बिहार : सम्राट अशोक के बहाने कैसे BJP और JDU एक दूसरे से उलझे?

जदयू नेता ललन सिंह ने ट्वीट किया है, सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं है.

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बिहार में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच बयानों का दौर जारी
पटना:

लेखक दया प्रकाश सिन्हा की ओर से सम्राट अशोक को लेकर की गई टिप्पणी के बाद से बिहार में सियासत तेज है. इस मसले पर बिहार में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच बयानों का दौर जारी है. जनता दल यूनाइटेड ने लेखक द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को आधार बनाते हुए उनसे तमाम पुरस्कार वापस लेने की मांग पीएम मोदी से की है.

जदयू नेता ललन सिंह ने ट्वीट किया है, 'सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं.  इनके विरुद्ध मोदी सरकार सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए महामहिम राष्ट्रपति से आग्रह करता हूं कि इनका पद्मश्री व सभी अन्य पुरस्कार रदद् करें. इन्हें निष्कासित करें.'

बता दें कि यह विवाद उस समय से शुरू हुआ है, जब जनता दल संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने पिछले हफ्ते एक ट्वीट कर इस पूरे मामले को सार्वजनिक किया. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी बिना कोई समय गंवाए इस मामले पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रया दी. 

हालांकि, इसके बाद दया प्रकाश सिन्हा ने कुछ अखबारों को इंटर्व्यू दे इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी और बिहार भाजपा के नेताओं ने उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई. खुद बिहार बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी लगातार इस मुद्दे पर ट्वीट करते रहे. उन्होंने ट्वीट किया, '86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं. उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई है.वहीं भाजपा नेता सुशील मोदी ने इस मामले को लेकर एक और ट्वीट के जरिए बताया कि दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू में जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए.  सुशील मोदी की इस अपील के बाद जनता दल यूनाइटेड अब भी लेकर से साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री वापस लेने की मांग पर अड़ी हुआ है.

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शनिवार को इस क्रम में पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने उनकी पुस्तक का हवाला देते हुए कहा है कि दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक का अपमान किया है. वहीं इस मामले पर उपेंद्र कुशवाहा ने भी ट्वीट किया, 'प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान का अपमान अखंड भारतवर्ष का अपमान है. जब तक भारत सरकार दया प्रकाश सिन्हा से साहित्य अकादमी और पद्मश्री पुरस्कार वापसी के लिए कारगर कदम नहीं उठाती, हमारा विरोध जारी रहेगा. 

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इस पूरे विवाद के माध्यम से जनता दल यूनाइटेड कड़े तेवर अपनाए हुए है. वहीं इस मामले को जोड़ते हुए कुशवाहा समाज में भाजपा के हाल के वर्षों में जो विस्तार का कार्यक्रम चला है या नीतीश के परंपरागत वोटरों के इस समूह में जो सेंधमारी का प्रयास किया गया है, उस पर जदयू की ओर से एक विराम लगाने का प्रयास किया जा रहा है. ये बात भाजपा के नेताओं को भी मालूम है. लेकिन उन्हें लगता है कि फिलहाल यूपी चुनाव के मद्देनजर इसे अधिक तूल ना दिया जाये. 

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बता दें कि दया प्रकाश सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वे सम्राट अशोक नाटक लिख रहे थे तब उन्होंने रिसर्च किया था. इस दौरान उन्हें आश्चर्य हुआ कि अशोक और मुगल बादशाह औरंगजेब के चरित्र में बहुत समानता है. इसके अलावा भी कई सारी चीजे ऐसी कही थीं, जिस पर जदयू नेताओं ने अपनी नाराजगी जताई है. इस मसले पर जदयू के नेता और प्रवक्ता हर दिन कुछ नये तथ्यों के साथ बीजेपी को घेरने की कोशिश करते हैं. 

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