Siwan Assembly Seat Result: बिहार की सिवान विधानसभा सीट में बरहरिया प्रखंड की आठ ग्राम पंचायतें आती हैं, जिसमें नगर पालिका क्षेत्र भी शामिल है. हर बार की तरह इस बार भी इस विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर देखी जा सकती है. ये बिहार की एक ऐसी सीट है, जहां कोई भी पार्टी लगातार अपना दबदबा बरकरार नहीं रख पाई है. कांग्रेस से लेकर बीजेपी और आरजेडी, सभी दलों ने कभी न कभी इस सीट पर राज किया है. इस बार बीजेपी के मंगल पांडेय और आरजेडी के मौजूदा विधायक अवध बिहारी चौधरी के बीच टक्कर है.
Siwan Vidhan Sabha Chunav Result 2025 Live Updates:
शुरुआती रुझानों में BJP को मिली बढ़त के बाद अब रुख बदलती नजर आ रहा है. अब आरजेडी प्रत्याशी अवध बिहारी आगे चल रहे हैं. वह बीजेपी के मंगल पांडेय को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
Siwan Assembly Election Result 2025 Live Updates:
Siwan Chunav Result 2025 LIVE: सिवान विधानसभा सीट पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है. शुरुआती रुझानों में बीजेपी के मंगल पांडेय आगे चल रहे हैं...आरजेडी प्रत्याशी अवध बिहारी पीछे चल रहे हैं. बैलट पेपर की गिनती हो गई है. अब ईवीएम से गिनती हो रही है.
कितनी बार कौन जीता चुनाव?
सीवान में 1959 के उपचुनाव को मिलाकर अब तक कुल 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यहां वोटर्स ने लगातार अपनी पसंद बदली है, जिसके कारण इस सीट पर राजनीतिक दलों का प्रदर्शन मिला-जुला रहा.
भारतीय जनता पार्टी (BJP): इस सीट पर सात बार जीत हासिल कर सबसे सफल पार्टी रही है. इसमें जनसंघ की दो जीत भी शामिल हैं.
कांग्रेस (Congress): शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का प्रभुत्व था, जिसने पहले पांच चुनावों में से चार में जीत दर्ज की, लेकिन उसे आखिरी बार सफलता 1967 में मिली.
राष्ट्रीय जनता दल (RJD): RJD ने यहां तीन बार जीत का परचम लहराया है, जिसमें 2020 का पिछला चुनाव भी शामिल है.
जनता दल और जनता पार्टी: इन दलों ने भी इस सीट पर क्रमशः दो-दो बार जीत दर्ज की है.
ऐसा है जातीय समीकरण
सिवान की राजनीति में जातीय समीकरण की बड़ी भूमिका रही है. यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया और दलित समुदायों का संतुलन चुनाव परिणाम तय करता है. नगर क्षेत्र में मुस्लिम और व्यावसायिक वर्ग का भी प्रभाव है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यादव और राजपूत मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
सिवान का ऐतिहासिक महत्व
बिहार का सिवान जिला भारतीय इतिहास और समृद्ध भोजपुरी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अध्याय है. यह वह पावन धरती है, जिसने देश को उसके पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसा महान व्यक्तित्व दिया. स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक राजनीतिक विमर्श तक, सीवान ने अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना मजहरुल हक, ब्रज किशोर प्रसाद, महेंद्र प्रसाद और सैयद मोहम्मद जैसे दिग्गजों ने सीवान की मिट्टी का गौरव बढ़ाया. भोजपुरी में 'सिवान' का अर्थ 'सीमा' या 'सरहद' होता है. यह क्षेत्र नेपाल की दक्षिणी सीमा के पास होने के चलते 'सिवान' कहलाया.
पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व की दृष्टि से भी सिवान समृद्ध है. दारौली क्षेत्र का 'दोन' स्थल महाभारत के गुरु द्रोणाचार्य से जुड़ा बताया जाता है. यहां बुद्ध से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध के शरीर की अस्थियों के वितरण से जुड़ी एक कथा इसी क्षेत्र की है और प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्यूएन त्सांग ने भी दोन का उल्लेख किया था.














