- 1977 के बिहार विधानसभा चुनाव में महिषी सीट से लहटन चौधरी और परमेश्वर कुंवर आमने-सामने थे.
- परमेश्वर कुंवर ने जीत का आशीर्वाद मांगा तो लहटन चौधरी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और प्रचार से भी किनारा कर लिया.
- लहटन चौधरी ने कुंवर को आशीर्वाद दिया और अपने प्रचार से हटकर राजनीतिक रिश्तों की गरिमा को प्राथमिकता दी थी.
आज की राजनीति में जहां विचारधारा की जगह जाति और व्यक्तिवाद ने ले ली है, और चुनावी मंचों पर बहसें अक्सर आरोप-प्रत्यारोप में तब्दील हो जाती हैं, वहीं पुराने दौर के कुछ किस्से आज भी दिल को सुकून देते हैं. ऐसा ही एक किस्सा है 1977 के बिहार विधानसभा चुनाव का, जब सहरसा जिले की महिषी सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता लहटन चौधरी और जनता पार्टी के परमेश्वर कुंवर आमने-सामने थे. चुनावी मुकाबला था, लेकिन जब प्रतिद्वंद्वी परमेश्वर कुंवर ने छोटे भाई की तरह जीत का आशीर्वाद मांगा, तो लहटन चौधरी ने न सिर्फ उन्हें आशीर्वाद दिया, बल्कि उसी पल अपने प्रचार से भी किनारा कर लिया. यह महज एक चुनावी घटना नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की उस आत्मा की झलक है, जिसमें रिश्तों की गरिमा राजनीति से ऊपर होती थी. बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के बीच यह कहानी आज भी एक सबक की तरह सामने आती है.
1977 में कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता लहटन चौधरी सहरसा जिले की महिषी विधानसभा सीट से प्रत्याशी थे और उनका सीधा मुकाबला जनता पार्टी के प्रत्याशी परमेश्वर कुंवर से था. नामांकन दाखिल करने के बाद दोनों प्रत्याशी क्षेत्र में जनसंपर्क करने में जुट गए थे. जनसंपर्क के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी लहटन चौधरी नवहट्टा प्रखंड के तत्कालीन उप प्रमुख रावणेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ डोमन सिंह के यहां पहुंचे. मुलाकात के बाद निकले और पैदल ही गांव में घर-घर जाकर लोगों से मिल रहे थे. इसी क्रम में शिव मंदिर के पास पहुंचते ही सामने से प्रतिद्वंदी जनता पार्टी के प्रत्याशी परमेश्वर कुंवर को समर्थकों के साथ आते देखा तो रुक गए.
कुंवर ने पैर छूकर लिया चौधरी का आशीर्वाद
परमेश्वर कुंवर ने भी लहटन चौधरी को देखा तो उनके पास आए और पैर छूकर प्रणाम किया. लहटन चौधरी ने भी कुंवर के सिर पर हाथ फेरकर उन्हें खुश रहने का आशीर्वाद दिया. उस समय के साक्षी रहे लोग बताते हैं कि दोनों प्रत्याशियों में स्वस्थ माहौल में चुनावी बातें हुई. फिर लहटन चौधरी आगे बढ़ने लगे तो परमेश्वर कुंवर ने उन्हें रोका और पूछा कि वे उनके छोटे भाई हैं न?
जीत का आशीर्वाद, बंद किया अपना प्रचार
लहटन चौधरी मुस्कुराए और बिना एक क्षण गंवाए उन्होंने जीत का आशीर्वाद दिया और आगे बढ़ गए. परमेश्वर कुंवर ने एक बार फिर उन्हें टोका और कहा कि अब आप कहां चले? छोटे भाई को जीत का आशीर्वाद देकर आप प्रचार में कैसे जा सकते हैं. यह सुनकर लहटन चौधरी मुस्कुराने लगे और कहा कि तुम ठीक ही कहते हो. वे वहां से निकलकर सीधे अपने गांव कर्णपुर चले गए.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे थे लहटन चौधरी
1952 में हुए पहले आम चुनाव में लहटन चौधरी सुपौल विधानसभा सीट से विधायक बने थे. 1964 से 1967 तक लहटन चौधरी सहरसा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. महिषी विधानसभा के गठन के बाद 1967 में परमेश्वर कुंवर ने विधानसभा का चुनाव जीता. 1969 में लहटन चौधरी एक बार फिर महिषी सीट से चुनाव जीते और 1972, 1980 और 1985 तक विधायक चुने जाते रहे. इस बीच लंबी अवधि तक लहटन चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे थे.