"कहीं गाय तो कहीं सूअर का डेरा" : कोरोना काल में बिहार के स्वास्थ्य केंद्रों का ऐसा है नज़ारा

ताजा मामला बिहार के मधुबनी जिले खजौली के सुक्की गांव का है. यहां एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की ये दुर्दशा है कि इसका इस्तेमाल गौशाला के रूप में किया जा रहा है.

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मधुबनी:

कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के बीच देश में ग्रामीण क्षेत्रों की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है. एक तरह जहां शहरों में लोगों को इलाज के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में न तो डॉक्टर और न ही नर्स दिखाए पड़ रहे हैं. इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. ताजा मामला बिहार के मधुबनी जिले खजौली के सुक्की गांव का है. यहां एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की ये दुर्दशा है कि इसका इस्तेमाल गौशाला के रूप में किया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल से इस स्वास्थ्य केंद्र पर न तो कोई डॉक्टर और न ही कोई नर्स आई है. 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक ग्रामीण ने कहा कि पिछले साल से इस स्वास्थ्य केंद्र पर कोई नर्स या डॉक्टर नहीं आया है. लोगों को खजौली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है.

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सुक्की गांव के अन्य शख्स ने कहा, "एक ANM को इस केंद्र के लिए तैनात किया गया था लेकिन कोविड-19 के कारण वर्तमान में वो एएनएम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खजौली में तैनात है. यह केंद्र यहां 30 सालों से ज्यादा समय से चल रहा है." 

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मधुबनी के सकरी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भी कुछ यही हाल है. यह जर्जर हालत में है. एक स्थानीय शख्स ने कहा, "यह अस्पताल केवल कागजों पर है. इस केंद्र के लिए डॉक्टर, नर्स और सफाई कर्मचारियों को नियुक्त भी किया गया है, लेकिन वे यहां मौजूद नहीं रहते हैं. वे महीने में सिर्फ एक बार आते हैं."

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एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "यहां डॉक्टर नहीं आते हैं. यह केंद्र सिर्फ 26 जनवरी और 15 अगस्त को ध्वजारोहण के लिए खुलता है. यह अस्पताल सिर्फ कागजों पर ऑपरेशनल है."

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