तिथि से होता है जो सामान्यतः शुभ कार्यों के लिए वर्जित मानी जाती है. रिक्ता तिथि चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी को कहा जाता है, जो दोनों कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आती है. रिक्ता का अर्थ खाली होता है और खाली दिन में शुभ कार्य की मनाही होती है. पंडित सत्यनारायण मिश्र के अनुसार, रिक्ता तिथि को शुभ कार्य करने से सफलता की संभावना कम होती है. यह दिन तंत्र-मंत्र से जुड़े मामलों में फलदायी होता है. हालांकि मिश्र कहते हैं कि अगर रिक्ता तिथि शनिवार को पड़ती हो तो इसकी अशुभता थोड़ी कम हो जाती है.
क्यों प्रत्याशियों को है जय-योग का इंतजार
ज्योतिषाचार्य राजेश तिवारी के अनुसार, 16 अक्टूबर को जय योग है, जो नामांकन जैसे शुभ कार्य के लिए विशेष फलदायी साबित हो सकता है. यह योग व्यक्ति को विजय, प्रतिष्ठा और सफलता प्रदान करता है. यह योग तब बनता है, जब छठा भाव का स्वामी कमजोर स्थिति में होता है. साथ ही दशम भाव का स्वामी मजबूत या स्वयं के घर में स्थित होता है. छठा भाव शत्रु, रोग ,ऋण और बाधाओं से जुड़ा होता है. जबकि, दशम भाव कर्म, व्यवसाय और प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है.
नामांकन का शुभ मुहूर्त कब
तिवारी के अनुसार, छठा भाव दुर्बल और दशम भाव शक्तिशाली होता है तो जातक अपने जीवन की कठिनाइयों, विरोधियों और बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है. यह स्थिति जय-योग कहलाती है. हालांकि, जय-योग में शुभ-काल को लेकर मतभिन्नता है. तिवारी दोपहर 1.46 बजे से 4.46 बजे तक के समय को उत्तम काल मानते हैं, जबकि पण्डित सत्यनारायण मिश्र पूरे दिन को शुभ-काल मानते हैं. वहीं 17 अक्टूबर को भी नामांकन के लिए शुभ दिन माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन एकादशी है. इस दिन शुभ-घड़ी दोपहर 1.19 बजे तक के समय को माना गया है.