बिहार चुनाव: गोरियाकोठी में उलटती-पलटती रही है राजनीतिक रोटी, क्‍या बीजेपी बचा पाएगी अपनी सीट?

इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. देवेश कांत सिंह यहां के विधायक हैं और इस बार भी वो चुनावी मैदान में है, दूसरी ओर महागठबंधन में राजद के अनवारुल हक अंसारी से उनका मुकाबला है.  

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

बिहार की गोरियाकोठी विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी की है. यह राजनीति, इतिहास और लोकजीवन का एक दिलचस्प मिश्रण प्रस्तुत करती है. यह सीट सिवान जिले में आती है और महाराजगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. साल 2010 में बसंतपुर और लकड़ी नबीगंज प्रखंडों को गोरियाकोठी प्रखंड के साथ मिलाकर इसका नया गठन हुआ, जिसके बाद यह क्षेत्र प्रशासनिक रूप से अधिक सशक्त हुआ. इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. देवेश कांत सिंह यहां के विधायक हैं और इस बार भी वो चुनावी मैदान में है, दूसरी ओर महागठबंधन में राजद के अनवारुल हक अंसारी से उनका मुकाबला है.  

गोरियाकोठी का इतिहास ब्रिटिश शासनकाल तक जाता है. माना जाता है कि उस समय यहां किसी अंग्रेज नील व्यापारी, राजस्व अधिकारी या जिले के किसी वरिष्ठ अफसर का एक बंगला हुआ करता था. स्थानीय लोग इसे गोरिया का कोठी कहने लगे, जो समय के साथ बोलचाल में गोरियाकोठी के नाम से प्रसिद्ध हो गया. गोरियाकोठी प्रखंड मुख्यालय सिवान जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर पूर्व स्थित है. यह महाराजगंज, बसंतपुर और लकड़ी नबीगंज जैसे कस्बों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है, जबकि नजदीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन सिवान है.

क्‍या हैं यहां के चुनावी मुद्दे? 

यह क्षेत्र पूर्णतः ग्रामीण और कृषि आधारित है. यहां की उपजाऊ भूमि और जलवायु कृषि को प्रमुख आजीविका का माध्यम बनाती है. धान, गेहूं और मक्का यहां की प्रमुख फसलें हैं, जबकि कुछ इलाकों में गन्ने की खेती भी की जाती है. हालांकि, क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, जिससे रोजगार और पलायन आज भी मुख्य सामाजिक मुद्दों में शामिल हैं.

यहां के मतदाता मुख्य रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके मुद्दे खेती-किसानी, सिंचाई, सड़क, शिक्षा और रोजगार जैसे स्थानीय सवालों से जुड़े हैं. गोरियाकोठी विधानसभा की राजनीति स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. कृषि संकट, ग्रामीण सड़कें, शिक्षा और युवाओं के पलायन जैसी समस्याएं हर चुनाव में केंद्रीय मुद्दा बनती हैं.

कब-कब किस पार्टी के खाते में रही सीट?

पिछले डेढ़ दशक में गोरियाकोठी में सत्ता का पलड़ा बार-बार बदलता रहा है. राजनीतिक दृष्टि से गोरियाकोठी का इतिहास काफी रोचक रहा है. हालांकि वर्तमान स्वरूप में यह सीट 2008 में पुनर्गठित हुई और पहला चुनाव 2010 में हुआ, लेकिन यह 1967 से ही विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में था. पुनर्संरचना से पहले हुए 11 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने चार बार, भाजपा, जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार, जबकि लोकतांत्रिक कांग्रेस ने एक बार जीत दर्ज की थी.

2010 के बाद यह सीट भाजपा और राजद के बीच सत्ता की अदला-बदली का केंद्र बन गई. 2010 में भाजपा के भूमेंद्र नारायण सिंह ने जीत हासिल की. 2015 में राजद के सत्यदेव प्रसाद सिंह ने सीट पर कब्जा जमाया. वहीं, 2020 में भाजपा के देवेश कांत सिंह ने वापसी करते हुए जीत दर्ज की. 2020 के चुनाव में उन्होंने राजद की उम्मीदवार नूतन देवी को पराजित किया. देवेश कांत को 92,350 वोट मिले जबकि नूतन देवी 75,990 मत हासिल करने में कामयाब रहीं.  

Advertisement

2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, गोरियाकोठी विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,76,015 है. इनमें 2,93,564 पुरुष और 2,82,451 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,40,332 है, जिनमें 1,76,468 पुरुष, 1,63,861 महिलाएं और 3 थर्ड जेंडर शामिल हैं.
 

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: बिहार में प्रचार का दौर शुरु, आज PM Modi करेंगे जनसभा | NDA | BJP | RJD