2025 नहीं 2030 में बिहार के CM पद पर चिराग की नजर! इस बार लड़ेंगे चुनाव या सिर्फ राजनीतिक दबाव?

विधानसभा चुनाव लड़ने के पीछे चिराग की भविष्य पर नज़र हो सकती है. चिराग को पता है कि अपनी पार्टी का वजूद गठबंधन से इतर भी बनाना है. राज्य की राजनीति से अलग होकर ये लक्ष्य हासिल नहीं होगा.

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नई दिल्ली:

चिराग पासवान ने बिहार की स्टेट पॉलिटिक्स में अपनी दिलचस्पी कभी नहीं छुपाई, भले ही वो लगातार तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं या फिर मौजूदा मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री. चिराग की पार्टी ने कहा है कि इस बार वो बिहार की जनरल सीट से चुनाव लड़ेंगे. चिराग से जब ये सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि पार्टी की इस पर जो भी राय होगी, उसका मैं जरूर पालन करूंगा. फिलहाल इस पर और चर्चा होना बाकी है.

दूसरी तरफ चिराग के इस कदम को दबाव की राजनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है. वो अपनी पार्टी के लिए विधानसभा में ज्यादा सीटें चाहते हैं.

आइए आंकड़ों के जरिए चिराग की पॉलिटिक्स को समझने की कोशिश करते हैं:

पिछले 4 विधानसभा चुनावों में कैसा रहा LJP का प्रदर्शन


पिछले 4 विधानसभा  चुनावों में कैसा रहा LJP का स्ट्राइक रेट 

(LJP के उम्मीदवारों में कितने फीसदी जीत दर्ज कर सके)
2005201020152020
LJP5%4%5%1%


लोकसभा चुनाव में LJP(RV) का स्ट्राइक रेट 100% था. चिराग की पार्टी NDA के साथ मिलकर पांच सीट पर लड़ी थी और पांचों पर जीत दर्ज की थी. इससे विधानसभा का आधार मानें तो 30 में से 29 सीटों पर LJP(RV) को लीड मिली थी और वोट फीसदी रहा था 6.5 प्रतिशत.

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2020 विधानसभा चुनाव में LJP ने किया NDA का खेल खराब

  • NDA में भी देखा जाए तो JDU को नुकसान किया
  • LJP 135 सीटों पर लड़ी जिसमें 113 कैंडिडेट JDU के खिलाफ थे
  • BJP  के खिलाफ सिर्फ 6 प्रत्याशी उतारे

LJP फैक्टर को इस ग्राफिक्स के जरिए समझने की कोशिश करते हैं:


साफ है कि अगर LJP और NDA मिलकर लड़ते तो तस्वीर कुछ और ही होती. चिराग अपनी इस ताकत को समझते हैं और वो इसी का इस्तेमाल गठबंधन में अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने में करना चाहते हैं.

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क्या चिराग को आगे करने के पीछे NDA की ही रणनीति है?

बिहार जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में दलित आबादी 19.7 फीसदी है.  
दलित आबादी में दुसाध 5.3% , रविदास 5.3 % , मुसहर 3.1% सबसे बड़ी संख्या में हैं. राज्य में विधानसभा की 38 सीटें SC के लिए रिजर्व हैं.

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CSDS के 2020 के आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिहार में दलित मतदाता किसी एक पार्टी के पक्ष में लामबंद नहीं हैं. चिराग पासवान का मुख्य वोट बैंक दुसाध/पासवान है. ऐसे में चिराग पासवान को आगे बढ़ाने से उसका फायदा NDA गठबंधन को दलित मतों के रूप में मिल सकता है.

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JDU के साथ मिल कर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेगी LJP?

LJP 2000 में बनी. अलग-अलग गठबंधन में रहकर विधानसभा चुनाव लड़ी, लेकिन कभी भी JDU के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ी. अगर 2025 में JDU के साथ मिलकर LJP चुनाव लड़ी तो ऐसा पहली बार होगा.

चिराग की वर्तमान से ज्यादा भविष्य पर नज़र

विधानसभा चुनाव लड़ने के पीछे चिराग की भविष्य पर नज़र हो सकती है. चिराग को पता है कि अपनी पार्टी का वजूद गठबंधन से इतर भी बनाना है. राज्य की राजनीति से अलग होकर ये लक्ष्य हासिल नहीं होगा. ऐसे समय में जब नीतीश कुमार अपना अंतिम चुनाव लड़ रहे हों और जिनके स्वास्थ्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हों, चिराग के लिए उम्मीद की किरण भी नज़र आती है. 2025 में खुद को ज्यादा मजबूत करना है. असली तैयारी तो 2030 के लिए होने वाली है.