बिहार चुनाव: 'यादव राजनीति' के गढ़ मधेपुरा में फिर जीती RJD, लगातार चौथे चुनाव में फहराया परचम

मधेपुरा में राजद के चंद्रशेखर ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी जेडीयू की कविता कुमारी साहा को 7809 मतों से हराया. मधेपुरा के 1,08,464 मतदाताओं ने चंद्रशेखर पर अपना विश्‍वास जताया, वहीं कविता कुमारी साहा को 1,00,655 मत मिले.

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  • मधेपुरा विधानसभा सीट पर राजद ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखी है.
  • चंद्रशेखर यादव ने जेडीयू की कविता कुमारी साहा को लगभग आठ हजार मतों से पराजित किया है.
  • मधेपुरा के 1,08,464 मतदाताओं ने चंद्रशेखर पर अपना विश्‍वास जताया, वहीं कविता कुमारी साहा को 1,00,655 मत मिले.
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पटना :

बिहार के कोसी अंचल में स्थित मधेपुरा विधानसभा सीट पर राजद ने कब्‍जा बरकरार रखा है. लगातार चौथी बार यह सीट राजद के खाते में गई है. यहां पर पार्टी के चंद्रशेखर ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी जेडीयू की कविता कुमारी साहा को 7809 मतों से हराया. मधेपुरा के 1,08,464 मतदाताओं ने चंद्रशेखर पर अपना विश्‍वास जताया, वहीं कविता कुमारी साहा को 1,00,655 मत मिले. वहीं निर्दलीय प्रणव प्रकाश तीसरे स्‍थान पर रहे. उन्‍हें 7894 मत मिले. बिहार चुनाव के पहले चरण में मधेपुरा सीट पर वोटिंग हुई थी. इस दौरान सीट पर 69.34 फीसदी मतदान हुआ.

राजनीतिक रूप से यह क्षेत्र 'यादव राजनीति' का गढ़ माना जाता है. मधेपुरा की राजनीति में लालू प्रसाद यादव, शरद यादव और पप्पू यादव का नाम हमेशा चर्चा में रहा है. दिलचस्प बात यह है कि इनमें से किसी का मूल संबंध मधेपुरा से नहीं रहा, फिर भी इनका राजनीतिक जीवन इस जिले से जुड़ा रहा.

लालू प्रसाद यादव ने ही शरद यादव को मधेपुरा की राजनीति में प्रवेश दिलाया था, लेकिन बाद में दोनों के बीच तल्खी इतनी बढ़ी कि 1999 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव ने लालू को हराकर सियासी तूफान ला दिया. पप्पू यादव, जिनकी छवि एक समय बाहुबली नेता की रही, उन्होंने भी यहां अपनी राजनीतिक जमीन बनाई, लेकिन यादव वोटों का स्पष्ट ध्रुवीकरण कभी किसी एक नेता को स्थायी जनाधार नहीं दे सका.

लगातार तीन चुनावों में राजद उम्‍मीदवार ने दर्ज की जीत 

यह सीट इस बार भी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास है. इससे पहले, चंद्रशेखर यादव ने लगातार तीन बार 2015, 2020 और 2021 के उपचुनाव में जीत दर्ज की है. राजद की मजबूती का एक बड़ा कारण मधेपुरा में एल्पस्टॉम लोकोमोटिव फैक्ट्री का आना भी माना जाता है, जिसे लालू यादव ने 2007 में प्रस्तावित किया था. हालांकि, इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में किया, लेकिन राजद ने इसका श्रेय बखूबी लिया और चुनावी लाभ भी उठाया.

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