बिहार (Bihra) में सुशासन और विकास के दावे के बीच सिस्टम की एक शर्मनाक तस्वीर कटिहार (Katihar) में सामने आई है जिसे देखकर आप भी सहम जाएंगे, क्या हम इंसानियत की बस्ती में रहते हैं या वाकई ये सिस्टम सड़ गया है. नीरू यादव बंद बोरे में अपने बेटे के शव को लेकर तीन किलोमीटर तक पैदल दूरी तय करने को मजबूर हुआ.
दरअसल भागलपुर जिले के गोपालपुर थाना क्षेत्र के तीनटंगा गांव में नदी पार करने के दौरान नीरू यादव का 13 वर्षीय पुत्र हरिओम यादव नाव से गिर गया था और वह लापता था. इस बाबत गोपालपुर थाने में भी गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया था लेकिन पिता को खोजबीन के दौरान पता चला कि बेटे का शव बगल के ही कटिहार जिले के कुर्सेला थाना क्षेत्र के खेरिया नदी के तट पर तैर रहा है. इसी सूचना पर पिता नीरू यादव जब घाट पर पहुंचा तो उसे उसके बेटे का शव बुरा हालत में मिला. शव सड़ा-गला था और जानवरों ने नोच लिया था. इसके बावजूद उसके कपड़े और अन्य शारीरिक अंगों के आधार पर पिता ने अपने पुत्र के शव को पहचान लिया.
लेकिन सिस्टम की शरारत भी यहीं से शुरू हुई. उस शव को लाने में न तो भागलपुर जिले के गोपालपुर थाना पुलिस ने और न ही कटिहार जिले की कुर्सेला पुलिस ने कोई संजीदगी दिखाई. ऐसे में एक पिता को अपने कलेजे के टुकड़े के शव को बोरे में बंद करके तीन किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा.
परेशान पिता ने कहा कि करें तो क्या करें, किसी थाना या किसी पुलिस ने न तो गाड़ी उपलब्ध कराई और न कोई सहानुभूति दिखाई. अब इस सिस्टम से कितनी देर तक गुहार लगाते इसलिए मजबूरी में अपने दिल पर पत्थर रखकर शव को इसी तरह लेकर आ गए.
हालांकि कटिहार अनुमंडल पुलिस अधिकारी अब इस मामले पर किस थाना या किन के द्वारा लापरवाही हुई है, इसके आकलन में जुटे हुए हैं. जांच का नतीजा जब सामने आएगा तब हो सकता है सजा के नाम पर किसी को लाइन हाजिर या सस्पेंड कर दिया जाएगा, मगर दोनों जिलों के वर्दी के आला हुक्मरानों को सोचना चाहिए क्या इस सड़े हुए सिस्टम को जगाने के लिए यह सजा काफी रहेगी?