बिहार का तैरता हुआ सोलर पावर प्लांट क्या है, जिसे पीएम मोदी ने आलोचकों को देखने के लिए कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से चुनावी हवा लेने आने वाले लोगों को बिहार के नवादा के रजौली में बनकर तैयार हो रहे बिहार के पहले फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट देखने की नसीहत दी है. आखिर रजौली में बनकर तैयार हो रहे बिहार के पहले फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट की क्या खासियत है कि इसे देखने के लिए आलोचकों को आमंत्रित कर रहे हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से चुनावी हवा लेने आने वाले लोगों को बिहार के नवादा के रजौली में बनकर तैयार हो रहे बिहार के पहले फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट देखने की नसीहत दी है. आखिर रजौली में बनकर तैयार हो रहे बिहार के पहले फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट की क्या खासियत है कि इसे देखने के लिए आलोचकों को आमंत्रित कर रहे हैं.

दरअसल यह पावर प्लांट झारखंड की सीमा से सटे बिहार के रजौली के फुलवरिया जलाशय पर बन रहा है. इसे बोलचाल में "नीचे मछली, ऊपर बिजली" योजना भी कहां जाता है. चूंकि नीचे में पानी और ऊपर में तैरते सोलर पैनल से बिजली उत्पादन का संयंत्र है.

10 मेगावाट बिजली का होगा उत्पादन

बताया जाता है कि इस पावर प्लांट की क्षमता 10 मेगावाट है. और यह जल्द ही चालू होगा. यह प्लांट पानी के ऊपर सोलर पैनल लगाकर बिजली का उत्पादन करेगा और इसके नीचे मछली पालन किया जा सकेगा. इस अनूठे पहल से रजौली क्षेत्र को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी और यह हरित ऊर्जा के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना और कम लागत में क्षेत्र में बिजली की समस्या का स्थायी समाधान करना इसका मुख्य उद्देश्य है. इससे पूरे इलाके को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी. 

3.87 रुपये प्रति किलोवाट की दर से बिजली खरीद

कार्यपालिका अभियंता सुनील कुमार के अनुसार यह परियोजना "रेस्को मोड" के तहत बनाई जा रही है, जिसमें निर्धारित एजेंसी निर्माण कर रही है और वे हीं बिजली उत्पादन करेगी. इस परियोजना के तहत सोलर पैनल पानी की सतह पर तैरेंगे और बिजली पैदा करेंगे. उत्पादित बिजली को तारों के माध्यम से ट्रांसमिशन टावर तक पहुंचाया जाएगा. जलाशय के नीचे मछली पालन होगा. बिजली कंपनियां इस उत्पादित बिजली को 3.87 रुपये प्रति किलोवाट की दर से खरीदेंगी. बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने इस योजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत 25 साल के लिए बिजली खरीद समझौता (पीपीए) का भी प्रावधान हुआ है. 

अक्षय ऊर्जा के स्रोत मजबूत होंगे

विशेषज्ञों के अनुसार फ्लोटिंग सोलर प्लांट पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा. क्योंकि इससे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी. यही नहीं, यह परियोजना राज्य की अक्षय ऊर्जा नीति को मजबूत करेगी. इससे पहले रजौली में परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भी योजना बनाई गई थी, लेकिन अब सरकार हरित ऊर्जा की ओर बढ़ रही है. इस परियोजना से न केवल रजौली बल्कि आसपास के इलाकों को भी फायदा होगा. स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन बढ़ने से बिजली की लागत कम होगी और स्थानीय लोगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिलेगी.

किसानों को सिंचाई के साथ मिलेगी बिजली

नवादा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर रजौली प्रखंड मुख्यालय में फुलवरिया डैम है. यह सिंचाई की सुविधा के लिए उपयोगी है. अब इसी डैम में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट की स्थापना की जा रही है. इस प्लांट से डैम को कोई नुकसान नहीं है. खेतों की सिंचाई प्रभावित नही होगी. बल्कि किसानों को अक्षय ऊर्जा भी मिलेगी. यानि किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा. सिंचाई के साथ बिजली की आपूर्ति. यही नहीं, यह डैम पहाड़ियों के बीच अवस्थित है. यह खूबसूरत वादियों से घिरा है. इस डैम इलाका को पर्यटन क्षेत्र में विकसित करने की योजना है. ऐसे में डैम की खूबसूरती में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट चार चांद लगा देगा. हालांकि अभी निर्माण की गतिविधि शुरू हुआ है. इसके निर्माण का समय स्पष्ट नहीं है.

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