- केंद्रीय मंत्री ललन सिंह मोकामा विधानसभा क्षेत्र में अनंत सिंह के समर्थन में चुनावी प्रचार की कमान संभालेंगे.
- अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद भूमिहार वोटरों का समर्थन मोकामा चुनाव में निर्णायक माना जा रहा है.
- जेडीयू की रणनीति में भूमिहार वोट बैंक को अनंत सिंह के पक्ष में जुटाना चुनावी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है.
बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह के जेल जाने के बाद केंद्रीय मंत्री राजीव कुमार सिंह उर्फ ललन सिंह 3 मार्च नवंबर को मोकामा विधानसभा क्षेत्र में सघन दौरा कर चुनावी कमान संभालेंगे. शनिवार की देर रात बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह की गिरफ़्तारी और रविवार को पटना कोर्ट में प्रस्तुत कर बेउर जेल जाने तक कल कार्यकर्ताओं ने चुनाव प्रचार किया था, लेकिन आज मंत्री ललन सिंह रेली से लेकर मोकामा नगर परिषद तक दर्जनों ग्राम में प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थन में वोट मांगने का काम करेंगे. लोकसभा चुनाव के दौरान ललन सिंह के चुनाव में अनंत सिंह ने मदद की थी. अब बारी ललन सिंह की है.
मोकामा का गणित
ललन के साथ अनंत कुमार सिंह के बेटों के भी रहने की संभावना है. मोकामा में भूमिहार और यादव वोटरों का अच्छा खासा प्रभाव है. अनंत सिंह की जीत के लिए भूमिहार वोटरों का साथ जरूरी है, और ललन सिंह का साथ आना इस समीकरण को मजबूत कर सकता है. कारण ये है कि ललन सिंह के खिलाफ आरजेडी ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को उतारा है. वीणा देवी भी भूमिहार जाति से हैं. ऐसे में अगर भूमिहार वोट बंटा तो वीणा देवी यादव और भूमिहार वोटों की बदौलत फायदे की स्थिति में होंगी.
ललन-अनंत के रिश्ते
ललन सिंह और अनंत सिंह के रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं, लेकिन हाल ही में दोनों नेताओं ने एक साथ कई कार्यक्रमों में शिरकत की थी, जिससे उनके बीच की दूरी कम होती दिखी. अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी 2019 में मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं. उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के सपोर्ट में अनंत सिंह आ गए और यहीं से रिश्ते एक बार फिर सुधर गए.
जेडीयू की रणनीति
दुलारचंद यादव की हत्या और उसके बाद अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद मोकामा का चुनाव बहुत नाजुक मोड़ पर पहुंच चुका है. यादव वोट पूरी तरह गोलबंद हो चुका है. ऐसे में जेडीयू की कोशिश है कि अनंत सिंह के पक्ष में भूमिहार वोट बैंक पूरी तरह अनंत सिंह के पक्ष में हो जाए. इसीलिए खास तौर पर ललन सिंह को कमान सौंपी गई है. अगर भूमिहार वोट बैंक साथ आ गया तो अति पिछड़ा वोट बैंक पहले से ही जेडीयू के साथ है और इन वोटों के जरिए अनंत सिंह की चुनावी जीत की राह आसान हो सकती है.














