पुष्पम प्रिया चौधरी: बिहार की राजनीति में 'भूचाल' लाने वाली आवाज, 2025 में तोड़ पाएंगी जातिवाद का चक्रव्यूह?

बिहार की राजनीति में एक नाम खूब चर्च में रहता है- पुष्पम प्रिया चौधरी. पुष्पम प्रिया चौधरी एक राजनीतिक परिवार से हैं. उनके पिता विनोद कुमार चौधरी जद(यू) के दरभंगा से पूर्व विधान पार्षद रह चुके हैं और उनके दादा प्रोफेसर उमाकांत चौधरी नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी थे. बिहार की राजनीति में उतर रहे युवाओं पर अर्चना राय की रिपोर्ट.

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  • पुष्पम प्रिया ने 8 मार्च 2020 को बिहार के CM पद का उम्मीदवार घोषित कर राजनीतिक चर्चा में आने का प्रयास किया
  • पुष्पम प्रिया ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की है.
  • वे जदयू के पूर्व विधायक परिवार से हैं और उनका परिवार बिहार की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहा है.
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पटना:

बिहार की राजनीति लंबे समय से जाति, परिवारवाद और परंपरागत वोट बैंक पर आधारित रही है. पिछले कुछ सालों में बिहार की राजनीति में एक नाम खूब चर्च में रहता है- पुष्पम प्रिया चौधरी. यह वही पुष्पम प्रिया चौधरी हैं, जिन्होंने 8 मार्च 2020 को सभी अखबारों में विज्ञापन जारी कर खुद को बिहार के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर बिहार की राजनीतिक में भूचाल ला दिया था. पुष्पम प्रिया चौधरी एक उभरती हुई राजनीतिक युवा नेता है जिन्होंने विदेश में पढ़ाई लिखाई पुरी की, जो आधुनिक विचारों वाली और परिवर्तन के आकांक्षा रखने वाली यह युवती बिहार की राजनीतिक में एक नई ऊर्जा लेकर आई.

पुष्पम प्रिया चौधरी का जन्म 13 जून, 1987 में बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था. अगर हम बात करे इनकी शिक्षा की तो इन्होंने अपनी स्कूलिंग होली क्रॉस मिशनरी स्कूल, दरभंगा से पूरी की, ग्रैजुएशन सिंबायोसिस इंटरनेश यूनिवर्सिटी, पुणे से पूरी की. पुष्पम प्रिया आगे की पढ़ाई की लिए विदेश चली गई उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की. उन्होंने यूनिवर्सिट ऑफ ससेक्स में डेवलेपमेंट स्ट्डीज में M.A. किया और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई 2019 में पूरी की. पुष्पम प्रिया चौधरी ने शिक्षा पूरी करने के बाद और राजनीतिक में आने से पहले बिहार सरकार के पर्यटन और स्वास्थ्य विभागों में सलाहकार के रूप में कार्य किया.

पारिवारिक पृष्ठभूमि

पुष्पम प्रिया चौधरी एक राजनीतिक परिवार से हैं. उनके पिता विनोद कुमार चौधरी जद(यू) के दरभंगा से पूर्व विधान पार्षद रह चुके हैं और उनके दादा प्रोफेसर उमाकांत चौधरी नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी थे. ये समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. पुष्पम प्रिया के चाचा विनय कुमार चौधरी बिहार से जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य हैं उन्होंने बेनीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में सदस्य के रूप में चुना गया था.

पुष्पम प्रिया चौधरी
8 मार्च 2020, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पुष्पम प्रिया चौधरी ने अपनी राजनीतिक पार्टी “दी प्लूरल पार्टी” की स्थापना की. उन्होंने बिहार के प्रमुख हिंदी और अंग्रेजी अखबारों के पहले पन्ने पर खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताते हुए विज्ञापन देकर बिहार की राजनीतिक में तूफ़ान ला दिया और मीडिया में छा गई. उन्होंने खबरों में फुल पेज विज्ञापन देकर संदेश दिया “Bihar needs change. Bihar deserves better. Better is possible”.

बिहार विधानसभा चुनाव--2020

2020 के विधानसभा चुनाव में पुष्पम प्रिया ने बांकीपुर और बिस्फी(मधुबनी), दो सीटों से चुनाव लड़ा . कुछ रिपोर्टर्स के अनुसार पार्टी ने शुरुआत में बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी बाद में पार्टी पंजीकरण में देरी और अन्य कर्म से पार्टी के सदस्य अंतत:148 सीटों पर चुनाव लड़े जिनमें से कुछ निर्दलीय घोषित उम्मीदवार भी शामिल थे कई स्रोतों के अनुसार पार्टी के उम्मीदवारों ने कुल 102 सीटोंपर चुनावी भी मैदान में हिस्सा लिया पुष्पम प्रिया ने खुलकर जाति और धर्म आधारित राजनीति का विरोध किया उन्होंने अपने उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों में उनकी जाति की जगह उनके पेस को और धर्म की जगह“बिहार” को दर्शाया यह कदम बिहार के पारंपरिक राजनीतिक में एक साहसिक प्रयोग था जिसका उद्देश्य लोगों के जाति और धर्म से ऊपर उठकर विकास के नाम पर एकजुट करना था. पिछली बिहार विधानसभा में प्लूरल पार्टी को बांकीपुर से 5189 वोट, बिस्फी से 1521 वोट यानी कुल 6710 वोट की हिस्सेदारी मिलने के कारण इन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

जैसा कि हम जानते हैं बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तिथि जारी हो चुकी है इसी बीच प्लूरल पार्टी की संस्थापक और उम्मीदवार पुष्पम प्रिया चौधरी चुनाव की तैयारी में जुट गई है पार्टी इस बार बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी| चुनाव के लिए सिंबल भी मिल चुका है 2020 में उनकी पार्टी को सिंबल में शतरंज मिला था और इस बार सिटी मिला है. पुष्पम प्रिया ने इस बार के चुनाव में नया फार्मूला सामने लाया है की 50%सीट महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी.

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पुष्पम प्रिया चौधरी का राजनीतिक सफर अभी शुरुआती दौर में है भले ही उन्हें तत्काल चुनावी सफलता नहीं मिली हो लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है. बिहार जैसे राज्य में जहां युवा आबादी अधिक है और विकास की तीव्र आकांक्षाएं हैं वहां पुष्पम प्रिया जैसे नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में वह बिहार की राजनीतिक में क्या छाप छोड़ पाती है और क्या हुआ बैंक बिहार के लिए बेहतर विकल्प बन पाती हैं.

अर्चना राय/प्रभाकर कुमार की रिपोर्ट

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