- कटिहार जिले के डंडखोरा प्रखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बना पसंता पुल चार वर्षों से अधूरा
- लगभग छह करोड़ रुपये की लागत से बना पुल मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाया जिससे ये काम में नहीं आ रहा
- पुल का निर्माण सितंबर 2020 में शुरू होकर एक साल में पूरा होना था लेकिन अप्रोच पथ के अभाव में अधूरा है
तंत्र है, पर लापता है और शायद यही वजह है कि विकास की गाड़ी पटरी से उतर गई है. बिहार के कटिहार जिले के डंडखोरा प्रखंड स्थित महेशपुर पंचायत में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बना पसंता पुल बीते चार वर्षों से अधूरा पड़ा है. लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल अब तक मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाया है, जिससे इसकी उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं.
पुल बना, पर अप्रोच पथ नहीं
इस पुल का निर्माण 3 सितंबर 2020 को शुरू हुआ था और इसे 2 सितंबर 2021 तक पूरा किया जाना था. इस पुल से लगभग दस हजार की आबादी वाले एक दर्जन गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने की उम्मीद थी. लेकिन आज यह पुल अप्रोच पथ के अभाव में सफेद हाथी बनकर रह गया है.
बिना अधिग्रहण के बना डीपीआर, अब अटका काम
स्थानीय लोगों के अनुसार, पुल से जुड़ा लगभग 75% कार्य पूरा हो चुका है. लेकिन अप्रोच पथ के लिए एक पाया (पिलर) निजी जमीन पर बनना था. बिना जमीन अधिग्रहण के ही डीपीआर बनाकर काम शुरू कर दिया गया, जिससे अब वह पाया नहीं बन पाया है और पुल अधूरा रह गया है.
स्थानीय लोगों की परेशानी
स्थानीय निवासी अरुण कुमार शर्मा, वरुण कुमार शर्मा और ध्रुप हसदा का कहना है कि पुल चार साल पहले बन गया था, लेकिन अप्रोच पथ न बनने से ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है. बाढ़ के समय नाव का सहारा लेना पड़ता है. अगर यह पुल जुड़ जाता तो 10 से 12 गांवों के लोगों को बड़ी राहत मिलती, लेकिन आज भी लोग डायवर्सन होकर जाने को मजबूर हैं.
निजी ज़मीन मालिकों की नाराज़गी
निजी जमीन से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ने बिना अधिग्रहण और मुआवजा दिए उनकी जमीन पर पुल निर्माण कार्य शुरू कर दिया न तो कोई सूचना दी गई और न ही मुआवजा. जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक काम आगे नहीं बढ़ेगा. जब इस मामले पर कटिहार के जिलाधिकारी मनेश मीणा से सवाल किया गया तो उन्होंने इस मामले की जांच कराने की बात कही है.