केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ देशभर के कई हिस्सों में किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. दिल्ली में किसान आंदोलन (Farmers Protest) का असर बिहार (Bihar) में भी दिखने लगा है. राज्य के अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए मंगलवार को राजभवन की ओर मार्च किया. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और अन्य लेफ्ट संगठनों के सदस्यों ने राजभवन मार्च आयोजित किया.
यह मार्च पटना के मशहूर गांधी मैदान से शुरू हुआ और डाक बंगला चौक पर पुलिस ने बैरिकेडिंग और लाठियों का प्रयोग कर इसका रास्ता रोक दिया जिसके बाद झड़प शुरू हो गई. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार इस झड़प में कई लोग घायल हो गए और लाठी चार्ज के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसवालों को दोड़ाया भी.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि इससे पहले, रैली शुरू होने के स्थान गांधी मैदान पर प्रदर्शनकारी, पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों के बीच झड़पें हुईं थीं क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने मैदान में केवल एक द्वार के रास्ते ही प्रवेश देने पर आपत्ति जताई थी.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि यह प्रतिबंध भगदड़ जैसे हालातों से बचने के लिए लगाया गया था लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह उनकी आवाज दबाने का प्रयास है.
बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा, "हम पिछले 34 दिनों से दिल्ली में बैठे अपने साथी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए यहां जुटे हैं.''
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विनय तिवारी ने कहा, 'यह निषिद्ध क्षेत्र में था इसलिए उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए, हमने लाठीचार्ज किया.'
नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इनकी संख्या हजारों में है. किसानों और किसान संगठनों को डर सता रहा है कि नए कानून की वजह से कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों का प्रभाव बढ़ जाएगा और उनकी (किसान) आमदनी कम हो जाएगी.
प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द या निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दी जाए. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन ये बैठकें बेनतीजा रहीं. सरकार नए कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करने में फिलहाल विफल रही है. अगले दौर की बातचीत के लिए 40 किसान संगठनों के नेताओं को 30 दिसंबर को बुलाया गया है.
इस बीच, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, "हमें पूरी उम्मीद है कि कल जो वार्ता होगी, उसमें हम एक समाधान तक पहुंचेंगे. आज देश के अंदर जो करोड़ों किसान हैं वो इस कानून का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि ये कानून किसानों को आज़ादी देने वाला कानून है."
(एएनआई के इनपुट के साथ)