पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी (फाइल फोटो)
पटना:
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी का मानना है कि देश में आज़ादी के प्रकाश के बाद आज फिर अंधकार है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्णा गांधी चंपारण सत्याग्रह शताब्दी के अवसर पर पटना में आयोजित राष्ट्रीय विमर्श को संबोधित कर रहे थे. गोपालकृष्ण गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत गांधी को गांधी का काम करने के लिए प्रेरित करने वाले स्वंत्रता सेनानी राज कुमार शुक्ल की जय से की. इसके बाद उन्होंने कहा कि बिहार की विशेषता रही है, सिद्धार्थ और सम्राट अशोक के समय से अंधकार में बिहार प्रकाश दीखाता है. ये ऐतिहासिक सच और तथ्य हैं. 1917 में देश में अंधकार था, देश गुलाम था. बिहार के आह्वान से जो प्रकाश तब शुरू हुआ उस चिंगारी से और चिंगारियां निकलीं. वो बिहार की देन है. लेकिन गांधी ने सीधे देश की वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि चम्पारण के 100 साल बाद, आज़ादी के 70 साल बाद देश में प्रकाश है, देश आज़ाद है लेकिन आज प्रकाश में अंधकार है. और जब पूर्व में बिहार ने अंधकार में प्रकाश दिखाया है तो आज भी बिहार ही प्रकाश दिखाएगा. ये काम बार-बार बिहार ने किया है.
अपने संबोधन में गोपाल कृष्णा गांधी ने समाजवादी और 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के प्रणेता जयप्रकाश नारायण की चर्चा करते हुए कहा कि 1977 में जिस तरह जयप्रकाश ने देश में लोकतंत्र के लिए आंदोलन को पुनर्जीवित किया उस तरह शयद किसी ने नहीं किया है. जयप्रकश का आंदोलन केवल परछाई नहीं बल्कि आज भी जीवंत है और आज उनकी आवश्यकता है. गोपाल गांधी ने फिर नीतीश कुमार के भाषण की तारीफ करते हुए कहा कि उस आवश्यकता को साकार होते हुए आज मैंने नीतीश बाबू के भाषण में देखा.
1917 के आंदोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वो आंदोलन जुल्म और जबरदस्ती के खिलाफ था. 1977 में राजनीति और समाज में इसी जुल्म और जबरदस्ती के विरोध में आंदोलन हुआ. भूमि अधिग्रहण अधिनियम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बार-बार अध्यादेश लाने की कोई जरुरत नहीं जो एक तरह से जुल्म और जबरदस्ती का परिचायक है.
किसान और कृषि की दुर्दशा की चर्चा करते हुए गोपाल गांधी ने कहा कि गांधीजी का सत्याग्रह भी नील की खेती के खिलाफ हुआ था जो उस समय की नकदी फसल मानी जाती थी. लेकिन आज किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सम्पति वाले उद्योग के नाम पर जमीन लूट रहे हैं. जमीन से चम्पारण सत्याग्रह शुरू हुआ, जमीन खतरे में है.
इस दो दिवसीय समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस देश में एक तरफा संवाद नहीं चलेगा और देश की जनता तय करेगी की कौन सा रास्ता देश को सही दिशा में ले जायेगा. नीतीश ने एक बार फिर दोहराया कि पूरे देश में असहिषुणता का माहौल है. नीतीश ने ये भी घोषणा की कि गांधी बिहार में जहां जहां गए वहां स्मृति यात्रा का आयोजन किया जायेगा.
अपने संबोधन में गोपाल कृष्णा गांधी ने समाजवादी और 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के प्रणेता जयप्रकाश नारायण की चर्चा करते हुए कहा कि 1977 में जिस तरह जयप्रकाश ने देश में लोकतंत्र के लिए आंदोलन को पुनर्जीवित किया उस तरह शयद किसी ने नहीं किया है. जयप्रकश का आंदोलन केवल परछाई नहीं बल्कि आज भी जीवंत है और आज उनकी आवश्यकता है. गोपाल गांधी ने फिर नीतीश कुमार के भाषण की तारीफ करते हुए कहा कि उस आवश्यकता को साकार होते हुए आज मैंने नीतीश बाबू के भाषण में देखा.
1917 के आंदोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वो आंदोलन जुल्म और जबरदस्ती के खिलाफ था. 1977 में राजनीति और समाज में इसी जुल्म और जबरदस्ती के विरोध में आंदोलन हुआ. भूमि अधिग्रहण अधिनियम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बार-बार अध्यादेश लाने की कोई जरुरत नहीं जो एक तरह से जुल्म और जबरदस्ती का परिचायक है.
किसान और कृषि की दुर्दशा की चर्चा करते हुए गोपाल गांधी ने कहा कि गांधीजी का सत्याग्रह भी नील की खेती के खिलाफ हुआ था जो उस समय की नकदी फसल मानी जाती थी. लेकिन आज किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सम्पति वाले उद्योग के नाम पर जमीन लूट रहे हैं. जमीन से चम्पारण सत्याग्रह शुरू हुआ, जमीन खतरे में है.
इस दो दिवसीय समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस देश में एक तरफा संवाद नहीं चलेगा और देश की जनता तय करेगी की कौन सा रास्ता देश को सही दिशा में ले जायेगा. नीतीश ने एक बार फिर दोहराया कि पूरे देश में असहिषुणता का माहौल है. नीतीश ने ये भी घोषणा की कि गांधी बिहार में जहां जहां गए वहां स्मृति यात्रा का आयोजन किया जायेगा.
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