Khagaria Vidhan Sabha Seat : खगड़िया विधानसभा सीट पर कौन मारेगा बाजी? RJD-JDU में कांटे की टक्कर, जातीय समीकरण के आंकड़े जानें

Bihar Assembly Election 2025: साल 2020 के विधानसभा चुनाव में खगड़िया विधानसभा क्षेत्र में 2,60,064 मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 2,67,640 हो गए. यह सीट अपनी विविध जनसंख्या और जातीय समीकरणों के लिए जानी जाती है.

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Khagaria Vidhan Sabha Seat: खगड़िया विधानसभा सीट का इतिहास
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  • बिहार विधानसभा चुनाव में खगड़िया जिले की खगड़िया विधानसभा सीट बहुत ही अहम है.
  • इस सीट पर अब तक 17 चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस 5 बार, जेडीयू 3 बार और बीजेपी ने 2 बार जीत हासिल की.
  • 2020 के चुनाव में कांग्रेस के छत्रपति यादव ने जेडीयू की पूनम देवी यादव को महज 3000 वोटों से हराया था.
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव में खगड़िया जिले की खगड़िया विधानसभा सीट बहुत ही अहम जगह रखती है. इस सीट का इतिहास राजनीतिक और सामाजिक लिहाज से बेहद रोचक है. साल 1951 से अस्तित्व में आई यह सीट कभी कांग्रेस का अभेद्य किला थी,लेकिन समय के साथ राजनीतिक समीकरण बदले और अब यह जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच कांटे की टक्कर का मैदान बन चुकी है.

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 खगड़िया विधानसभा सीट पर कब कौन जीता?

यहां अब तक 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं. कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की, जबकि जेडीयू ने तीन बार जीत का परचम लहराया. संयुक्त समाजवादी पार्टी, निर्दलीय उम्मीदवारों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया है. हाल के वर्षों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच इस सीट पर सीधा मुकाबला देखने को मिला है.

  • खगड़िया विधानसभा सीट पर 1952 से 1962 तक कांग्रेस का दबदबा रहा, जब द्वारिका प्रसाद और केदार नारायण सिंह आजाद ने जीत हासिल की.
  •  1967 और 1969 में संयुक्त समाजवादी पार्टी के राम बहादुर आजाद ने बाजी मारी.
  •  1972 और 1977 में राम शरण यादव ने भारतीय जनसंघ और निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की.
  • साल 1980 में जनता पार्टी और 1985 में कांग्रेस ने वापसी की.
  •  1990 में निर्दलीय रणवीर यादव और 1995 में भाजपा की चंद्रमुखी देवी विजयी रहीं.
  •  2000 में सीपीआई के गोगेंद्र सिंह ने कब्जा जमाया.
  • 2005 से 2015 तक जेडीयू की पूनम देवी यादव का दबदबा रहा, जिन्होंने लगातार तीन बार जीत हासिल की
  • 2020 में कांग्रेस के छत्रपति यादव ने पूनम देवी को मात्र 3,000 वोटों से हराकर राजनीतिक तौर पर हलचल पैदा कर दी.

 इस चुनाव में एलजेपी की रेणु कुमारी ने 20,719 वोट लेकर तीसरा स्थान हासिल किया, जिसने जेडीयू की हार में अहम भूमिका निभाई.

खगड़िया विधानसभा क्षेत्र में कितने मतदाता?

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में खगड़िया विधानसभा क्षेत्र में 2,60,064 मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 2,67,640 हो गए. यह सीट अपनी विविध जनसंख्या और जातीय समीकरणों के लिए जानी जाती है. आंकड़ों के अनुसार, खगड़िया में वैश्य 50,000, यादव 32,000, दलित 30,000, मुस्लिम 24,000, अगड़ी जाति 20,000, कुर्मी 18,000, कोयरी 16,000, पासवान 15,000, सहनी 15,000 और अन्य जातियों के मतदाता 45,000 हैं.

इन समुदायों का संतुलन इस क्षेत्र के चुनावी परिदृश्य को आकार देता है, जहां यादव, भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी, पासवान और मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. खगड़िया की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं. यादव सामाजिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं और अपनी एकजुटता के लिए जाने जाते हैं, जो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे दलों के लिए मजबूत आधार प्रदान करते हैं.

खगड़िया विधानसभा सीट पर किन जातियों का दबदबा?

दूसरी ओर, भूमिहार और ब्राह्मण परंपरागत रूप से ऊंची जातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) जैसे दलों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं. वहीं, कुर्मी और कोयरी जैसे मध्यम वर्ग के किसान समुदाय भी अपनी संख्या और संगठित वोटिंग पैटर्न के कारण सभी सियासी दलों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहते हैं. दलित और पासवान समुदाय अपने सामाजिक अधिकारों को लेकर मुखर रहते हैं, जो लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और अन्य दलित-केंद्रित राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.

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अगर हम मुस्लिम वोटरों की बात करें तो अभी तक के परंपरागत वोटिंग पैटर्न के आधार पर कहा जा सकता है कि उनका स्वाभाविक रुझान रआरजेडीऔर कांग्रेस जैसे दलों के पक्ष में रहता है. वहीं, सहनी समाज और अपेक्षाकृत बेहद कम आबादी वाली जातियां भी बेहद अहम हैं.

खगड़िया विधानसभा सीट के क्या हैं मुद्दे?

स्थानीय मुद्दे जैसे बाढ़, बेरोजगारी और कृषि संकट भी वोटरों के मन को प्रभावित करते हैं. कोसी नदी के किनारे बसा खगड़िया बार-बार बाढ़ की चपेट में आता है. खगड़िया में गंगा, बूढ़ी गंडक, बागमती और कोसी नदियां बहती हैं, जिसके कारण बाढ़, कटाव और पुनर्वास प्रमुख समस्याएं हैं.

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इनपुट- IANS
 

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