कटिहार विधानसभा का सियासी केंद्र: भाजपा का गढ़, आधी आबादी मुस्लिम, क्या निशा सिंह देंगी टक्कर

बिहार के पूर्वी क्षेत्र का एक प्रमुख आर्थिक, शैक्षिक और प्रशासनिक केंद्र, कटिहार शहर न केवल राज्य का दसवां सबसे बड़ा शहर है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी यह सीट भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत किला बन चुकी है.

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  • कटिहार विधानसभा पूर्वी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शहरी-बहुल निर्वाचन क्षेत्र है, 63.76 प्रतिशत मतदाता शहरी हैं
  • भाजपा ने पिछले दो दशकों में कटिहार विधानसभा सीट पर अपना दबदबा कायम किया है और लगातार चार चुनाव जीते हैं
  • कटिहार में मुस्लिम मतदाता लगभग 25.9 प्रतिशत हैं, जो चुनावी समीकरणों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
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बिहार के पूर्वी क्षेत्र का एक प्रमुख आर्थिक, शैक्षिक और प्रशासनिक केंद्र, कटिहार शहर न केवल राज्य का दसवां सबसे बड़ा शहर है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी यह सीट भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत किला बन चुकी है. कटिहार विधानसभा सीट, जो कटिहार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के तहत छह विधानसभा खंडों में से एक है, पिछले दो दशकों से पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के व्यक्तिगत प्रभुत्व का गवाह रही है.

1957 में स्थापित कटिहार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र ने अब तक 16 बार विधायक चुने हैं. यह एक शहरी-बहुल सीट है, जहां कुल मतदाताओं में 63.76 प्रतिशत शहरी मतदाता और 36.24 प्रतिशत ग्रामीण मतदाता हैं. यह सीट आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए लगातार पांचवीं जीत हासिल करने का लक्ष्य है.

वोट गणित और सामाजिक समीकरण

कटिहार सीट पर विभिन्न समुदायों का मिश्रण है, जिनमें मुस्लिम मतदाता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 9.96% मतदाता हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति 6.36% हैं. मुस्लिम मतदाता लगभग 25.9% के साथ एक महत्वपूर्ण समूह बनाते हैं. शहरी मतदाता 63.76% के साथ निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख हैं, जबकि ग्रामीण मतदाता 36.24 प्रतिशत हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में, कटिहार में 273,824 पंजीकृत मतदाता थे, जिसमें 62.33 प्रतिशत मतदान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनावों तक, मतदाता संख्या मामूली रूप से 548 बढ़कर 274,372 हो गई.

कब-कब कौन जीता: भाजपा का मजबूत गढ़

कटिहार सीट का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में भाजपा का दबदबा स्पष्ट है. कांग्रेस ने यहां चार बार जीत हासिल की. भाजपा (भारतीय जनसंघ सहित) ने कुल छह बार जीत हासिल की है. बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद ने यहां दो बार (2000 और 2005 में) जीत हासिल की, लेकिन तब से वह भाजपा के प्रभुत्व को तोड़ने में संघर्ष कर रही है.

पूर्व बिहार उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद पिछले दो दशकों से कटिहार में अजेय रहे हैं. उन्होंने लगातार चार विधानसभा चुनाव जीते हैं. 2020 के चुनाव में, उन्होंने अपने राजद प्रतिद्वंद्वी को 10,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. लेकिन इस बार बीजेपी ने कटिहार से निशा सिंह पर दांव खेला है.

माहौल क्या है?
आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबला भाजपा और महागठबंधन (राजद/कांग्रेस) के बीच कड़ा रहने वाला है. कटिहार सीट पर भाजपा का मुकाबला राजद से होना तय है. एक तरफ जहां निशा सिंह ताल ठोंक रही हैं. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन मुस्लिम और आरक्षित जाति के वोटों को एकजुट कर जीत हासिल करने की कोशिश करेगा. शहरी विकास, औद्योगिक केंद्र के रूप में कटिहार की प्रगति और रोजगार के मुद्दे चुनावी एजेंडे पर प्रमुख रहेंगे.

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