बिहार में अजब बा! जहानाबाद में सड़क के बीचो-बीच खड़े पेड़, 100 करोड़ की रोड की गजब कहानी

लगभग 7.48 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर दर्जनों पेड़ अब भी बीच सड़क में खड़े हैं, जो कभी भी गंभीर सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं.

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  • बिहार के जहानाबाद जिले में पटना-गया सड़क पर पेड़ हादसों को दावत दे रहे हैं.
  • सड़क चौड़ीकरण का काम 100 करोड़ की लागत से किया गया, लेकिन सड़क के बीच में पेड़ यूं ही खड़े हैं.
  • वन विभाग और जिला प्रशासन के बीच पेड़ों की कटाई को लेकर विवाद की बात सामने आ रही है
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पटना:

बिहार के जहानाबाद जिले की पटना-गया मुख्य सड़क पर एक अजीबोगरीब लेकिन खतरनाक नजारा देखने को मिल रहा है. यहां सड़क चौड़ीकरण का काम तो तेजी से हो गया और डामर भी बिछ गए, किनारे सजे-धजे, लेकिन बीच सड़क पर खड़े दर्जनों पेड़ मौत की तरह जगह-जगह खड़े हुए हैं. ये पेड़ अब सड़क पर चलने वाले हर वाहन और हर व्यक्ति के लिए एक स्थायी खतरा बन चुके हैं. ये मामला पटना गया रोड स्थित एरकी पवार ग्रिड के पास का है, जहां 100 करोड़ की लागत से सड़क चौड़ीकरण किया गया लेकिन सड़क का ये चौड़ीकरण हादसों को दावत दे रहा है. 

क्या है असली मामला?

दरअसल, सड़क चौड़ीकरण की इस परियोजना के दौरान वन विभाग और जिला प्रशासन के बीच पेड़ों की कटाई को लेकर आपस में तनातनी हो गई. जहां वन विभाग ने पेड़ों की कटाई के बदले 14 हेक्टेयर वन भूमि की भरपाई की मांग की. जिला प्रशासन उनकी इस शर्त को पूरा नहीं कर सका और उसी का नतीजा यह हुआ कि सड़क को चौड़ीकरण कर दिया गया वो भी पेड़ छोड़कर. अब सड़क में जगह-जगह पेड़ ही पेड़ नजर आ रहे हैं.

सड़क में पेड़ ही पेड़

सड़क निर्माण करने वालों ने पेड़ों को बीच में छोड़ते हुए उनके इर्द-गिर्द से सड़क को घुमा दिया. यह नजारा मानो सड़क पर हरी मौत के खंभे गाड़ दिए गए हों. नतीजतन दर्जनों पेड़ अब सीधे सड़क के बीचो-बीच खड़े हैं, जिससे प्रतिदिन हजारों वाहन चालक जान जोखिम में डालकर यहां से गुजरने को मजबूर है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क की चौड़ीकरण हो गयी परंतु बीच सड़क से पेड़ नही हटाये गए, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

हादसों को दावत दे रही सड़क

एक राहगीर ने बताया कि बीच सड़क पर पेड़ रहने से यहां कई हादसे हो चुके हैं. बावजूद इसके जिला प्रशासन पेड़ हटाने को लेकर कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही है. यदि इन पेड़ों से टकराकर कोई बड़ी दुर्घटना होती है और किसी की जान चली जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? बहरहाल सड़क तो बन गई, लेकिन सुरक्षा के मूलभूत मानकों की अनदेखी की गई है। सरकारी विभागों के बीच जिम्मेदारी तय न होना चिंता का विषय बन गया है.

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