Saharsa Vidhan Sabha Chunav Result 2025 LIVE: सहरसा विधानसभा सीट के नतीजे इस बार दिलचस्प हो सकते हैं. इस सीट पर अबकी बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, हालांकि बीजेपी का सीट पर दबदबा रहा है. बीजेपी के आलोक रंजन झा लगातार दो बार विधायक रहे हैं और अब तीसरी बार जीतने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार उनका सीधा मुकाबला महागठबंधन में शामिल इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) के इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता से है. इसके अलावा जन सुराज से किशोर कुमार मैदान में हैं. इस बार सहरसा सीट पर 63 प्रतिशत मतदान हुआ है. यह देखना होगा कि क्या सहरसा के मतदाता एक बार फिर बदलाव करेंगे या बीजेपी कोसी क्षेत्र में अपनी बादशाहत कायम रख पाएगी.
Saharsa Election Result 2025 LIVE Updates:
सहरसा विधानसभा सीट पर शुरुआती रुझानों में इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) के इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता पीछे चल रहे हैं. जबकि बीजेपी के आलोक रंजन झा आगे चल रहे हैं.
इस सीट पर राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे हैं...
पिछले कई सालों से बीजेपी की पकड़
सहरसा विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास की बात करें तो शुरुआती दौर में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन अब बीजेपी ने मजबूत पकड़ बना ली है. पिछले पांच चुनावों में, बीजेपी चार बार जीत दर्ज करने में सफल रही है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को सिर्फ 2015 में जीत मिली थी. इससे पहले, जनता दल (दो बार), जनता पार्टी और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने भी इस सीट से जीत दर्ज की थी.
बाढ़ की मार झेलता है सहरसा
कोसी, बागमती और गंडक जैसी प्रमुख नदियों से घिरा सहरसा, हर साल भीषण बाढ़ की मार झेलता है. पुलों और सड़कों के टूटने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, पर यही बाढ़ अपने पीछे उपजाऊ गाद भी छोड़ जाती है. इस उपजाऊ मिट्टी के कारण, सहरसा अब मक्का और मखाना के उत्पादन का एक बड़ा केंद्र बन चुका है, जहां से हर साल लाखों टन कृषि उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार हैं. कृषि (मक्का, मखाना) के अलावा, कोसी क्षेत्र का ईंट उत्पादन उद्योग सबसे ज्यादा है. जूट, साबुन, बिस्किट, चॉकलेट और प्रिंटिंग जैसे लघु उद्योग भी स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देते हैं.
सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक ताना-बाना
सहरसा, मिथिला क्षेत्र का अभिन्न अंग है, जहां मैथिली और हिंदी प्रमुखता से बोली जाती हैं. यह बिहार का 15वां सबसे बड़ा शहर होने के बावजूद, यहां की साक्षरता दर केवल 54.57 प्रतिशत है, जो विकास की चुनौतियों को उजागर करती है. सांस्कृतिक रूप से, सहरसा का गौरवशाली इतिहास रहा है. यह कभी राजा जनक के मिथिला साम्राज्य का हिस्सा था. महिषी में मंडन मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच हुआ प्रसिद्ध शास्त्रार्थ इसी भूमि की पहचान है. यहां के धार्मिक स्थलों, जैसे चंडी मंदिर, कात्यायनी मंदिर, तारा मंदिर, बाबाजी कुटी, और मत्स्यगंधा का रक्तकाली मंदिर, की मान्यता दूर-दूर तक फैली है, और ये स्थल चुनावी रुझानों को भी प्रभावित करते हैं.














