- मुजफ्फरपुर नगर विधानसभा सीट से बीजेपी में भूमिहार समाज के तीन प्रमुख नेता टिकट के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं
- पूर्व मंत्री और विधायक सुरेश शर्मा इस बार फिर से नगर सीट से बीजेपी का टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं
- पूर्व जिला अध्यक्ष रंजन कुमार सिंह भी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं और उनका समाज में मजबूत समर्थन है
बिहार चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे टिकट पाने की होड़ भी शुरू हो चुकी है. मुजफ्फरपुर नगर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी से टिकट पाने के लिए भूमिहार समाज के 3 बड़े नेता दावेदारी ठोक रहे हैं. इनमें से एक हैं पूर्व मंत्री और बीजेपी के पूर्व विधायक सुरेश शर्मा, जो कि इस बार फिर से नगर सीट से बीजेपी की दावेदारी ठोक रहे हैं. जहां उनकी दावेदारी से पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर असर पड़ सकता है. वहीं दूसरे दावेदार की बात करें तो बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष रंजन कुमार सिंह है.
भूमिहार समाज का एक बड़ा तबका रंजन सिंह के साथ भी नजर आ रहा है. इसके अलावा तीसरी दावेदारी भारतीय जनता पार्टी के ही कार्यकारिणी के सदस्य सावन पांडे की तरफ से की जा रही है. एक तरफ वह युवा है, शिक्षित है और दूसरी तरफ भूमिहार समाज से आने वाले दावेदार हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी किसी एक भूमिहार समाज से जुड़े किसी व्यक्ति को अपना टिकट देती है तो फिर दो जो दावेदार है वह फिर भारतीय जनता पार्टी का खेल अंदर खाने से बिगाड़ सकते हैं.
सुरेश शर्मा: पूर्व मंत्री और बीजेपी के पूर्व विधायक
इस रेस में सबसे पहला नाम है सुरेश शर्मा का, जो बीजेपी के पूर्व विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. सुरेश शर्मा की छवि एक साफ-सुथरे नेता की रही है और वे उत्तर बिहार के बड़े व्यवसायी भी माने जाते हैं. उनके व्यवसाय में गाड़ियों की एजेंसी, कॉलेज, स्कूल, और मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. मुजफ्फरपुर में बीजेपी को स्थापित करने का श्रेय भी कहीं न कहीं सुरेश शर्मा को ही जाता है. अबकी बार वे फिर से नगर सीट से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं, जिससे पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह असर पड़ सकता है.
रंजन कुमार सिंह: पूर्व जिला अध्यक्ष और मजबूत दावेदार
दूसरे दावेदार हैं रंजन कुमार सिंह, जो भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने संगठन में अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई है और इस बार टिकट के लिए दमदार दावेदारी पेश कर रहे हैं. उनकी भी छवि साफ-सुथरी है और उनका मुख्य व्यवसाय रेसिडेंशियल होटल का है. भूमिहार समाज का एक बड़ा तबका उनके साथ खड़ा नजर आ रहा है, जिससे उनकी दावेदारी को और बल मिल रहा है.
सावन पांडे: युवा चेहरा, शिक्षित और सक्रिय कार्यकर्ता
तीसरे दावेदार हैं सावन पांडे, जो भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं. वे युवा, शिक्षित, और भूमिहार समाज से आते हैं. उनका व्यवसाय शिक्षा संस्थानों से लेकर रियल एस्टेट तक फैला हुआ है. सावन पांडे ने भी संगठन में अपनी दावेदारी पेश की है और उन्हें युवा वर्ग का समर्थन मिल रहा है.
टिकट का गणित और अंदरूनी समीकरण
अब सवाल यह उठता है कि अगर बीजेपी भूमिहार समाज से जुड़े किसी एक चेहरे को टिकट देती है, तो बाकी दो दावेदार अंदरूनी तौर पर पार्टी के चुनावी गणित को प्रभावित कर सकते हैं. तीनों ही नेता अपने-अपने स्तर पर मजबूत हैं और समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं. ऐसे में पार्टी के लिए टिकट तय करना आसान नहीं होगा.