Bihar News: सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के विरोध में बिहार में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के लिए सहयोगी, सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को इसलिए जिम्मेवार मानते हैं कि शुरुआत के दो दिनों में मुख्यमंत्री ने न तो हिंसा रोकने में दिलचस्पी दिखाई और न ही युवाओं के लिए ऐसी कोई अपील जारी की कि केंद्र सरकार की संस्थाओं खासकर रेलवे की संपत्ति को निशाना न बनाएं. क़रीब एक हफ़्ते बाद भी नीतीश इस मुद्दे पर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं. हालांकि शुक्रवार को पटना में एक साथ कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जैसे जेपी गंगा सेतु के लोकार्पण के दौरान नीतीश काफ़ी खुश दिखे क्योंकि इस परियोजना का शिलान्यास भी उन्होंने नौ वर्ष पूर्व खुद किया था.
अपने भाषण में नीतीश ने गंगा पथ के विस्तार के लाभ गिनाने के साथ-साथ लोगों से आक्रोश में यहां तोड़फोड़ न करने की भी अपील की. इस पर निश्चित रूप से कोई सवाल नहीं कर सकता क्योंकि एक मुख्यमंत्री के रूप में ये उनका फ़र्ज़ बनता है लेकिन सवाल यह है कि जब पूरे बिहार में पिछले हफ़्ते रेल और एनएचएआई के अलावा भाजपा दफ़्तरों को आग के हवाले किया जा रहा था तब नीतीश मौन क्यों थे? उन्होंने विज्ञप्ति जारी करके भी आंदोलनकारियों से शांति बनाए रखने या रेलवे स्टेशन और ट्रेन के डिब्बों को नुक़सान न पहुंचाने की एक भी अपील नहीं की.
वैसे नीतीश के समर्थकों और पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल का दावा है कि बिहार पुलिस के कारण ही जानमाल का ज्यादा नुकसान होने से बचा लेकिन यह भी सत्य है कि उप मुख्य मंत्री रेणु देवी और बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल के घर पर हमले के बाद ही नीतीश की सरकार हरकत में नजर आई.
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