Jamalpur Vidhan Sabha Seat : जमालपुर में इस बार कौन मारेगा बाजी? 2020 में कांग्रेस ने मिटाया था दशकों का सूखा, मुकाबला दिलचस्प है

Jamalpur Vidhan Sabha Seat: जमालपुर विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल 17 चुनाव हुए हैं, जिनमें कई दलों ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर किसी खास दल का लंबे समय तक दबदबा नहीं रह सका है.

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मुंगेर की जमालपुर सीट के बारे में जानें.
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  • जमालपुर विधानसभा क्षेत्र 1951 में स्थापित हुआ और मुंगेर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
  • इस क्षेत्र में अब तक कुल सत्रह चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस, जदयू और अन्य दलों ने जीत हासिल की है.
  • जमालपुर विधानसभा में कुल 3 लाख 38 हजार मतदाता हैं, जिनमें 175204 पुरुष और 153113 महिला वोटर्स हैं.
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पटना:

बिहार के मुंगेर जिले की जमालपुर विधानसभा क्षेत्र अपनी राजनीतिक विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास के लिए जाना जाता है. 1951 में स्थापित यह क्षेत्र मुंगेर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यहां मतदाता अलग-अलग विचारधाराओं वाले दलों को समर्थन देते आए हैं. जमालपुर विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल 17 चुनाव हुए हैं, जिनमें कई दलों ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर किसी खास दल का लंबे समय तक दबदबा नहीं रह सका है.

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जमालपुर विधानसभा सीट पर कब कौन जीता?

  • कांग्रेस ने इस सीट पर चार बार कब्जा जमाया, जिसमें 2020 की जीत 58 सालों के लंबे अंतराल के बाद आई.
  • जनता दल (यूनाइटेड) ने भी चार बार जीत हासिल की, जबकि जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार इस सीट पर परचम लहराया.
  • संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भाकपा, भारतीय जनसंघ (वर्तमान में भाजपा), लोकदल और राजद ने एक-एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की. यह विविधता जमालपुर के मतदाताओं की खुली सोच और बदलते राजनीतिक रुझानों को दर्शाती है.
  • कांग्रेस की जीत के पहले इस सीट पर 2005 से लेकर 2020 तक जदयू का कब्जा रहा.

जमालपुर विधानसभा क्षेत्र में कितने मतदाता?

जमालपुर में कुल  328328 मतदाता हैं. जिनमें 175204 पुरुष वोटर्स और 153113 महिला वोटर्स हैं. साल 1995 में इस सीट से जनता दल के उपेंद्र प्रसाद वर्मा, साल 2000 में आरजेडी से उपेंद्र प्रसाद वर्मा, 2005 में जेडीयू के शैलेश कुमार, साल 2010 में जेडीयू के शैलेश कुमार, 2025 में जेडीयू के शैलेश कुमार और साल 2020 में कांग्रेस के अजय कुमार सिंह ने जीत हासिल की.

जमालपुर का इतहास जानें

जमालपुर, मुंगेर से 9 किलोमीटर दक्षिण में गंगा नदी के तट पर बसा हुआ एक छोटा, लेकिन अहम शहर है. इसे अक्सर मुंगेर का जुड़वां शहर कहा जाता है. अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, पहाड़ियों से घिरे सुहावने वातावरण और आध्यात्मिक महत्व के कारण जमालपुर ध्यान और शांति की तलाश करने वालों के लिए आदर्श स्थान माना जाता है.

जमालपुर का इतिहास प्राचीन मुंगेर से छोटा, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है. 1862 में अंग्रेजों ने इसे एक रेलवे बस्ती के रूप में बसाया, जिसके केंद्र में प्रसिद्ध ब्रिटिशकालीन लोकोमोटिव वर्कशॉप स्थापित हुआ. यह वर्कशॉप आज भी जमालपुर की पहचान है. भारतीय यांत्रिक और विद्युत अभियांत्रिकी संस्थान की स्थापना ने इस शहर को तकनीकी और शैक्षिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बनाया.

महाभारत काल से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

जमालपुर पहाड़ी पर स्थित काली पहाड़ और मां यमला काली मंदिर, जो महाभारत काल से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के कारण श्रद्धालुओं के बीच खासा प्रसिद्ध हैं, इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं. कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर में पूजा की थी, जिससे इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है.

जमालपुर के पास स्थित मुंगेर किला विभिन्न राजवंशों के शासनकाल की गवाही देता है और क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को दर्शाता है. यह किला गंगा नदी के दक्षिणी तट पर एक चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है और गुलाम वंश के प्रारंभिक काल से जुड़ा हुआ माना जाता है.

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इनपुट-IANS

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