पॉलिटिक्स में बड़ी हार, सड़क पर आई परिवार की बड़ी दरार, तेजस्वी के लिए अब क्या है चुनौतियां?

तेजस्वी कमजोर दिख रहे हैं. उनके खासमखास संजय यादव हरियाणा से हैं और वो निशाने पर हैं. घर से बाहर तक एक हंगामा है. इस परिस्थिति में पार्टी में पहले से दरकिनार हुए नेता अपनी नजर गड़ायेंगे.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • तेजस्वी यादव के परिवार में आपसी विवादों और विद्रोह के कारण राजद की चुनावी स्थिति कमजोर हुई है.
  • बिहार में यादव समाज करीब पंद्रह प्रतिशत मतदाता हैं और उनका एक तिहाई वोट टूट कर भाजपा को जाना खतरनाक होगा.
  • लालू परिवार पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के बावजूद यादव समाज ने अब तक उनका समर्थन बनाए रखा है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

राजद के तेजस्‍वी यादव बड़ी मुश्किल में घिरते हुए नजा आ रहे हैं. चुनाव से पहले बड़े भाई और पूर्व मंत्री तेज प्रताप ने विद्रोह किया तो अब चुनाव के दौरान सीटों पर टिकट बंटवारे को लेकर स्थिति खराब रही और अब चुनाव को बुरी तरह से हारते ही अब बड़ी बहन डॉ रोहिणी आचार्य का एपिसोड. सन 2014 के लोकसभा चुनाव में यादव मतदाता भी भाजपा को वोट दिए थे लेकिन सन 2015 के बिहार विधानसभा में वो सभी वापस लालू जी के साथ हो गए. यह भाजपा के लिए चिंतनीय था. उसी के बाद से लालू जी के टक्कर में नित्यानंद राय को आगे बढ़ाने का राजनीति शुरू हुआ. भूपेंद्र यादव को बिहार भाजपा का प्रभारी बनाया गया. नित्यानंद राय को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली और राम सूरत राय को मंत्री पद. पहले से नंद किशोर यादव , हुकुम देव नारायण यादव के साथ राम कृपाल यादव भी थे . 

परिवार में दरार डालेगा वोटर्स पर प्रभाव? 

लेकिन सन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी की लहर रही और यादव नहीं टूटे. गौरतलब है कि बिहार में करीब 15 फीसदी मतदाता यादव समाज से आते हैं. इनका एक तिहाई भी टूट कर अगर भाजपा के साथ आती है तो बिहार में भाजपा बिना नीतीश बैशाखी भी सत्ता में आ सकती है . इसके बाद लालू परिवार पर ईडी और सीबीआई का भी सिकंजा कसा गया . केंद्र जितना दबाव बनाता रहा , यादव समाज उसी ताdत से लालू परिवार के साथ खड़ा रहा . इतने सालों के बाद पहली बार लालू परिवार में दरार के साथ यादव मतदाता में उत्साह में कमी देखी गई. तेजस्वी के बड़े भाई तेजप्रताप का विद्रोह, चुनाव में उनका हेलीकॉप्टर से घूमना, पीएम मोदी की तारीफ करना इत्यादि के बाद अब डॉक्‍टर रोहिणी आचार्य का विद्रोह होना . 

कौन हैं तेजस्‍वी के करीबी संजय यादव 

वर्तमान में तेजस्वी कमजोर दिख रहे हैं. उनके खासमखास संजय यादव हरियाणा से हैं और वो निशाने पर हैं. घर से बाहर तक एक हंगामा है. इस परिस्थिति में पार्टी में पहले से दरकिनार हुए नेता अपनी नजर गड़ायेंगे. तेजस्वी के नेता प्रतिपक्ष बनने पर भी सवाल उठ सकते हैं. पुराने धुरंधर डॉ रामानंद यादव और मनेर के भाई वीरेंद्र अपनी महता खोजेंगे लेकिन इनका प्रभाव क्षेत्रीय ही है. बड़ी तादाद में हारे हुए राजद प्रत्याशी जनबल और धनबल खोने के बाद वर्तमान में उस मनोस्थिति में नहीं होंगे जहां वो तेजस्वी को सपोर्ट कर सके . 

अब क्‍या होगी आगे की रणनीति 

लगभग ऐसी की स्थिति सन 2010 में लालू जी के दल की हो चुकी थी. तब तो राबड़ी स्वयं राघोपुर से हार गई थीं. इस बार कम से कम तेजस्वी जीत कर कमांड अपने हाथों रख सकते हैं. फिर जोश आसान नहीं है क्योंकि अब लालू जी भी काफी उम्रदराज होने के साथ कई रोगों से ग्रसित हैं. इस बार वो सिर्फ एक रोज मैदान में निकले और दानापुर से उनके बाहुबली रीतलाल यादव भी चुनाव हार गए. अब देखना है की तेजस्वी अपने इर्द गिर्द कैसी टीम बनाते हैं, कैसी रणनीति तैयार करते हैं और किस राजनीति के सहारे स्वयं को आगे बढ़ाते हैं क्योंकि यह भी एक सच है कि तमाम हार के बाद भी तेजस्वी के दल को 23 फीसदी वोट तो मिले ही हैं. अब आगे इस वोट में बिखराव नहीं हो और यही उनकी चिंता की वजह होगा.  


 

Featured Video Of The Day
Bihar Election Result: NDA के Vote Share में इजाफा, जानिए 47% कैसे पहुंचा वोट शेयर? | Nitish Kumar
Topics mentioned in this article