- बिहार जदयू के नीरज कुमार ने राजद के 17 से 18 विधायकों के संपर्क में होने का दावा किया है.
- नीरज कुमार ने राजद के नेतृत्व की अस्वस्थता और विकल्पहीनता पर गंभीर टिप्पणी की है.
- नीरज सिंह बबलू ने राजद और इंडिया गठबंधन को कमजोर और खत्म होने की कगार पर बताया.
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. ठंड के मौसम में जहां आम लोग अलाव और गरम कपड़ों का सहारा ले रहे हैं, वहीं राजनीतिक गलियारों में बयानबाज़ी की गर्मी साफ महसूस की जा सकती है. इसकी वजह बना है बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का वह बयान, जिसमें उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 17 से 18 विधायक उनके संपर्क में हैं. इस एक बयान ने सत्ता और विपक्ष के बीच राजनीतिक बहस को नए सिरे से हवा दे दी है.
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नीरज कुमार का बयान और उसका राजनीतिक संदेश
जेडीयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने राजद पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी इस समय विकल्पहीनता और नेतृत्वहीनता के दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के बावजूद पार्टी पद पर बने हुए हैं, जबकि तेजस्वी यादव शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं लेकिन राजनीतिक रूप से अस्वस्थ हैं. नीरज कुमार का यह बयान केवल व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं माना जा रहा, बल्कि इसके पीछे एक राजनीतिक रणनीति भी देखी जा रही है.
उन्होंने दावा किया कि राजद के 17 से 18 विधायक उनके संपर्क में आए हैं और उन्होंने इस बात की आशंका जताई है कि कहीं विकास के मामले में उनके साथ भेदभाव तो नहीं होगा. नीरज कुमार ने कहा कि चाहे कल्याणबीघा हो या फुलवरिया, विकास के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दरवाजा विकास के लिए दलगत आधार पर नहीं, बल्कि सभी के लिए खुला है.
विधायकों की चिंता और जेडीयू का रुख
नीरज कुमार के मुताबिक संपर्क में आए विधायकों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि हमारा क्या होगा? इस पर उन्होंने कहा कि यह राजद का अंदरूनी मामला है और विधायकों को अपने नेतृत्व से संवाद करना चाहिए. उनका तंज था कि नेतृत्व उपलब्ध नहीं है, लेकिन क्रिसमस के बाद वे जरूर आएंगे. इस बयान को राजद नेतृत्व पर सीधा कटाक्ष माना जा रहा है.
नीरज कुमार ने यह भी कहा कि अगर राजद का नेतृत्व अपने विधायकों को संतुष्ट नहीं कर पाता है, तो वे वेटिंग लिस्ट में रह सकते हैं. जब उन्हें पूरी तरह एहसास हो जाएगा, तब वे अपनी भावना से अवगत कराएं और फिर निर्णय लिया जाएगा. यह बयान साफ संकेत देता है कि जदयू, राजद के असंतुष्ट विधायकों के लिए दरवाजा खुला रखने का संदेश दे रही है.
आरजेडी का पलटवार
इस पूरे मामले पर राजद की ओर से प्रवक्ता एजाज अहमद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि राजद किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि विचारधारा पर आधारित पार्टी है. एजाज अहमद के मुताबिक बीजेपी और जदयू जैसी पार्टियों के प्रति राजद के लोगों का आकर्षण हो ही नहीं सकता, क्योंकि ये पार्टियां समाज के वंचित और निचले पायदान पर रहने वाले लोगों के अधिकार छीनने का काम करती हैं.
राजद प्रवक्ता ने जदयू और बीजेपी पर यह आरोप भी लगाया कि ये पार्टियां केवल सत्ता के लिए राजनीति करती हैं, जबकि राजद सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई लड़ती आई है. एजाज अहमद का यह बयान राजद की पारंपरिक राजनीति और उसके कोर वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
बीजेपी का आक्रामक रुख
इस विवाद में बीजेपी भी पीछे नहीं रही. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक नीरज सिंह बबलू ने राजद पर बेहद आक्रामक टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि राजद है कहां, जो किसी को ऑफर देगा? उनके मुताबिक, राजद का सफाया हो चुका है और इंडिया गठबंधन भी अब खत्म होने की कगार पर है.
नीरज सिंह बबलू ने यहां तक कह दिया कि राजद और इंडिया गठबंधन नर्क की तरह हैं और कोई भी नर्क में जाना पसंद नहीं करता. उनके अनुसार, राजद के लोग खुद टूटकर इधर आने वाले हैं और सभी संपर्क में हैं. यह बयान बीजेपी की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसमें विपक्ष को कमजोर और बिखरा हुआ दिखाने की कोशिश की जाती है.
17-18 विधायकों के संपर्क में होने का दावा
अगर पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण किया जाए, तो साफ है कि यह केवल बयानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि आने वाले समय की राजनीतिक तैयारी भी है. जेडीयू और बीजेपी यह संदेश देना चाहती हैं कि सत्ता उनके पास स्थिर है और विपक्ष में असंतोष बढ़ रहा है. वहीं राजद अपनी विचारधारा और सामाजिक न्याय के मुद्दे को सामने रखकर अपने समर्थकों को एकजुट रखने की कोशिश कर रहा है.
नीरज कुमार का 17-18 विधायकों के संपर्क में होने का दावा सही है या नहीं, यह तो समय बताएगा. लेकिन इतना तय है कि इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बयान सिर्फ राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है या वाकई बिहार की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव होने वाला है. फिलहाल ठंड के मौसम में बिहार की सियासत पूरी तरह गरमाई हुई है और हर बयान अगले राजनीतिक कदम का संकेत दे रहा है.














