- बिहार विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर AI आधारित भ्रामक वीडियो बनाकर प्रचार कर रहे हैं
- चुनाव आयोग ने सभी दलों को AI से बने फर्जी वीडियो पर स्पष्ट टैगिंग और सूचना देने के सख्त निर्देश दिए हैं
- आयोग ने निजी जीवन पर टिप्पणी और बिना पुष्टि के आरोप लगाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है
बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है लेकिन इस बार चुनावी जंग सिर्फ सड़कों और सभाओं में नहीं, सोशल मीडिया पर भी लड़ी जा रही है. ऐसे में चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे प्रचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बने भ्रामक या फर्जी वीडियो का इस्तेमाल न करें.
सोशल मीडिया पर पार्टियां AI का इस्तेमाल करती आईं नजर
हाल ही में सोशल मीडिया पर जेडीयू, राजद, भाजपा, और कांग्रेस सहित कई दलों के AI आधारित वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें विरोधी नेताओं की छवि को नकारात्मक ढंग से पेश किया गया है. आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी दलों को चेतावनी दी है कि अगर प्रचार में AI या किसी अन्य तकनीक से बनी सिंथेटिक सामग्री का उपयोग किया जाता है, तो उसकी स्पष्ट जानकारी और टैगिंग (जैसे “AI-Generated” या “Synthetic Content”) जरूरी होगी.
चुनाव आयोग ने कही ये बात
आयोग ने कहा कि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार की आलोचना केवल उनकी नीतियों, कार्यक्रमों, पूर्व रिकॉर्ड और कार्यों तक सीमित रहनी चाहिए. निजी जीवन पर टिप्पणी करना पूरी तरह निषिद्ध है. इसके अलावा, किसी भी राजनीतिक दल या उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना पुष्टि के आरोप या जानकारी को तोड़-मरोड़ कर पेश करना गलत है और इसे सख्ती से रोका जाएगा. चुनाव आयोग ने गहरी चिंता जताई है कि कुछ लोग एआई टूल्स की मदद से 'डीप फेक' वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैला रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल को दूषित किया जा सकता है.
चुनाव आयोग की टीम ने बैठक भी की
इतना ही नहीं, बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ चुनाव आयोग की टीम ने एक बैठक भी की है. जिसमें सोशल मीडिया मॉनिटरिंग व फेक न्यूज नियंत्रण पर चर्चा हुई. साथ ही चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देशों पर चर्चा की गई.
चुनाव आयोग ने डिजिटल प्रचार पर निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की हैं जो सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही सामग्री का विश्लेषण कर रही हैं. आयोग की ओर से कहा गया है कि फेक न्यूज, डीपफेक वीडियो, और मिसइनफॉर्मेशन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “फर्जी और गुमराह करने वाली जानकारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा है. हम किसी भी तरह की गलत जानकारी को फैलने से रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
दिल्ली चुनाव में भी हुआ था AI का दुरुपयोग
AI के जरिए प्रचार सामग्री तैयार करने की शुरुआत नई नहीं है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी राजनीतिक दलों द्वारा विरोधियों के भाषणों और बयानों को एडिट कर फर्जी वीडियो बनाए थे. उस समय भी चुनाव आयोग ने चेतावनी दी थी और आम आदमी पार्टी के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई थीं. पार्टी के खिलाफ अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की AI से फोटो और वीडियो में छेड़छाड़ करने के मामले में केस दर्ज किया गया था. दोनों ही पार्टियों ने एक दूसरे पर एआई वीडियो के जरिए कटाक्ष किया था. जिसके कारण आयोग ने पहली बार दिल्ली चुनाव में एआई और डीपफेक को लेकर चेतावनी जारी की थी.
साइबर विशेषज्ञ आशुतोष श्रीवास्तव ने कही ये बात
साइबर विशेषज्ञ आशुतोष श्रीवास्तव कहते हैं, “AI की तकनीक बेहद शक्तिशाली है. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल गलत मकसद से किया जाए, तो यह लोकतंत्र और समाज के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. इस पर समय रहते लगाम लगाना जरूरी है.” उन्होंने आगे कहा, एआई वीडियो बनाकर दूसरे पार्टियों की छवि को खराब किया जाता है. फ्री एंड फेयर चुनाव होना चाहिए इसलिए बहुत जरूरी हैं कि इस तरह की रोक लगनी चाहिए.
इंटरनेट पर भी हो रही बिहार चुनाव की जंग
बिहार में इस बार चुनावी लड़ाई सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि इंटरनेट की दुनिया में भी लड़ी जा रही है. लेकिन आयोग की सख्ती से उम्मीद है कि वोटरों तक पहुंचने से पहले फेक न्यूज और भ्रामक जानकारी को रोका जा सकेगा. चुनाव आयोग का यह कदम ना केवल डिजिटल प्रचार को पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम है, बल्कि यह दिखाता है कि लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए तकनीक पर भी सख्त नियंत्रण जरूरी है.
बता दें कि बिहार में दो चरणों में चुनाव होगा. पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.