- तेजस्वी ने बिहार चुनाव में नीतीश की सरकार को नकलची बताते हुए बदलाव और तेज रफ्तार सरकार का नारा दिया था.
- लेकिन RJD की करारी हार का मुख्य कारण तेजस्वी का CM फेस बनने के लिए अड़ जाना और चुनाव प्रचार से दूर रहना था.
- महागठबंधन में सीट बंटवारे और सीएम फेस को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच मतभेद चुनाव प्रचार में बाधक बने थे.
'नीतीश कुमार की सरकार नकलची सरकार है. हमारी हर घोषणा का नकल करती है.' बिहार के चुनावी माहौल में RJD नेता तेजस्वी यादव ने यह बयान कई मर्तबा दिया. लगभग हर प्रेस कॉफ्रेंस, जनसभा, रैली में तेजस्वी नीतीश कुमार की सरकार पर नकल करने का आरोप लगाते रहे. उनके इस आरोप के साथ ही एक छिपा हुआ संदेश भी सामने आता था. अब बहुत हुआ, बिहार में बदलाव चाहिए, 'तेज रफ्तार तेजस्वी सरकार' चाहिए. बिहार चुनाव के ऐलान से पहले तक यह नारा जन-जन तक पहुंच चुका था. लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद आखिर बिहार में ऐसा क्या हुआ कि 143 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली राजद मात्र 25 सीटें ही जीत सकी.
तेजस्वी की सबसे बड़ी भूल- सीएम फेस घोषित करने के लिए अड़ना और जब तक इस बात की घोषणा नहीं हुई, तब तक के लिए चुनाव को बीच मंझधार में छोड़ लगभग गायब हो जाना रहा.
शुरू से समझिए कहानी
उल्लेखनीय हो कि बिहार चुनाव से पहले SIR के मुद्दे पर राहुल गांधी के नेतृत्व में निकली 'वोट अधिकार यात्रा' में पूरा महागठबंधन एकजुट दिखा. राहुल-तेजस्वी-मुकेश-दीपांकर सहित सभी घटक दलों के नेता कई दिनों तक बिहार के अलग-अलग जिलों में घूमते रहे. इन जनसभाओं में भीड़ भी खूब जुटी, लगा कि माहौल बनने लगा है.
बिहार अधिकार यात्रा में अकेले निकले तेजस्वी
इस यात्रा के समाप्त होने के बाद राहुल गांधी बिहार से दूर हो गए. फिर तेजस्वी ने कमान संभाली, बिहार अधिकार यात्रा के नाम से तेजस्वी बिहार के उन जिलों में पहुंचे जहां राहुल की यात्रा के समय नहीं पहुंच सकी थी. तेजस्वी की इस यात्रा में घटक दलों के नेता नहीं थे और ना ही कार्यकर्ता. यहीं से महागठबंधन में बिखराव के संकेत मिलने लगे.
सीएम फेस के लिए अड़े तेजस्वी
बिहार अधिकार यात्रा समाप्त होने के बाद सीटों के बंटवारे पर बैठकों का दौर शुरू हुआ. कई दौर की बातचीत हुई, सभी दलों ने तेजस्वी को चुनाव अभियान की कमान सौंप दी. लेकिन जब चुनाव की घोषणा हुई तब सीट बंटवारे से पहले तेजस्वी सीएम फेस के लिए अड़ गए.
बीच चुनाव कई दिनों तक चलती रही किचकिच
कांग्रेस की रणनीति बिना सीएम फेस घोषित किए चुनाव में जाने की थी. लेकिन तेजस्वी सीएम फेस घोषित करने पर आमदा दिखे. कई बार सार्वजनिक मंच से उन्होंने खुद को सीएम फेस घोषित किया. सीएम फेस घोषित करने पर कांग्रेस और राजद के बीच यह किचकिच करीब एक सप्ताह तक चलती रही.
जब तक घोषणा नहीं, तब तक लगभग गायब हो गए तेजस्वी
इस दौरान तेजस्वी लगभग चुनावी सीन से गायब हो गए. इसी बीच सीट बंटवारे का दवाब भी बढ़ता गया. एक केस की सुनवाई में तेजस्वी पूरे परिवार के साथ दिल्ली आए. चर्चा थी कि वो राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं से मिलकर निर्णय लेंगे. लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि दिल्ली में होने के बाद भी राहुल गांधी से नहीं मिले.
गहलोत ने ऐलान किया, तब प्रचार शुरू, लेकिन सीट बंटवारा फंसा रहा
इस बीच नामांकन की तारीखें लगातार बीत रही थी. अंत में कांग्रेस ने गहलोत को संकटमोचक बनाकर बिहार भेजा. उन्होंने तेजस्वी को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस बनाने की घोषणा की. इसके बाद कांग्रेस नेताओं से अधिक तेजस्वी, मुकेश सहनी और आईपी गुप्ता के करीब नजर आए. रैलियों का दौर शुरू हुआ, एक-एक दिन में कई सभाएं शुरू हुई. लेकिन सीट बंटवारे की घोषणा, उम्मीदवारों की घोषणा का मामला लटकता रहा.
कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट हुई
सीट बंटवारे की घोषणा नहीं होने के कारण करीब एक दर्जन सीट पर महागठबंधन साथियों के बीच फ्रेंडली फाइट हुई. हालत यह हुई कि जिस सीट पर राहुल गांधी सहित दूसरे कांग्रेस नेता आकर अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे थे, उसी सीट पर तेजस्वी राजद कैंडिडेंट के लिए वोट मांग रहे थे.
बारिश में पटना में बैठे रहे तेजस्वी, नीतीश सड़क मार्ग के कई जिले में पहुंचे
चुनाव प्रचार अभियान जब पूरे पीक पर था, उसी दौरान एक वाकया खूब चर्चा में आया. चक्रवाती तूफान के कारण बिहार में बेमौसम की बारिश हो रही थी. आंधी-बारिश ऐसी थी कि हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहा था. इस दिन तेजस्वी पूरे दिन पटना में बैठे रहे. लेकिन खराब मौसम के बाद भी नीतीश कुमार ने सड़क मार्ग से कई जगहों पर प्रचार अभियान को संबोधित किया.
हम तो शपथ ग्रहण की तैयारी में लगे है... संजय का बयान
इसी बीच तेजस्वी के चाणक्य कहे जाने वाले संजय यादव का एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ. जिसमें मंच पर बैठे तेजस्वी के सामने संजय यादव यह कहते दिखे तो हम तो 18 नवंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों में जुटे हैं. कि शपथ ग्रहण में किसे बुलाना है, किसे नहीं. यह तेजस्वी और उनकी टीम का अति आत्मविश्वास बताता है. इसका भी गलत संदेश गया.
राजद को वन मैन आर्मी बना दिया
सीट बंटवारे से लेकर प्रत्याशियों के चयन तक का काम तेजस्वी और उनकी टीम ने अपने हाथों में ले रखा था. एक रूप से कहा जाए तो तेजस्वी को वन मैन आर्मी बना दिया गया. तेजस्वी को यह भ्रम हो गया कि बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है. इस बात सत्ता उनके पास खुद चल कर आ रही है.
अब लालू परिवार टूट की कगार पर
अब पार्टी की करारी हार के बाद अब लालू का परिवार बिखरता नजर आ रहा है. एक बेटा (तेज प्रताप) पहले ही पार्टी और परिवार से निष्कासित हो चुका है. अब लालू को नया जीवनदान देने वाली बेटी रोहिणी आचार्या ने भी राजनीति और पार्टी से दूर जाने का ऐलान कर दिया है. अब देखना है कि लालू परिवार और राजद का भविष्य क्या होता है?
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