बिहार के सभी विश्वविद्यालय अब इस वर्ष आगामी शैक्षणिक सत्र से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत चार वर्षीय स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम शुरू करेंगे. राजभवन से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गयी है. बयान में कहा गया है कि वर्तमान में प्रदेश के अधिकतर महाविद्यालयों में तीन वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम वार्षिक पद्धति से चलाए जा रहे हैं.
बयाम में कहा गया है कि इस आशय का निर्णय बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. इसमें कहा गया है कि गुरुवार की देर शाम तक चली इस बैठक में राज्य के विश्वविद्यालयों के लगभग सभी कुलपति और राज्य शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा के बाद यह निर्णय किया गया है. बयान के मुताबिक सीबीसीएस और सेमेस्टर प्रणाली के तहत चार वर्षीय स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम आगामी शैक्षणिक सत्र (2023-27) से शुरू किए जाएंगे.
कहा गया है कि कोर्स की संरचना और प्रथम वर्ष के लिए विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए कमेटी गठित करने का भी निर्णय किया गया.
बयान में कहा गया है कि बैठक में निर्णय लिया गया कि इस सत्र में विश्वविद्यालय स्तर पर ही नामांकन होगा पर सभी विश्वविद्यालयों को एक ही समय पर सभी संबंधित कार्य सम्पन्न करने होंगे और इसके लिए टाईम लाइन का निर्धारण राजभवन द्वारा किया जाएगा और अगले सत्र से नामांकन की केन्द्रीकृत प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
बयान में कहा गया है कि बैठक में एकेडमिक कैलेण्डर बनाने का निर्णय लिया गया और आधारभूत संरचना तथा फैकल्टीज के आकलन आदि के संबंध में भी विमर्श किया गया.राज्यपाल ने सीबीसीएस और सेमेस्टर प्रणाली को लागू करने हेतु महत्वपूर्ण निदेश देते हुए सभी प्रक्रियाओं को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने को कहा.
इस बीच, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संशोधित पाठ्यक्रम पहले साल से ही कौशल विकास का प्रशिक्षण देगा. सीबीएससी के तहत कार्यक्रम को आठ सेमेस्टर में विभाजित किया जाएगा.अधिकारी ने कहा कि एक साल में दो सेमेस्टर पूरा करने के बाद प्रमाणपत्र दिया जाएगा. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर इस संबंध में टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.
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