- BJP ने नितिन नबीन को कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, वो पटना की बांकीपुर सीट से 5 बार विधायक हैं.
- नितिन नबीन का परिवार मूल रूप से नवादा जिले के अभावां गांव से है और उनका राजनीतिक सफर पटना में शुरू हुआ.
- उनकी पत्नी दीपमाला श्रीवास्तव बैंक अधिकारी थीं, जिन्होंने नौकरी छोड़कर कारोबार शुरू किया है.
Nitin Nabin Family: BJP ने नितिन नबीन को कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. वे पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से 5 बार के विधायक हैं. पटना से ही उनके पिता भी विधायक बने थे. लेकिन मूल रूप से नितिन नबीन नवादा जिले के हैं. उनका पुश्तैनी गांव नवादा जिले का अभावां है. गांव में उनके चचेरे भाई रहते हैं. नितिन नबीन का परिवार पटना आ गया, नबीन किशोर सिन्हा यहीं से सक्रिय राजनीति में आए. वे पटना पश्चिम सीट से 1990 में पहली बार बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़े, तीसरे नंबर पर रहे. अगली बार BJP के टिकट पर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की. इसके बाद वे कभी चुनाव नहीं हारे.
बैंक अधिकारी रही पत्नी ने नौकरी छोड़ी, अब अपना रोजगार
उनकी पत्नी दीपमाला श्रीवास्तव बैंक में अधिकारी रही थी. लेकिन अब वो अपना व्यवसाय करती हैं. उनकी बेटी नित्या नविरा 3 साल की हैं. बेटे नैतिक की उम्र 10 साल है. पत्नी दीपमाला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत थीं. उन्होंने नौकरी छोड़ दी, अब नवीरा इंटरप्राइजेज की निदेशक हैं. यही उनकी आय का जरिया है. वे 66 लाख रुपए की संपत्ति की मालिक हैं.
पिता की विरासत को बढ़ा रहे नितिन नबीन
नितिन नबीन अपनी पिता की विरासत को बढ़ा रहे हैं. हालांकि उनके पिता मंत्री नहीं बन पाए थे और वे भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने. 2005 में जब एनडीए की सरकार बनी तो नबीन किशोर सिन्हा मंत्री पद की रेस में सबसे आगे के नामों में शामिल थे. तब वे चौथी बार चुनाव जीते थे. लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया. जबकि संघ से उनका जुड़ाव, जेपी आंदोलन में सक्रियता और लगातार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड उनके पक्ष में था. यह चौंकाने वाला फैसला था.
नवंबर में सरकार बनी और दिसंबर में नबीन किशोर सिन्हा की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. उनके निधन के बाद ही नितिन सक्रिय राजनीति में आए. 2006 में पहली बार उपचुनाव लड़ा और उसके बाद से लगातार विधायक हैं.
पिता की तरह ही पक्ष-विपक्ष सबके प्रिय नितिन
नबीन किशोर सिन्हा को विरोधी खेमे के नेता भी बहुत इज्जत देते थे. नितिन नबीन के चयन पर राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी ऐसा ही लिखा. उन्होंने लिखा, "नबीन को विधायक के रूप में भी मैंने देखा है. संसदीय कार्य प्रणाली की जितनी समझ नवीन को थी, वैसी समझ और जानकारी उस समय सदन में किसी को नहीं थी. आज उन्हीं नबीन किशोर का बेटा भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बन गया, इस खबर पर सहसा यकीन नहीं हुआ. भाजपा से हमारा घोर वैचारिक मतभेद है. लेकिन इसके बावजूद नितिन जहां मिले घर के बड़े की तरह सम्मान दिया. इस खबर ने नबीन की भी याद दिला दी. अगर आत्मा सचमुच होती है तो पुत्र की इस उपलब्धि से नबीन की आत्मा जुड़ा गई होगी."
भाजपा के कार्यकर्ता नितिन नबीन को भी ऐसा ही सौम्य, सुलभ और सहज उपलब्ध होने वाला नेता मानते हैं. पिता की राजनीतिक विरासत को वे खूब आगे तक ले गए हैं. लेकिन असली अग्नि परीक्षा बंगाल और असम में होगी.
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