जोकीहाट सीट पर एआईएमआईएम के मुर्शीद आलम ने जदयू के मंजर आलम को 28,803 वोटों से हराया

यहां से जदयू चार बार, कांग्रेस, जनता पार्टी, राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में तीन पूर्व मंत्री सहित चार प्रमुख प्रत्याशी के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है.
  • स्व. तस्लीमुद्दीन की राजनीतिक विरासत उनके दो पुत्रों द्वारा विभाजित होकर चुनावी माहौल प्रभावित कर रही है.
  • यहां कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख सत्तासी हजार है, जिसमें मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी अधिक है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

जोकीहाट सीट पर एआईएमआईएम के मुर्शीद आलम ने जदयू के मंजर आलम को 28,803 वोटों से हराया. यहां तीन पूर्व मंत्री आमने-सामने थे. यहां तीन पूर्व मंत्री सहित चार प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त मुकाबला रहा. कभी इस क्षेत्र की राजनीतिक सीमांचल गांधी के नाम से चर्चित पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. तस्लीमुद्दीन के ही ईर्दगिर्द घूमती रही थी. मगर ये किला भी टूट गया.

आज उनके राजनीतिक विरासत को उनके दो पुत्रों ने आमने-सामने होकर चुनावी माहौल को ही बदल दिया है. राजद ने तस्लीमुद्दीन के छोटे पुत्र सिटिंग विधायक सह पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम को उम्मीदवार बनाया था. जन सुराज से उनके बड़े बेटे पूर्व सांसद सह पूर्व मंत्री सरफराज आलम मैदान में थे. एआईएमआईएम से मुर्शीद आलम और जदयू से पूर्व मंत्री मंजर आलम चुनाव मैदान में थे. यहां पिछले चुनाव में एआईएमआईएम के टिकट पर शाहनवाज आलम ने जीत दर्ज की थी. बाद में वे राजद में शामिल हो गए थे. पिछले चुनाव में मिली जीत से एआईएमआईएम का मनोबल भी उंचा है.

जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र का गणित

जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में कुल 278774 पंजीकृत मतदाता हैं.  यहां 65 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिम समुदाय की है. करीब 35 फीसदी हिंदू समुदाय के लोग बसते हैं. इसमें 10 फीसदी पिछड़ी जाति, 13 फीसदी अनुसूचित जाति व अन्य शामिल है. इस सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुका हैं, जिनमें उपचुनाव भी शामिल हैं. स्व तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों ने 11 बार इस सीट पर कब्जा जमाया है. स्व. तस्लीमुद्दीन ने कांग्रेस (1969), निर्दलीय (1972), जनता पार्टी (1977, 1985) और समाजवादी पार्टी (1995) से जीत हासिल की. केंद्र में वे राज्य मंत्री भी रहे थे. उनके बेटे सरफराज आलम 1996 के उपचुनाव में जनता दल से और 2000 में राजद से जीत दर्ज की. 2005 में हार के बाद उन्होंने 2010 और 2015 में जदयू के टिकट पर वापसी की, लेकिन बाद में राजद में लौट आए.

कौन कितनी बार जीता

2020 के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ जब सरफराज ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें छोटे भाई शाहनवाज आलम ने हरा दिया, जो उस समय एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. शाहनवाज ने 7,383 वोटों से जीत हासिल की और बाद में राजद में शामिल हो गए. यहां से जदयू चार बार, कांग्रेस, जनता पार्टी, राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.

Featured Video Of The Day
Nowgam Blast: धमाके के बाद घेराबंदी, स्थानीय लोगों ने बताया 15KM तक उठी धमाके की गूंज | Jammu Kashmir