जनसुराज की प्रीति किन्नर Vs बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार, भोरे सीट से फंस गया मामला

भोरे विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर है. सुनील कुमार का मुकाबला महागठबंधन समर्थित भाकपा माले के उम्मीदवार धनंजय कुमार और जनसुराज की उम्मीदवार प्रीति किन्नर के साथ है.

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  • बिहार शिक्षा मंत्री सुनील कुमार भोरे से एनडीए समर्थित जदयू उम्मीदवार हैं और दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं
  • भोरे पर त्रिकोणीय मुकाबला है जिसमें महागठबंधन के भाकपा माले के धनंजय कुमार और जनसुराज की प्रीति किन्नर भी हैं
  • प्रीति किन्नर थर्ड जेंडर उम्मीदवार हैं जो समाज सेवा के कारण लोकप्रिय हैं. पिछले आठ साल से भोरे में रह रही हैं
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गोपालगंज:

गोपालगंज में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज के स्टूडेंट रहे बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर है. वे भोरे सुरक्षित विधानसभा सीट से एनडीए समर्थित जदयू के प्रत्याशी है. इस बार सुनील कुमार का मुकाबला महागठबंधन समर्थित भाकपा माले के उम्मीदवार धनंजय कुमार और जनसुराज की उम्मीदवार प्रीति किन्नर के साथ है. भोरे विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां पहली बार थर्ड जेंडर से प्रीति किन्नर चुनाव मैदान में है. वे प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज की उम्मीदवार हैं. 

भोरे विधानसभा शेड्यूल कास्ट के लिए रिजर्व सीट है. और यहां पर पूर्व डीजी रहे सुनील कुमार चुनाव मैदान में है. सुनील कुमार दूसरी बार जदयू से उम्मीदवार है. वे पहली बार भोरे विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर बिहार विधानसभा में पहुंचे थे. जहां उन्हें नीतीश कैबिनेट में पहले उत्पाद और निबंधन मंत्री बनाया गया था. जबकि वर्तमान में वे शिक्षा मंत्री है.  

जनसुराज की उम्मीदवार प्रीति किन्नर

सुनील कुमार के अलावा यहां पर भाकपा माले से धनंजय कुमार चुनाव मैदान में है. इससे पहले जितेंद्र पासवान को भाकपा माले ने अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन हत्या के प्रयास के एक मामले में जितेंद्र पासवान की नामांकन के दौरान ही गिरफ्तारी हो गई थी. जिसके बाद महागठबंधन ने अपने प्रत्याशी को बदलकर धनंजय को चुनाव मैदान में उतारा. धनंजय कुमार जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। धनंजय गया जिले के रहने वाले हैं. जबकि सुनील कुमार भोरे विधानसभा के विजयीपुर के रहने वाले हैं. एनडीए और महागठबंधन के अलावा प्रीति किन्नर यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला में दिख रही है.

दरअसल प्रीति किन्नर को जनसुराज पार्टी के द्वारा उम्मीदवार बनाया गया है. वैसे तो प्रीति किन्नर सीतामढ़ी जिले की रहने वाली है. लेकिन वे पिछले आठ साल से गोपालगंज के भोरे में रहकर समाज सेवा कर रही हैं. प्रीति किन्नर पहली बार चर्चा में तब आई, जब कोरोना काल के दौरान उन्होंने समाज सेवा किया था. प्रीति किन्नर ने अब तक दो दर्जन से ज्यादा जोड़ियां की अपने पैसे से शादियां कराई है. हालांकि भोरे विधानसभा क्षेत्र में थर्ड जेंडर की महज 8 ही वोटर हैं. लेकिन प्रीति किन्नर का दावा है कि वे भोरे विधानसभा में लगातार समाज सेवा कर रही है. जिसकी वजह से यहां उन्हें लोगों का भरपूर जन समर्थन मिल रहा है. जहां तक बात करें भोरे विधानसभा के चुनावी आंकड़ों की तो भोर में करीब 40 से 50 फ़ीसदी शेड्यूल कास्ट की आबादी है. 

बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार

इसके अलावा यहां पर करीब 20 फ़ीसदी अगड़ी जाति जिसमें राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ और अन्य जातियां शामिल है. इसके अलावा ईबीसी, ओबीसी, मुस्लिम यादव की भी यहां बड़ी आबादी है. यहां गोपालगंज का सबसे पिछड़ा इलाका रहा है. इस तरह से गोपालगंज में एनडीए वर्सेस महागठबंधन साफ दिख रहा है. लेकिन प्रीति किन्नर के चुनाव मैदान में आने से मामला थोड़ा पेचीदा हो गया है. 

भाकपा माले के उम्मीदवार धनंजय कुमार

2020 में जो चुनाव हुआ था. उसमें भाकपा माले प्रत्याशी जितेंद्र पासवान महज 494 वोट से हार गए थे. सुनील कुमार यहां से पहली बार जीते थे. इस हिसाब से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सुनील कुमार को इस बार भी विधानसभा ने जाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ेगी.

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हालांकि मतदान गुरुवार को सुबह 7 बजे से होना है. ऐसे में मतदाता किस करवट बैठेंगे यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन अभी एनडीए और महागठबंधन के लिए जनसुराज की चुनौती साफ दिख रही है. ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा. यह 14 नवंबर को ही स्पष्ट हो पाएगा.

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