बिहार चुनाव... नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद आरजेडी उम्मीदवार गिरफ्तार

 झारखंड के गढ़वा में सदर थाने के प्रभारी अधिकारी सुनील तिवारी ने कहा, 'उस मामले में 2018 में सत्येंद्र साह के खिलाफ एक स्थायी वारंट जारी किया गया था. पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि लूट, डकैती और शस्त्र अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित 20 से अधिक मामले विभिन्न थानों में उनके खिलाफ लंबित हैं.'

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रोहतास:

बिहार की सासाराम सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार सत्येंद्र साह को सोमवार को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया. संबंधित थाने के अधिकारियों ने बताया कि साह की गिरफ्तारी झारखंड पुलिस ने की, क्योंकि उनके खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) लंबित था. उनके समर्थक इस कार्रवाई से अनजान थे और गिरफ्तारी की खबर फैलते ही आश्चर्यचकित रह गए.

रोहतास जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जैसे ही सत्येंद्र साह सासाराम सीट से अपना नामांकन दाखिल करने के लिए क्षेत्राधिकारी (सीओ) के कार्यालय पहुंचे, झारखंड पुलिस की एक टीम वहां पहुंची और उनके खिलाफ लंबित गैर जमानती वारंट तामील किया.''

झारखंड पुलिस ने कहा कि वह गढ़वा जिले के चिरौंजिया मोड़ पर 2004 में बैंक में हुई लूट के मामले में आरोपी हैं.
 झारखंड के गढ़वा में सदर थाने के प्रभारी अधिकारी सुनील तिवारी ने कहा, 'उस मामले में 2018 में सत्येंद्र साह के खिलाफ एक स्थायी वारंट जारी किया गया था. पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि लूट, डकैती और शस्त्र अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित 20 से अधिक मामले विभिन्न थानों में उनके खिलाफ लंबित हैं.'

बिहार की 243-सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में मतदान होना है. पहला चरण छह नवंबर और दूसरा 11 नवंबर को है. मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी.

यह ‘इंडिया' गठबंधन के प्रत्याशियों की गिरफ्तारी का तीसरा मामला है. इससे पहले, भाकपा (माले) लिबरेशन के दो उम्मीदवार भोरे से जितेंद्र पासवान और दरौली से सत्यदेव राम को भी नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद गिरफ्तार किया गया था. भाकपा (माले) लिबरेशन ने एक बयान जारी कर इन गिरफ्तारियों की निंदा की थी.

पार्टी ने कहा था, ‘‘हम कॉमरेड जितेंद्र पासवान और कॉमरेड सत्यदेव राम की राजनीतिक रूप से प्रेरित गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा करते हैं. उन्हें नामांकन केंद्र के बाहर, झूठे और बेबुनियाद आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया. यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं के भीतर फैले भय और घबराहट को उजागर करता है, जो बढ़ते जनाक्रोश और परिवर्तन की इच्छा से भयभीत हैं.''

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