गयाजी जिले में एक अनोखा मामला शनिवार को देखने को मिला, जब भूतपूर्व वायु सेना के जवान ने जीवित रहते ही अपनी अंतिम यात्रा निकाली. बैंडबाजे और 'राम नाम सत्य है' की गूंज के बीच वे फूल-मालाओं से सजी अर्थी पर लेटे हुए मुक्तिधाम पहुंचे. साथ ही 'चल उड़ जा रे पंछी, अब देश हुआ बेगाना' की धुन बजा रहे थे.
सैंकड़ों लोग इस अनोखी यात्रा में हुए शामिल
मामला गयाजी जिले के गुरारू प्रखंड के कोंची गांव का है. यहां भूतपूर्व वायु सेना के जवान मोहनलाल ने जीवित रहते ही अपनी अंतिम यात्रा निकाली, जिसकी चर्चा आग की तरह फैल गई, गांव के सैकड़ों लोग इस अनोखी यात्रा में शामिल हुए. मुक्तिधाम पहुंचने के बाद उनका प्रतीकात्मक पुतला जलाया गया और सामूहिक प्रीतिभोज का आयोजन किया गया.
'मैं चाहता था कि यह दृश्य मैं खुद देखूं'
मोहनलाल ने बताया कि वे यह देखना चाहते थे कि उनकी अंतिम यात्रा में कौन-कौन शामिल होता है. उन्होंने कहा, "मरने के बाद लोग अर्थी उठाते हैं, लेकिन मैं चाहता था कि यह दृश्य मैं खुद देखूं और जान सकूं कि लोग मुझे कितना सम्मान और स्नेह देते हैं."
अपने खर्चे से बनवाया सुविधायुक्त मुक्तिधाम
बरसात के दिनों में शवदाह में होने वाली दिक्कत को देखते हुए मोहन लाल ने अपने खर्च से गांव में सुविधायुक्त मुक्तिधाम बनवाया. ग्रामीणों ने कहा कि मोहन लाल का यह कदम पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत है. वे लंबे समय तक समाजसेवा से जुड़े रहे, साथ ही सर्वोदय उच्च विद्यालय गुरारू में पढ़ाई करने के बाद गया में आगे की पढ़ाई की.
मोहन लाल के दो पुत्र हैं, जिसमें एक पुत्र डॉ दीपक कुमार कलकत्ता में डॉक्टर हैं और दूसरा पुत्र विश्व प्रकाश 10 प्लस टू विद्यालय में हैं. एक लड़की गुड़िया कुमारी हैं, जो धनबाद में रहती हैं. मोहन लाल की पत्नी जीवन ज्योति 14 वर्ष पूर्व गुजर गई थीं.