बिहार चुनाव: वोटर लिस्ट से नहीं हटे मर चुके लोगों के नाम. CEO के सामने शिकायत भी बेकार!

इस मामले पर आयोग का पक्ष जानने के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद से गुंजियाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें मैसेज भेजा है. उनका जवाब आता है तो इस स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा.

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संडे को सीईसी ने बिहार चुनाव पर कई घोषणाएं की थीं.
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  • चुनाव आयोग ने SIR ड्राफ्ट रोल में मृतक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने में लापरवाही बरती है.
  • दीघा विधानसभा क्षेत्र के मो. खालिद का नाम 2019 में मृत्यु के बावजूद मतदाता सूची में शामिल है.
  • फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र के कपिलदेव सिंह और उनकी पत्नी का नाम मृत होने के बाद भी फाइनल वोटर लिस्ट में है.
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चुनाव आयोग ने SIR के ड्राफ्ट रोल में कई जिंदा मतदाताओं को मरा हुआ बताकर उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया था. अब आयोग कई मृतकों को मरा हुआ मानने को तैयार नहीं है. परिजनों ने BLO से लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) से मृत व्यक्ति का नाम हटाने का आग्रह किया, लेकिन नाम लिस्ट से नहीं हटा. लोग मर गए हैं, लेकिन आयोग उन्हें कागजों में जिंदा ही रखना चाहता है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी तक से शिकायत के बाद भी मृत लोगों के नाम लिस्ट में शामिल रहने पर सवाल उठ रहे हैं. 

केस नंबर 1

दीघा विधानसभा क्षेत्र के भाग संख्या 130 में मो. खालिद का नाम निर्वाचक सूची में शामिल है. मो. खालिद की मृत्यु 2019 में हो गई. उनकी पत्नी फिरदौस स्कूल टीचर हैं. वे बताती हैं, "मेरे शौहर का इंतकाल 2019 में ही हो गया था. ड्राफ्ट रोल में उनका नाम आया तो हमने उनका नाम हटाने के लिए कहा, फिर भी उनका नाम नहीं हटाया गया. हमें डर है कि कोई उनके नाम पर वोट न डाल दे." 

यहां तक कि BLO सुरैया अख्तर ने भी मो. खालिद का नाम हटाने की अनुशंसा की. वे बताती हैं, "मुझे जब उनके परिजनों ने बताया कि मो. खालिद की मृत्यु हो चुकी है तो मैने उनका नाम हटाने के लिए लिखित आवेदन दे दिया. इसके बाद भी उनका नाम लिस्ट से क्यों नहीं हटा, इसकी जानकारी मुझे नहीं है."

केस नंबर - दो और तीन

इसी तरह फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र के कपिलदेव सिंह और उनकी पत्नी चिन्ता सिन्हा का नाम भी उनकी मृत्यु के बाद लिस्ट में शामिल है. कपिलदेव सिंह का नाम फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र के भाग संख्या 204 में क्रम संख्या 103 पर और उनकी पत्नी का इसी भाग के क्रमांक संख्या 104 पर दर्ज है. उनका नाम हटाने के लिए भी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को शिकायत भेजी गई थी. फिर भी उनका नाम फाइनल रोल में शामिल है. इस बूथ की बीएलओ शबनम कुमारी ने बताया कि यह दोनों वोटर SIR ड्राफ्ट रोल के वक्त ही उनके बूथ में शामिल हुए. इनके बारे में पुरानी BLO मंजू देवी को ज्यादा जानकारी है. हमने मंजू देवी से बात की. वे कहती हैं कि उन्होंने नाम हटाने के लिए अनुशंसा की थी. फिर भी यह नाम नहीं हटा है. ऐसा कैसे हुआ, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. 

PUCL ने की शिकायत

PUCL ने इन दोनों मामलों की शिकायत मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास की थी. संस्था के महासचिव सरफराज ने 7 अगस्त को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को एक शिकायत सौंपी थी. जिसमें उन्होंने उन लोगों की सूची दी थी, जिनके नाम गलत तरीके से काटे गए और जिनके नाम गलती से जुड़े हुए हैं. इसमें मो. खालिद और कपिलदेव सिंह के नाम हटाने का भी आग्रह किया गया था. फिर भी यह नाम मौजूद हैं. सरफराज कहते हैं, "हमने सर्वोच्च स्तर पर शिकायत की. फिर भी इतनी गड़बड़ियां मौजूद हैं. इससे समझा जा सकता है कि मतदाता सूची कितनी शुद्ध हो पाई है?"

हमने इस मामले पर आयोग का पक्ष जानने के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद से गुंजियाल से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें मैसेज भेजा है. उनका जवाब आता है तो इस स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा.

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