परिहार विधानसभा: चौथी बार खिलेगा कमल या लालटेन से होगा उजाला, पढ़ें क्यों खास है ये सीट 

परिहार पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है. यहां के लोग सादगी भरा जीवन जीते हैं. हाल के वर्षों में गांवों में बिजली और सड़क संपर्क में सुधार हुआ है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं अब भी सीमित हैं.

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परिहार सीट पर हमेशा से दिलचस्प रहा है मुकाबला
परिहार:

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीतामढ़ी जिले की परिहार विधानसभा सीट पर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुकी भाजपा और पिछले चुनाव में उसे कांटे की टक्कर दे चुकी राजद, दोनों ही पार्टी चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं. परिहार विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इसके बाद से इस सीट पर तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015 और 2020) हो चुके हैं. इन तीनों ही चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है. हालांकि, 2020 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गायत्री देवी और राजद उम्मीदवार ऋतु जायसवाल के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी. हार जीत का अंतर एक प्रतिशत 1 फीसदी वोटों से भी कम था. इस चुनाव में बीजेपी की गायत्री देवी ने जीत दर्ज की है. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के ऋतु जायसवाल को 17 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया है. ऋतु जायसवाल इस चुनाव में दूसरे स्थान पर रही हैं. 

इस बार के चुनाव में परिहार सीट 64.55 फीसदी मतदान हुआ है. वहीं अगर बात इस सीट पर मुकाबले की करें तो यहां इस बार आरजेडी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. आरजेडी ने इस सीट से स्मिता गुप्ता को मैदान में उतारा है. वहीं, बीजेपी ने गायत्री देवी पर अपना दांव खेला है. 

नेपाल से भी है खास कनेक्शन

बिहार के सीतामढ़ी जिले में नेपाल की सीमा के समीप बसा परिहार विधानसभा क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण जीवन शैली के लिए जाना जाता है. बाढ़-प्रवण क्षेत्र न केवल मिथिला की ऐतिहासिक और पौराणिक परंपराओं से जुड़ा है, बल्कि यहां के लोगों का मेहनती और साधारण जीवन इसे एक अनूठी पहचान देता है. यह क्षेत्र जनकपुर जैसे नेपाली शहरों से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र है. यहां के लोग नेपाल के मेलों और धार्मिक उत्सवों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और सीमा पार का व्यापार स्थानीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा है.

पिछले कुछ सालों बदले हैं हालात

परिहार पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है. यहां के लोग सादगी भरा जीवन जीते हैं. हाल के वर्षों में गांवों में बिजली और सड़क संपर्क में सुधार हुआ है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं अब भी सीमित हैं.यहां पर शिक्षा का स्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन कई परिवार अब भी आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं भेज पाते. हालांकि, युवाओं में राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता बढ़ रही है, जो चुनावों में उनके सक्रिय भागीदारी से झलकती है.

परिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है. धान, गेहूं, मक्का, दालें और सब्जियां यहां की प्रमुख फसलें हैं. बाढ़ के कारण फसल चक्र में व्यवधान आता है, लेकिन किसान नई तकनीकों और बीजों का उपयोग कर रहे हैं. गाय और भैंस पालन यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है. दूध और दुग्ध उत्पाद स्थानीय बाजारों में बिक्री के लिए जाते हैं.

बड़े उद्योग के इंतजार में है परिहार

परिहार में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, लेकिन छोटे पैमाने पर हस्तशिल्प और मधुबनी पेंटिंग से कुछ परिवार आय अर्जित करते हैं. सड़क संपर्क में सुधार के बाद स्थानीय व्यापार में वृद्धि हुई है. परिहार विधानसभा में कुल जनसंख्या 567339 है. इनमें 295277 पुरुष और महिलाएं 272062 हैं. चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, एक जनवरी 2024 तक इस सीट पर कुल मतदाता 331669 हैं. इनमें से 174718 पुरुष मतदाता,156927 महिला मतदाता और थर्ड जेंडर के 24 वोटर हैं.

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इस सीट पर 2010 के चुनाव में राम नरेश प्रसाद यादव ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की. 2015 और 2020 गायत्री देवी ने भाजपा की जीत को बरकरार रखा. इस सीट पर भाजपा चौथी बार जीत दर्ज कर पाएगी या पिछले चुनाव में भाजपा को कांटे की टक्कर देने वाली राजद की लालटेन रोशन होगी, यह देखने लायक होगा.

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