IRCTC घोटाले में लालू परिवार पर आरोप तय! क्या इसका असर 2025 के बिहार चुनाव पर पड़ेगा?

आरजेडी नेतृत्व द्वारा इस फैसले को विरोधाभासी और राजनीतिक उत्पीड़न के रूप में पेश किया जाएगा. उनका तर्क होगा कि यह मामला निर्धारित समय पर चलाया गया राजनीतिक हमला है, ताकि जनता का ध्यान मुद्दों से भटकाया जाए.

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  • दिल्ली की विशेष अदालत ने लालू परिवार के खिलाफ IRCTC होटल घोटाले में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप तय किए हैं
  • राजद नेतृत्व इस फैसले को राजनीतिक हमला बताती रही है
  • आरोप तय होने से राजद की चुनावी तैयारियों और गठबंधन वार्ताओं पर असर पड़ सकता है
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही तैयारियों के बीच सोमवार को दिल्ली की विशेष अदालत से लालू परिवार को झटका लगा. अदालत ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर IRCTC होटल घोटाले में भ्रष्टाचार, साजिश और धोखाधड़ी के आरोप तय किए हैं. यह फैसला राजद नेतृत्व के लिए राजनीतिक झटका है, विशेषकर चुनावी समय पर, लेकिन इसका असर दो तरह से हो सकता है. 

आरजेडी नेतृत्व द्वारा इस फैसले को विरोधाभासी और राजनीतिक उत्पीड़न के रूप में पेश किया जाएगा. उनका तर्क होगा कि यह मामला निर्धारित समय पर चलाया गया राजनीतिक हमला है, ताकि जनता का ध्यान उन मुद्दों से भटकाया जाए जो सरकार की नाकामी को उजागर करते हैं, जैसे बेरोजगारी, विकास, किसानों की समस्या आदि.

तेजस्वी यादव इसे विरोधी की साजिश बता सकते हैं

तेजस्वी यादव पहले से ही विपक्ष के चेहरे हैं; वे इसे “लोकतंत्र की लड़ाई” बताते रहे है. जहां तक उनके समर्थकों की बात है, उनको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि लालू और उनके परिवार पर कोई भ्रष्टाचार के आरोप लगे है या कोर्ट का कोई आदेश आया है. वो मानते हैं की कोर्ट और सीबीआई का इस्तेमाल कर भाजपा उनके नेता और उनके परिवार को परेशान करती है.

लेकिन दूसरी ओर, पार्टी की चुनावी तैयारी, प्रचार अभियान, गठबंधन वार्ता आदि में आज की घटना दबाव बढ़ा सकती है. उदाहरण के लिए, इंडिया ब्लॉक में सीट-वितरण की वार्ता पहले से ही देरी का शिकार है, और मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि लालू–तेजस्वी का दिल्ली जाना इस देरी का एक कारण है.  इससे विपक्षी दलों के अंदर टकराव की आशंका है. साथी दलों को यह डर हो सकता है कि क्या गठबंधन को इस घोटाले की छाया में लड़ना सुरक्षित है?

युवा वोटर्स पर पर सकता है असर

कुछ चुनावी क्षेत्र और युवा मतदाताओं में एक कुनबा ऐसा भी है जो भ्रष्टाचार-घोटाले के मामले में संवेदनशील हैं और उनके लिए यह निर्णय राजद की साख पर कुठाराघात हैं. लेकिन दूसरी ओर, ग्रामीण इलाकों में, जाति समीकरणों का प्रभाव अभी भी प्रबल है. राजद–जद (यू) कांग्रेस जैसी पार्टियां इस फैसले को “सियासी दबाव” बताकर मोड़ने की पूरी कोशिश करेंगी. 
 याद रहे, अदालत ने आरोप तय किए हैं, दोष सिद्ध नहीं हुआ है.   राजद यह तर्क दे सकती है कि न्याय प्रक्रिया लंबी है, और फैसले का राजनीतिक उपयोग किया जा रहा है. 

एनडीए लाभ उठाना चाहेगी

जब विरोधी दलों पर घोटाले के आरोप तय हों, तो शासन पक्ष और अन्य पार्टियां इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करेंगी. लेकिन साथ ही उन्हें सावधानी भी बरतनी होगी, बहुत अधिक हमला कभी मतदाताओं में कटुता उत्पन्न कर सकता है.  केंद्र और राज्य सरकार यह दिखाने में जुट सकती हैं कि कार्रवाई सभी पर होती है, चाहे वह बड़ा नेता हो या छोटा. वे कह सकती हैं कि “कोई नहीं बचेगा”  और जनता के बीच स्वच्छ राजनीति की बात कर सकती है. यह खास तौर पर उन इलाकों में असर करेगा जहां भ्रष्टाचार को केंद्रित मुद्दा माना जा रहा है,  जैसे शहरी मतदाता और युवा वर्ग. 

सरकार और सरकारी दल यह कहेगी कि जो लोग भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त नहीं हो सकते, कैसे जनता की सेवा करेंगे? वे यह भी प्रचार कर सकती हैं कि विपक्ष नकारात्मक राजनीति पर केंद्रित है, विकास मुद्दों पर बात करने में विफल है. 
 लेकिन न्याय प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है, इसलिए अगर सरकार अधिक आक्रामक हो जाए, तो विपक्ष न्यायिक स्वतंत्रता, राजनीतिक दमन के तर्क को उछालेगा. कुल मिला के IRCTC मामले में आरोप तय होना, बिना सजा के, एक राजनीतिक अवसर और संकट दोनों के रूप में सामने आएगा.  राजद व विपक्ष को इसे अन्याय, उत्पीड़न, लोकतंत्र की लड़ाई के रूप में जानता के बीच में  ले जाएगा  वही सत्ता पक्ष इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई और सामान्य नायायिक प्रक्रिया बताती रहेगी. 

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