बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार कैसे बने साइलेंट किलर? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

नीतीश कुमार ने कुछ नहीं किया उन्होंने सिर्फ लड़किओं को आंगन से बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाया . वो यहीं नहीं रुके बल्कि अपने ‘ न्याय के साथ विकास ‘ के रथ को अति पिछड़ा समाज में ले गए .

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

याद किज़िये आज से 15 वर्ष पूर्व इसी मौसम का दिन जब हमारे गाँव घर के आँगन से निकल कर हमारी बहन बेटी अपने अपने स्कूल ड्रेस में अपनी साइकिल पर सवार स्कूल जाती . वो झुंड की झुंड लड़कियाँ. वक्त आया तो इस बार सूद समेत उन्होंने नीतीश चाचा को ईवीएम के सहारे थैंक्स कहा . अगर आप नीतीश कुमार की पिछले 20 वर्षों की राजनीति देखिए तो वह ‘न्याय के साथ विकास' पर केंद्रित रही .आखिरकार न्याय की शुरुआत कहां से होती है?

न्याय की शुरुआत अपने ही आंगन से निकलती है. नीतीश कुमार ने कुछ नहीं किया उन्होंने सिर्फ लड़किओं को आंगन से बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाया . वो यहीं नहीं रुके बल्कि अपने ‘ न्याय के साथ विकास ‘ के रथ को अति पिछड़ा समाज में ले गए . तमाम क़ानूनी अड़चन के बाद भी पंचायत और नगर परिषद के सीटों में महिलाओं और अति पिछड़ा समाज के लिए आरक्षण दिया . यह एक क्रांति थी . इनका ‘न्याय के साथ विकास' का रथ कुछ कदम आगे बढ़ा तो जीविका दीदी की इतनी बड़ी फौज इन्होंने तैयार कर दी जो धर्म और जाति के बंधन को तोड़ नीतीश कुमार को आशा का प्रतीक बनाई . वक्त आया तो ईवीएम के माध्यम से थैंक्स कहा. 

लेकिन कुछ एक मौकों को छोड़ इन्होंने अपने लव कुश की जोड़ी को हमेशा साथ रखा . इसमें दरार भी आया लेकिन इन्होंने इस बार उस दरार को बड़ी ख़ूबसूरती से टिकट बंटवारा में समुचित जगह देते हुए इनकी नाराज़गी दूर की. स्वयं की जाति और स्वयं का ज़िला तो पिछले 31 सालों से पीछे खड़ा था. अपनी धरनिरपेक्ष छवि के कारण मुस्लिम समाज में भी इन्होंने अपने लिए कोई कड़वाहट नहीं पैदा की . राजनीति में अपने इर्द गिर्द सवर्ण समाज को रखते हैं जिसका संदेश भी जाता है : ‘नीतीश कुमार सबके हैं ‘. 

राजनीतिक विश्लेषक और कई विपक्षी दल यह भूल जाते हैं कि महिला समाज का हक 50 % है . चुनावी प्रक्रिया में सुधार होते रहने के बाद , बिहार में महिला और अति पिछड़ा दोनों को अपने मन से वोट देने का बल मिलता गया और उनके रास्ते नीतीश कुमार हर कदम पर मुस्कुराते मिले . 

आपको बता दें कि शराबबंदी एक ऐतिहासिक फैसला था जिसमे घरेलू महिलाओं को बहुत राहत मिली. हालांकि यह फैसला कई बार समाज के कटघरे में आया लेकिन आमजन इससे खुश मिले और खासकर महिला. ऐसे कई फैक्टर रहे जो इस बार नीतीश कुमार के तरफ़ मुड़े क्योंकि तेजस्वी किसी भी ऐसे ज़मीनी मुद्दों को घेर पाने या उसका काट निकालने में असफल रहे. जो कुछ कसर बाक़ी रहा , वह चुनाव पूर्व महिलाओं के खाते में दस हज़ार ने पूरा कर दिया .मेरी नज़र में इस बार भाजपा भी नीतीश के ड्राइविंग मूड का ज़्यादा फ़ायदा उठाई क्योंकि जमीनी स्तर पर नीतीश के लोग उनके साथ खड़े थे और अधिकांश को मोदी से भी दिक्कत नहीं थी . बस बन गया नज़ारा . अबकी बार 200 पार .

Featured Video Of The Day
Syed Suhail: बंपर जीत, कौन बनेगा CM? Delhi Blast| Bharat Ki Baat Batata Hoon | Bihar Election Result
Topics mentioned in this article