टिकट कटते ही भड़के नाचे-गाने के शौकीन पूर्व विधायक, नीतीश तक को पहचानने से कर दिया इंकार

श्याम बहादुर सिंह कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाते थे. खुद नीतीश उन्हें सर श्याम बहादुर जी कहकर मंच से संबोधित किया करते थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं.

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  • सीवान के बड़हरिया विधानसभा क्षेत्र से दो बार के जदयू पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह का टिकट इस बार कटा
  • श्याम बहादुर सिंह ने पार्टी से खुली बगावत कर 14 अक्टूबर को निर्दलीय उम्मीदवार बनने का ऐलान किया
  • श्याम बहादुर ने टिकट कटने का जिम्मेदार सांसद विजयलक्ष्मी के पति पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को बताया
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सीवान:

सीवान राजनीति में रंग बदलने वालों की कमी नहीं, लेकिन सीवान के बड़हरिया विधानसभा क्षेत्र से दो बार के विधायक रहे जदयू के पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह अपने अलग ही अंदाज़ के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे हैं. नाच-गाने और आर्केस्ट्रा में डांस करने के शौक़ीन श्याम बहादुर को लोग प्यार से सतरंगी विधायक भी कहते हैं पर इस बार उनका यह रंगीन मिज़ाज जदयू को रास नहीं आया. दरअसल जदयू ने इस बार बड़हरिया से उनका टिकट काटकर इंद्रदेव सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है, जो पार्टी के सीवान जिले से जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं.

टिकट कटते ही फूट पड़ा गुस्सा

जैसे ही यह ख़बर सार्वजनिक हुई तो श्याम बहादुर सिंह का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने रविवार को अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर पार्टी से खुली बगावत का ऐलान करते हुए कहा कि वे अब किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाले नहीं हैं. उन्होंने 14 अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने का ऐलान कर दिया. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने वर्तमान जदयू सांसद विजयलक्ष्मी कुशवाहा के पति को अपना टिकट काटने का जिम्मेदार भी बता दिया. उन्होंने कहा कि हमारे इस टिकट कटने के मुख्य कारण सीवान के वर्तमान सांसद विजयलक्ष्मी कुशवाहा के पति पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा ही हैं.

हम नीतीश को नहीं पहचानते

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब पत्रकारों ने उनसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब दिया. पूर्व विधायक ने कहा कि हम नीतीश कुमार को नहीं पहचानते, जिन्होंने अपने सिपाही को त्याग दिया. श्याम बहादुर सिंह कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाते थे. खुद नीतीश उन्हें सर श्याम बहादुर जी कहकर मंच से संबोधित किया करते थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं. श्याम बहादुर सिंह का राजनीतिक सफर जितना दिलचस्प रहा उतना ही विवादों से भरा भी रहा. वे कई बार अपने अतरंगी अंदाज़ के कारण चर्चा में रहे हैं. 

नाचे-गाने के शौकीन पूर्व विधायक

नाच-गाने में भाग लेना आर्केस्ट्रा में डांस करना और पब्लिक इवेंट्स में मंच पर झूम जाना ये सब उनकी पहचान बन गए. हालांकि जनता उनके इस अंदाज़ को मनोरंजक मानती थी. लेकिन पार्टी नेतृत्व को यह अनुशासनहीनता लगती रही. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जब वे राजद के उम्मीदवार बच्चा पांडे से हार गए तभी से पार्टी नेतृत्व उनसे नाराज़ चल रहा था. उस हार के बाद उनकी सक्रियता कम हो गई और पार्टी ने 2025 के चुनाव के लिए उन्हें टिकट देने से किनारा कर लिया.

अब जब उन्होंने बगावत का बिगुल फूंक दिया है तो बड़हरिया की सियासत में नया मोड़ आ गया है. एक तरफ जदयू के आधिकारिक उम्मीदवार इंद्रदेव पटेल होंगे तो दूसरी ओर मैदान में उतरेंगे उनके पुराने साथी और अब बागी बने श्याम बहादुर सिंह. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि श्याम बहादुर की बगावत से बड़हरिया सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. जिससे क्षेत्र की सियासत और भी दिलचस्प हो जाएगी. सवाल अब यह है कि क्या सतरंगी विधायक जनता का दिल दोबारा जीत पाएंगे या उनकी यह बगावत राजनीतिक भविष्य पर विराम साबित होगी?

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